धान की सीधी बिजाई के लिए टॉप 9 किस्म : कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन

पोस्ट -12 मई 2024 शेयर पोस्ट

पूसा बासमती की टॉप 9 किस्में : खरीफ सीजन में बासमती धान की इन किस्मों की बुवाई से मिलेगा जाेरदार फायदा

धान भारत की एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है। भारत के अधिकांश राज्यों में धान/चावल की खेती खरीफ सीजन में की जाती है। खरीफ चावल के लिए नर्सरी लगाने व बीज बुवाई का कार्य 15 मई से शुरू होकर 15 जुलाई तक चलेगा। देश के कई राज्यों में किसान पानी की कमी के कारण धान की खेती में पिछड़ रहे हैं। पानी के संकट को देखते हुए सरकार धान की सीधी बिजाई को प्रोत्साहित कर रही है। आज हम आपको ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट में धान की सीधी बिजाई के लिए टॉप 9 किस्मों की जानकारी दे रहे हैं, इनमें से कुछ किस्में ऐसी है जो कम समय में ज्यादा उत्पादन से किसानों की भारी मुनाफा कमाकर देती है। ये सभी किस्में साधारण धान की किस्में न होकर बासमती धान की किस्में हैं। धान की इन किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च आईसीएआर) के तहत आने वाले संस्थान भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट – आईएआरआई) द्वारा विकसित किया गया है। तो अधिक जानकारी के लिए बने रहें हमारे साथ।

धान की टॉप 9 किस्में : सीधी बिजाई में सबसे ज्यादा उपयोगी

यहां आपको धान की उन टॉप 9 किस्मों के बारे में जानकारी दी जा रही है जो सीधी बिजाई के लिए बेस्ट है। ये सभी किस्में कम पानी में बेहतर पैदावार देने में सक्षम है। आइए इनके बारे में जानें :

  • पूसा बासमती 1509
  • पूसा बासमती 1692
  • पूसा बासमती 1847
  • पूसा बासमती 1121
  • पूसा बासमती 1718
  • पूसा बासमती 1885
  • पूसा बासमती 1401
  • पूसा बासमती 1728
  • पूसा बासमती 1886
  •  पूसा बासमती 1509 (PB 1509)

अगर किसान कम पानी में धान की खेती करना चाहते हैं तो वे पूसा बासमती 1509 किस्म का चयन कर सकते हैं। इस किस्म की रोपाई व सीधी बिजाई का समय 15 जून से शुरू हो जाता है। यह किस्म 85-90 दिन में पक जाती है। धान की यह बौनी किस्म है। इसके दानों की क्वालिटी अच्छी है और देखने में सुंदर है। सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी रिकवरी ज्यादा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी काफी मांग है। पूसा बासमती 1509 (PB 1509) से एक एकड़ में 25 से 28 क्विंटल तक धान की पैदावार मिलती है।

पूसा बासमती 1692 (PB 1692)

धान की किस्म पूसा बासमती 1692 (PB 1692), 115 से 120 दिन की कम अवधि में पकने वाली फसल है। यह एक स्वदेशी नस्ल है जो कम पानी में बेहतर पैदावार देती है। औसत उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ है। एक एकड़ में रोपाई के लिए 5 किलो बीज की मात्रा उपयुक्त है। इसके दाने की क्वालिटी बेस्ट है जो टूटते नहीं है।

पूसा बासमती 1847 (PB 1847)

पूसा बासमती 1847 ने धान किसानों के बीच क्रांति ला दी है। पूसा ने अपनी पुरानी किस्म पूसा 1509 का नया संस्करण पूसा 1847 के रूप में लांच किया है। यह किस्म झुलसा व झोंका रोग रोधी है। किसान पूसा बासमती 1847 (PB 1847) की बुवाई से 27-32 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं।

पूसा बासमती 1121 (PB 1121)

