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आलू की किस्में : किसानों को मात्र 80 दिनों में मिलेगी 300 क्विंटल की पैदावार

आलू की किस्में : किसानों को मात्र 80 दिनों में मिलेगी 300 क्विंटल की पैदावार
पोस्ट -23 अक्टूबर 2023 शेयर पोस्ट

आलू की खेती : मात्र 75 से 90 दिनों में भरपूर पैदावार देने वाली आलू की दो नई किस्मों को मिली मंजूरी

Potato Varieties :  कृषि विश्वविद्यालय हरियाणा ने आलू की दो नई विकसित किस्में जारी की है। आलू की ये विकसित किस्में बुवाई के 75 से 90 दिनों के बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। खास बात यह है आलू की ये नई किस्में अधिक पैदावार देने वाली आलू किस्म है। इन विकसित किस्मों को उत्तरी, मध्य और पूर्वी मैदानी क्षेत्रों के लिए जारी किया गया है।

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देश में रबी फसलों की बुआई का काम किसानों द्वारा शुरू किया जा चुका है। इस दौरान रबी की प्रमुख फसलें गेहूं, चना, सरसों, मसूर और जौ  के साथ-साथ किसान प्याज, लहसुन, मटर, गोभी और आलू जैसी सब्जी फसल की बुआई भी करते हैं। इस वक्त कई राज्यों के किसान सब्जी फसल में आलू की गड़ाई कर चुके हैं, तो कई इलाकों में किसान आलू गड़ाई की तैयारियां शुरू कर रहे हैं। इस बीच हरियाणा के हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए आलू की दो नई विकसित किस्में जारी की है, जो मात्र 75 से 90 दिनों में भरपूर पैदावार देने के लिए तैयार हो  जाती है। इसके अलावा इन किस्मों की भंडारण क्षमता भी सामान्य आलू किस्म से कहीं अधिक है। ऐसे में जो किसान भाई आलू की बुवाई करने जा रहे हैं वे आलू की इन विकसित किस्मों की बुवाई कर सकते हैं। आईए, इस पोस्ट की मदद से आलू की इन नई किस्मों की विशेषता और इनकी किन क्षेत्रों के लिए सिफारिश की गई है, के बारे में जानते हैं।
 
आलू की नई किस्में एम.एस.पी/16-307 और कुफरी सुख्याति

बता दें कि देश में फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा आए दिन फसलों की नई-नई उन्नत किस्मों को विकसित किया जा रहा है। ऐसे में बीते दिन हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 41वीं अखिल भारतीय समन्वित आलू अनुसंधान परियोजना की तीन दिवसीय कार्यशाला में आलू की दो नई किस्में  “एम.एस.पी/16-307” और “कुफरी सुख्याति” को मंजूरी दे दी गई है। यह दोनों किस्में अधिक पैदावार देने वाली किस्म है।

आलू की नई किस्मों की खासियत 

हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित आलू अनुसंधान परियोजना की तीन दिवसीय कार्यशाला के तीसरे व अंतिम दिन आलू की दो नई विकसित किस्म एम.एस.पी/16-307 और कुफरी सुख्याति को किसानों के लिए जारी किया गया है। ये दोनों विकसित किस्में अधिक पैदावार देने वाली हैं और इनकी भंडारण क्षमता भी अधिक है। एम.एस.पी/16-307 आलू किस्म की खासियत है कि इसके आलू व इसका गुद्दा बैंगनी रंग का है और यह बुआई के 90 दिनों के बाद खुदाई हेतु तैयार हो जाता है, जबकि कुफरी सुख्याति किस्म मात्र 75 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। वैज्ञानिकों ने इन नई किस्मों को देश के उत्तरी, मध्य और पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में खेती के लिए जारी करने की सिफारिश की है।   

उत्पादकता अंतराल को कम करके उत्पादन में सुधार

सहायक महानिदेशक (फल, सब्जी, मसाले एवं औषधीय पौधे) डॉ. सुधाकर पांडे ने इस मौके पर वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए आलू प्रसंस्करण में भारतीय किस्मों की हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आलू अनुसंधान में सटीक जैविक व अजैविक दबाव सहिष्णुता, पूर्वानुमान मॉडल और जलवायु परिवर्तन परिदृश्य में उत्पादन एवं उत्पादकता में सुधार लाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नवीन फसल सुधार और उत्पादन प्रोद्योगिकी को लागूकर व उत्पादकता अंतराल को कम करके उत्पादन में सुधार लाया जा सकता है। सहायक महानिदेशक डॉ. सुधाकर पांडे ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में आलू के गुणवत्तापूर्ण बीज की आवश्यकता को कम करने के लिए बीज उत्पादन को प्राथमिकता तथा आलू की पैदावार बढ़ाने के लिए नवाचारों से जुड़ने के लिए आह्वान किया।

बेहतर आलू की किस्में विकसित करने पर दिया जोर

इस अवसर पर अनुसंधान निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा ने बदलते परिदृश्य में फसल सुधार, फसल सुरक्षा और सत्यापन पर जोर दिया।  रिलीज के लिए फसल उत्पादन के तहत विभिन्न प्रौद्योगिकियों के बहु-स्थान मूल्यांकन में उपरोक्त परियोजना को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया। अनुसंधान निदेशक ने बायो-फोर्टिफाइड व पोषण की दृष्टि से बेहतर आलू की किस्में विकसित करने पर भी जोर दिया। कार्यशाला के दौरान आयोजित विभिन्न सत्रों में देश के विभिन्न राज्यों के 25 अखिल भारतीय समन्वित आलू अनुसंधान परियोजना केंद्रों से आये वैज्ञानिकों ने आलू की पैदावार बढ़ाने, उन्नत किस्में, भंडारण, खाद्य सुरक्षा सहित नवाचारों से संबंधित विषयों पर मंथन किया।  

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देश का सबसे बड़ा अनुसंधान संस्थान शिमला में

अनुसंधान निदेशक ने कहा कि देश में आलू का सबसे बड़ा अनुसंधान संस्थान शिमला में है, जबकि सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है। वहीं, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल आदि भी आलू उत्पादक प्रमुख राज्यों में शामिल हैं। कार्यशाला के दौरान केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला के निदेशक डॉ. बृजेश सिंह, सब्जी विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष व कार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ. एस.के.तेहलान सहित अन्य वैज्ञानिक उपस्थित रहे। 

आलू की अन्य विकसित नई किस्में

जानकारी के लिए बता दे कि आज देश के कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा आलू की फसल के लिए कई अन्य नई किस्मों को विकसित कर विभिन्न क्षेत्रों में खेती के लिए अनुशंसित किया जा चुका है। आलू अन्य नई किस्मों में कुफरी सदाबहार, कुफरी पुष्कर, कुफरी गरिमा, कुफरी गौरव, कुफरी गंगा, कुफरी ख्याति, कुफरी मोहन, कुफरी अरूण, कुफरी नीलकंठ, कुफरी शैलजा, कुफरी लीलिमा, कुफरी सूर्या, कुफरी माणिक, कुफरी नीलिमा, कुफरी गिरधारी, कुफरी हिमालिनी, कुफरी सहयाद्री, कुफरी कर्ण, कुफरी ललित कुफरी फ्राईसोना,  कुफरी चिप्सोना और कुफरी हिमसोना आलू की नई विकसित किस्मों है।
 

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