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कि‍सानों को बड़ी राहत : अब खाद-बीज व कीटनाशक बनाने वाली कंपनि‍यां ही देंगी मुआवजा

कि‍सानों को बड़ी राहत : अब खाद-बीज व कीटनाशक बनाने वाली कंपनि‍यां ही देंगी मुआवजा
पोस्ट -05 अक्टूबर 2023 शेयर पोस्ट

नया कानून : बीज, खाद और कीटनाशक बनाने वाली कंपनियां ही फसलों में हुए नुकसान की करेंगी भरपाई 

Compensation : सरकार ने एक नया कानून बनाया है, जिसके तहत अब खराब बीज, खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल से खेती को होने वाले नुकसान पर भी मुआवजा मिलेगा। किसानों को यह मुआवाजा बीज, खाद व कीटनाशक बनाने वाली कंपनि‍याें द्वारा दिया जाएगा। 

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किसानों को खेती के लिए बेहतर क्वालिटी वाले एग्री इनपुट मुहैया करने की दिशा में केंद्र और राज्य की सरकारों द्वारा निरंतर काम किया जा रहा है। हालांकि बीज, खाद व कीटनाशक बनाने वाली कंपनि‍यां और इन्हें बेचने वाले डीलर एवं दुकानदार बिना मिलावट के प्रोडेक्ट किसानों को बेचे, इसके लिए सरकारें अपने स्तर पर नए विधेयक भी लागू करती हैं। लेकिन इन सबके बावजूद भी किसान अमानक या मिलावटी नकली बीज, खाद एवं कीटनाशकों से परेशान है। अक्सर देखा गया है कि इस तरह के कृषि इनपुट से किसानों को खेती में मोटी हानि होती है। ऐसे में महाराष्ट्र राज्य सरकार ने एक ऐसा कानून बनाया है, जिसके तहत ऐसा करने वाले डीलरों, दुकानदारों एवं खाद, बीज और कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों पर कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं अगर खराब बीज, उर्वरक और कीटनाशकों से किसानों को खेती में नुकसान होता है, तो इसके एवज में कंपनियों द्वारा उन्हें मुआवजा भी दिलाया जाएगा। सरकार के इस विधेयक से जहां किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। वही, बीज, खाद एवं कीटनाशक बनाने वाली कंपनि‍यां और इन्हें बेचने वाले दुकानदारों एवं डीलरों के होश उड़े हुए हैं। आईए इस पोस्ट की मदद से इस पूरी खबर के बारे में विस्तापूर्वक जानते हैं। 

संबंधित कंपनी द्वारा किसानों को दिया जाएगा मुआवजा

दरअसल, महाराष्ट्र में मि‍लावटी, अमानक या डुप्लीकेट ब्रांड वाले बीज, खाद और कीटनाशक किसानों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बना हुआ है। इनके इस्तेमाल से किसानों को खेती में बहुत नुकसान हो रहा है। जिसकी दिन प्रतिदिन शिकायत बढ़ती जा रही है। जिस पर ध्यान देते हुए महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐसा नया विधेयक तैयार किया है। जिसमें इस तरह के प्रोडेक्ट बनाने वाली कंपनि‍यों और इन्हें बेचने वाले डीलरों और दुकानदारों पर कठोर एक्शन लिया जाएगा। साथ ही खराब खाद, बीज और कीटनाशकों के प्रयोग से किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए एग्री इनपुट बेचने वाले डीलरों, दुकानदारों और इन्हें बनाने वाली कंपनियों द्वारा मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा, यदि इससे संबंध‍ित कंपनियां निर्णय होने के 30 दि‍न में मुआवजे राशि का भुगतान नहीं करती है, तो फि‍र उसे 12 प्रतिशत ब्याज का भी भुगतान किसान को करना  होगा। 

निर्धारित किए गए नियम व शर्तें

इस बीच महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाए गए विधेयक से खाद, बीज और कीटनाशक जैसे कृषि इनपुट बनाने वाली कंपनियों के बीच हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि‍, इस विधेयक में शि‍कायत करने को लेकर कृषकों के लि‍ए कुछ नियम व शर्तें भी निर्धारित किए गए हैं। खासतौर पर कृषि इनपुट खरीदने की रसीद बहुत जरूरी है। अगर कृषि इनपुट बनाने वाली निर्माता कंपनी, वितरक या विक्रेता दुकनदार जिला प्राधिकरण के फैसले की प्राप्ति होने की तारीख से 30 दिनों के अंदर मुआवजे का भुगतान नहीं करता है, तो इसे भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूला जाएगा। हालांकि‍, इस अधिनियम के अंतर्गत उन शिकायतों पर विचार नहीं किया जाएगा, जिसे शिकायतकर्ता किसान ने किसी अन्य विधेयक के तहत किसी अन्य प्राधिकारी या कोर्ट  के समक्ष उसी कारण से मुआवजे के लिए कोई शिकायत याचिका दायर की है।

