यूपी-बिहार में बासमती धान की खेती सबसे ज्यादा होती है। यहां के बासमती चावल अपने लाजवाब स्वाद और अपनी शानदार सुगंध के लिए भारत सहित विदेशों में भी जाने जाते हैं। इन शानदार खुशबू वाले बासमती चावल के दाने बेहद लंबे और चमकदार होते हैं। देश में कई उन्नत बासमती धान की वैरायटी विकसित की गई है, जो उत्पादकता और गुणवत्ता में बेस्ट है।
मानसून की दस्तक के साथ ही पूरे देश में खरीफ फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है। खरीफ सीजन में बोई जाने वाली फसलों में धान सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। इसकी बुवाई पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मुख्य रूप से की जाती है। इसके अलावा, झारखंड में 71 प्रतिशत भू-भाग पर धान की बुवाई किसानों द्वारा की जाती है। देखा जाए, तो धान की खेती में विभिन्न किस्मों के धान की बुवाई की जाती है। लेकिन देश में धान की खेती में बासमती धान की खेती सबसे ज्यादा होती है। देश के हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में दुनियाभर में फेमस धान बासमती धान की खेती सुगमता से की जाती है। लेकिन इन राज्यों में किसानों द्वारा सामान्य बासमती धान की खेती की जाती है, जिससे इन्हें खेती से औसत पैदावार और मुनाफा मिल पाता है।
अगर यूपी-बिहार सहित अन्य राज्यों के किसान धान की खेती में उच्च गुणवत्ता और अधिक पैदावार देने वाली उन्नत वैराइटी के बासमती धान के बीजों की बुवाई करते हैं, तो उन्हें ज्यादा उपज के साथ बाजार में ज्यादा मुनाफा भी मिलेगा। ऐसे में हम आज किसान भाईयों के लिए बासमती धान की कुछ बेस्ट वैरायटीज की जानकारी लेकर आए हैं, जिसकी बुवाई कर धान की खेती से उच्च गुणवत्ता वाली बंपर उपज प्राप्त कर सकते हैं। आइये बासमती धान की इन स्पेशल वैरायटीज के बारे में जानते हैं।
देश में बासमती धान की खेती काफी फेमस है, जिसके चलते कृषि अनुसंधान एवं संस्थाओं द्वारा बासमती धान की कई उन्नत वैरायटी और खेती की तकनीक को विकसित किया गया है। इससे बासमती धान की खेती में उत्पादकता और उत्पाद में गुणवत्ता बढ़ी है। बासमती धान की उन्नत किस्मों में पूसा सुगंध-5 का नाम सबसे पहले आता है। बासमती धान की यह किस्म सबसे फेमस किस्म है। इस शानदार उच्च गुणवत्ता वाली किस्म की खेती प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू और पंजाब में की जाती है। अगर किसान इस उन्नत धान वैरायटी की बुवाई बिना पौधे की नर्सरी तैयार किए हुए सीधा खेतों में बिजाई तकनीक से करते हैं, तो इस बासमती किस्म से किसानों को कम लागत खर्च में ज्यादा उत्पादन प्राप्त होगा। खास बात यह है इसका उत्पादन उच्च गुणवत्तापूर्ण होगा, जिससे किसानों को उपज का बाजार मूल्य भी अधिक मिलेगा और मुनाफा भी मोटा होगा। बासमती धान की यह वैरायटी 120 से 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसकी उत्पादक क्षमता 65 से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है।
पूसा-1460, बासमती धान की इस किस्म को वर्ष 2007 में सीवीआरसी द्वारा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और जम्मू कश्मीर जैसे बासमती खेती करने वाले राज्यों के लिए विकसित किया गया था। Pusa - 1460 बासमती धान की उच्च गुणवत्ता वाली एक उन्नत वैरायटी है। इसके दाने लंबे वजन दार और सुगंधित होते हैं। इसके चावल खाने में काफी लाजवाब और स्वादिष्ट होते हैं। पूसा - 1460 बासमती धान (Pusa - 1460 Basmati Paddy) की इस वैरायटी में बैक्टीरिया लिफ विलाइट (वीएलवी) नहीं आता है। धान की इस किस्म की पकने की अवधि 125 से 130 दिनों की होती है। बासमती राईस की इस उन्नत किस्म की औसत उत्पादकता 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है।
पूसा सुगंध-3, बासमती चावल की सबसे शानदार वैरायटी है। यह सुगंधित बासमती धान अपनी शानदार सुगंध और उच्च गुणवत्ता के चलते दुनियाभर में फेमस है। पूसा सुगंध-3, बासमती धान की किस्म में कीट और रोगों का प्रकोप लगभग न के बराबर होता है। इसके उत्पादन में किसानों को कीटनाशकों पर भी कोई खर्च नहीं करना पड़ता है। बासमती धान की इस वैरायटी के चावल के दाने लंबे-लंबे, सुगंधित और खाने में बेहद स्वादिष्ट होते हैं। जिसके चलते भारत के इस बासमती चावल की मांग दुनियाभर में उच्च स्तर पर होती है। पूसा सुगंध- 3 धान की यह किस्म 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। धान की इस किस्म की औसत पैदावार 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है। बासमती धान की पूसा सुगंध-3 किस्म हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू कश्मीर जैसे बासमती उत्पादक राज्यों के लिए अनुकूल है।
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