Farmers Accident Insurance Scheme : सरकार प्रत्येक फसल सीजन में यूरिया, कैल्शियम अमोनियम नाईट्रेट (CAN), अमोनियम सल्फेट (Ammonium sulfate) और सिंगल सुपर फास्फेट (Single Super Phosphate) जैसे रासायनिक खाद-उर्वरक की घरेलू आपूर्ति हेतु हजारों-लाखों टन उर्वरक का आयात करती है। इस पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है। खाद आयात पर खर्च होने वाले विदेशी मुद्रा में कमी लाने एवं खाद उवर्रक में देश को आत्मनिर्भर करने के लिए रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईआईसीटी) के वैज्ञानिकों ने नैनो टेक्नोलॉजी आधारित नैनो लिक्विड यूरिया, नैनो लिक्विड डीएपी और हाल ही में नैनो जिंक (लिक्विड) तैयार किया है। इन नैनो फर्टिलाइजर उत्पादों का अधिक से अधिक किसान खेती में इस्तेमाल करें, इसके लिए इफको द्वारा नैनो फर्टिलाइजर प्रोडेक्ट का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाता है। इसके साथ ही सरकार ड्रोन की मदद से फसलों पर इनके छिड़ाकव के लिए किसानों को आर्थिक अनुदान भी देती है। इसी कड़ी में सहकारी उर्वरक निर्माता इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने नैनो लिक्विड खाद-उवर्रक को बढ़ावा देने के लिए एक और खास पहल की है। नैनो फर्टिलाइजर की खरीद पर इफको द्वारा किसानों को 2 लाख का दुर्घटना बीमा कवरेज दिया जा रहा है। आइए, जानते हैं क्या है ये खास ऑफर और किसान इसका कैसे उठा सकते हैं लाभ।
देश की प्रमुख सहकारी उर्वरक निर्माता इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड यानी इफको के नैनो-लिक्विड फर्टिलाइजर की प्रत्येक खरीद पर 2 लाख रुपए तक के नि:शुल्क दुर्घटना बीमा करवेज प्रति किसान देने की बात की कही है। इफको (IFFCO) की यह पहल “संकट हरण बीमा योजना” का एक भाग है। इसका मुख्य उद्देश्य नैनो- लिक्विड यूरिया और नैनो लिक्विड डीएपी उर्वरक खरीदने वाले किसानों को दुर्घटना सहायता प्रदान करना है। हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इफको के क्रांतिकारी नैनो तरल यूरिया के अपग्रेड वर्जन नैनो यूरिया प्लस (लिक्विड) को तीन साल की स्वीकृति दी गई है। क्योंकि, नैनो तरल यूरिया की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे थे, ऐसे में इसका नया वर्जन नैनो यूरिया प्लस महत्वपूर्ण है। इफको ने फसलों पर इसका प्रभाव बढ़ाने के लिए इसे अपग्रेड किया है।
खाद (fertilizer) बेचने वाली कंपनी भारतीय कृषक उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO) किसानों के लिए एक दुर्घटना बीमा योजना चला रही है। इफको ने इस बीमा योजना का नाम संकट हरण बीमा योजना रखा है। इस स्कीम के अंतर्गत इफको फर्टिलाइजर के प्रत्येक कट्टे पर 4 हजार रुपए का बीमा मिलता है। इफको के अधिकारियों के अनुसार, एक किसान अधिकतम 25 कट्टे खरीदकर बीमा का लाभ ले सकता है। इस इंश्योरेंस प्रीमियम का पूरा भुगतान इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) द्वारा किया जाता है। किसानों को यह बीमा लाभ केवल इफको से खाद-उवर्रक की खरीद पर ही मिलता है। अन्य निजी फर्टिलाइजर कंपनियों से खाद खरीदने पर यह लाभ किसानों को देय नहीं होता है।
इफको (IFFCO) संकट हरण बीमा योजना के तहत कंपनी डीएपी, एनपीके, यूरिया खाद की हर बोरी खरीदने पर किसानों का दुर्घटना बीमा देती है। किसान जैसे ही इफको से खाद की खरीद करते हैं, तो उसी दौरान किसान सुरक्षा के तहत उनका खुद ही 4 हजार रुपए का बीमा हो जाता है। यह बीमा एक साल तक रहता है। हालांकि, जागरूकता के अभाव में अधिकांश किसान इस योजना का लाभ नहीं उठा पाते हैं। लेकिन इफको इस योजना के बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए गोष्ठियों और किसान सम्मेलनों का भी आयोजन करता है। साथ ही खाद के बैग पर 'खाद तो खाद है बीमा भी साथ' का स्लोगन लिखा हुआ है। बता दें कि संकट हरण बीमा योजना के तहत कंपनी खाद खरीदने पर हर बोरी पर किसानों का बीमा करती है, जिसके लिए इफको ने टोकियो जनरल बीमा कंपनी से समझौता किया है।
संकट हरण बीमा योजना बीमित किसान के परिवार को दुर्घटना सुरक्षा गारंटी प्रदान करती है। अगर बीमित किसान एक साल की समय सीमा के अंदर-अंदर किसी भी दुर्घटना का शिकार होता है, तो इस संकट के समय में प्रभावित परिजनों को यह सुरक्षा योजना राहत दिलाती है। इस योजना के तहत उर्वरक के बैग पर मिलने वाले दुर्घटना बीमा (Accidental Insurance) के तहत एक्सीडेंट में किसान की मृत्यु होने पर प्रभावित परिजनों को 2 लाख रुपए का बीमा क्लेम का भुगतान किया जाता है। यह राशि प्रभावित परिवार के खाते में सीधे ट्रांसफर की जाती है। वहीं, दुर्घटना में दो अंग क्षतिग्रस्त होने पर 2,000 रुपए प्रति कट्टा के हिसाब से अधिकतम 50 हजार रुपए बीमा राशि का भुगतान किया जाता है। एक अंग क्षतिग्रस्त होने की पर 1 हजार रुपए प्रति बोरी के हिसाब से बीमा कवरेज दिया जाता है।
संकट हरण बीमा योजना के तहत खाद कट्टे पर मिलने वाले दुर्घटना बीमा (Accidental insurance) का दावा करने के लिए प्रभावित किसान के पास उर्वरक खरीद की रसीद होनी चाहिए। किसान के पास जितने कट्टों की रसीद होगी, उसी हिसाब से बीमा राशि का भुगतान किया जाएगा। दुर्घटना में किसान की मृत्यु होने पर बीमा का दावा करने के लिए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट और पंचनामा जैसे दस्तावेज पेश करना अनिवार्य है, जबकि अंगभंग होने की स्थिति में दुर्घटना की पुलिस रिपोर्ट होनी चाहिए। इस योजना के तहत किसान को रेल, सड़क दुर्घटना, डूबने, सांप के काटने, गैस सिलेंडर फटने, जलने और किसी मशीन से दुर्घटना का शिकर होने पर बीमा राशि का लाभ दिया जाता है। हालांकि, प्राकृतिक कारणों या आत्महत्या की स्थिति में किसान को इस बीमा योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
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