सरकार विधेयक के तहत करना चाहती है किसानों की मदद

दरअसल, खराब, मिलावटी, सब स्टैंडर्ड या नकली ब्रांड वाले बीज, खाद या कीटनाशकों के प्रयोग से फसलें खराब होती हैं। साथ ही उत्पादन भी प्रभावित होता है, जिससे किसानों को आर्थ‍िक रूप से बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। इसके बावजूद अब तक ऐसे मामलों में किसानों की शिकायतों के निवारण और किसानों को मुआवजे के लिए कोई प्रावधान नहीं है। इसलि‍ए सरकार इस विधेयक के तहत किसानों की मदद करना चाहती है। राज्य सरकार इस तरह के गैर कानूनी काम करने वाले निर्माता, वितरक या विक्रेताओं को इस विधेयक के तहत दोषी ठहराकर किसानों को होने वाले नुकसान के लि‍ए मुआवजा दि‍लाना चाहती है। इस विधेयक को तैयार करने में महाराष्ट्र राज्य के कृषि‍ मंत्री धनंजय मुंडे ने अहम भूम‍िका निभाई है। 

खासतौर पर किसानों को इन नियमों का रखना होगा ध्यान

विधेयक में कहा गया है कि कि‍सान जब भी खाद, बीज और कीटनाशक की खरीद करते हैं, तो खासतौर पर उन्हें उसका बिल अवश्य लेना चाहिए। जिससे गड़बड़ी करने वाली निर्माता कंपनी के खि‍लाफ आधार तैयार किया जा सके। सरकार द्वारा गठित कमेटी के पास शिकायत देने के लिए किसान को शिकायत (Complaint) के साथ बीज, खाद या कीटनाशक की खरीद से संबंधित बिल की फोटोप्रति, उनके बैग या कंटेनर के साथ निशान या लेबल, यदि कोई हो तो उसे संलग्न करना होगा। यदि बीज का खराब अंकुरण हुआ है, तो बुवाई के 20 दिनों की अवधि के भीतर शि‍कायत दर्ज करनी होगी। बीज उत्पादकों के दावों के विरुद्ध कीटों और बीमारियों के संक्रमण का मामला आता है, तो घटना को नोटिस करने के बाद 48 घंटे के भीतर शि‍कायत देनी होगी। इसी प्रकार खाद के मामले में, फाइटोटॉक्सिसिटी की घटना नोटिस होने पर 48 घंटे की समय अवधि में शि‍कायत दाखि‍ल करनी होगी। कीटनाशकों के मामले में यदि स्प्रे करने के बाद भी फसल पर कीटों और बीमारियों का संक्रमण का मामला आता है, तो  भी शि‍कायत 48 घंटे के अंदर दायर करनी होगी। 

सरकार द्वारा किया जाएगे ये काम 

विधेयक में बताया गया है कि शिकायत प्राप्त होने के बाद, तालुका कृषि अधिकारी मामले की जांच के लिए तत्काल जांच समिति को भेजेगा। फसल नुकसान के आकलन और मूल्यांकन के लिए जांच समिति प्रशासन गठि‍त करेगा। इसमें कृषि विभाग के अधिकारी, संबंधित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक या कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और बीज, खाद या कीटनाशक जो भी प्रासंगिक अधिनियम होगा। उसके निरीक्षक शामिल होंगे। शिकायत प्राप्त होने के तुरंत बाद ही जांच एजेंसी विस्तृत जांच के लिए शिकायतकर्ता के संबंधित क्षेत्र का दौरा करेगी। जांच समिति उत्पादक और शिकायतकर्ता के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में निरीक्षण करेगी। जांच समिति अपने निरीक्षण निष्कर्षों की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी। वहीं, संबंधित कृषि अधिकारी द्वारा शिकायत प्राप्त होने के 10 दिनों के अंदर विचार के लिए जिला प्राधिकरण को भेज देगी। जिला प्राधिकरण, जांच समिति की रिपोर्टों एवं उसके समक्ष  प्रस्तुत अन्य कागजों पर विचार करने के बाद तथा शिकायतकर्ता के साथ-साथ निर्माता, वितरक या विक्रेता को सुनवाई का अवसर देने के बाद, शिकायतकर्ता को सही मुआवजा देने का आदेश दे सकती है। इसके अलावा, निर्माता, वितरक या विक्रेता द्वारा लिखित में वाद दायर करने के बाद इसे निरस्त किया जा सकता है। वहीं, जिला प्राधिकरण, जांच समिति की रिपोर्ट मिलने के तीस दिनों की समय अवधि भीतर या तो मुआवजे की रकम पारि‍त करेगा या शिकायत को अस्वीकार कर देगा।  

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