पूसा बासमती 1121 किस्म का सबसे ज्यादा निर्यात किया जाता है। बासमती चावल के कुल निर्यात में इस किस्म की हिस्सेदारी करीब 47 प्रतिशत है। चावल की यह किस्म अपनी खुशबू, स्वाद और सबसे लंबे दाने के लिए प्रसिद्ध है। बिना पके इस चावल की लंबाई 9 एमएम और पकने के बाद 15 से 22 एमएम तक होती है। किसान इसकी बुवाई 20 मई से 15 जून तक कर सकते हैं। पूसा बासमती (PB 1121) की औसत उपज 18 से 20 क्विंटल प्रति एकड़ है।

पूसा बासमती 1718 (PB 1718)

पूसा बासमती 1718 (PB 1718) बिना रोग वाली धान की उन्नत किस्म है। यह किस्म अन्य प्रजातियों के मुकाबले 20 प्रतिशत कम पानी में तैयार हो जाती है। इसकी बुवाई के लिए सही समय 15 मई से 20 जून तक है। यह प्रजाति 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है और प्रति एकड़ 20 से 25 क्विंटल पैदावार मिलती है।

पूसा बासमती 1885 (PB 1885)

वैज्ञानिकों ने पूसा बासमती 1885 (PB 1885) किस्म को रोग प्रतिरोधी किस्म के रूप में विकसित किया है। यह किस्म 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है और औसत उपज एक हेक्टेयर में 4.68 टन है। इसके अतिरिक्त लंबे दाने और पकाने की गुणवत्ता पूसा बासमती 1121 के समान है। मध्यम अवधि की यह किस्म ब्लास्ट रोग के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी है।

पूसा बासमती 1401 (PB 1401)

यह बासमती धान की अर्द्धबौनी किस्म है जो पकने पर गिरती नहीं है। इसकी फसल 135 से 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है। उपज क्षमता 4 से 5 टन प्रति हेक्टेयर है। किसान पूसा बासमती 1401 (PB 1401) किस्म की बुवाई 21 मई से 22 जून तक कर सकते हैं। दानों की समानता व पकाने की गुणवत्ता के हिसाब से यह किस्म पूजा बासमती 1121 से बहुत ही श्रेष्ठ है। इसका दाना पकने पर एक समान रहता है।

पूसा बासमती 1728 (PB 1728)

पूसा बासमती 1728, पूसा बासमती 6 का अपडेट वर्जन है। यह किस्म बैक्टीरियल बलाईट बीमारी की प्रतिरोधी किस्म है। इस किस्म से प्रति एकड़ 23 से 25 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। यह किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड के लिए उपयुक्त है। एक एकड़ में इस किस्म की रोपाई के लिए 5 किलो बीज की आवश्यकता होती है। किसान पूसा बासमती 1728 (PB 1728) की बुवाई 20 मई से 22 जून के बीच कर सकते हैं।

पूसा बासमती 1886 (PB 1886)

पूसा बासमती 1886 पत्ती का झुलसा और झोंका रोग के लिए प्रतिरोधी किस्म है। यह किस्म लोकप्रिय बासमती पूसा 6 की तरह ही विकसित की गई है। हरियाणा और उत्तराखंड के लिए अनुशंसित इस किस्म की रोपाई 1 जून से 15 जून के बीच की जा सकती है। यह किस्म एक हेक्टेयर में 4.49 टन उपज देने में सक्षम है। 155 दिन में पकने वाली पूसा बासमती 1886 (PB 1886) किस्म की कटाई अक्टूबर के अंतिम पखवाड़े में करनी चाहिए।

किसान भाइयो, ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट में आपको धान की सीधी बिजाई के लिए टॉप 9 किस्मों की जानकारी दी गई है। किसानों को सलाह दी जाती है कि किसी भी किस्म की बुवाई से पहले स्थानीय कृषि अधिकारियों की सलाह जरूर लें।

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