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आलू की नई किस्म विकसित, 65 दिन में मिलेगी भरपूर पैदावार

आलू की नई किस्म विकसित, 65 दिन में मिलेगी भरपूर पैदावार
पोस्ट -12 फ़रवरी 2024 शेयर पोस्ट

एरोपोनिक तकनीक से आलू की खेती : बिना मिट्‌टी और बिना जमीन के उगेगा गुलाबी आलू

भारतीय खान-पान में आलू की डिमांड हर सीजन में बनी रहती है। आलू के बिना भारतीय रसोई को अधूरी माना जाता है। आलू की खेती से हर साल किसानों को अच्छा खासा मुनाफा मिलता है, इसलिए बड़ी संख्या में किसान आलू की खेती करते हैं। देश में आलू की अधिकांश किस्म 70 से 130 दिनों में पकती है, लेकिन किसानों के बीच कम समय में पकने वाली आलू की किस्में अधिक लोकप्रिय है। अब देश के कृषि वैज्ञानिकों ने आलू की एक ऐसी किस्म विकसित की है जिसे उगाने के लिए न तो मिट्‌टी की जरूरत होगी न जमीन की। आलू की इस किस्म को एरोपोनिक तकनीक से उगाया जा सकता है। यह किस्म 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती है और अधिक उत्पादन देती है। आईये, ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट के माध्यम से आलू की इस नई किस्म के बारे में जानें।

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आलू की नई किस्म अधिक तापमान वाले राज्यों के लिए उपयुक्त, मिलेगा 4 से 5 गुना ज्यादा उत्पादन

भारत में चावल, गेहूं व गन्ने के बाद आलू का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। आलू उत्पादन में उत्तरप्रदेश नंबर वन राज्य है। यहां आलू की कुफरी बहार किस्म सबसे ज्यादा बोई जाती है, क्योंकि आलू की यह किस्म सबसे ज्यादा उत्पादन देने के लिए प्रसिद्ध है। अब कृषि वैज्ञानिकों ने आलू की एक नई किस्म विकसित करने में सफलता हासिल की है। इस नई किस्म सामान्य किस्मों की तुलना में 4 से 5 गुना ज्यादा पैदावार देने में सक्षम है। पोषण से युक्त यह किस्म 60 से 65 दिन में तैयार हो जाती है। आलू की यह किस्म ज्यादा तापमान वाले राज्यों जैसे राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और पंजाब के लिए उपयुक्त है।

गुलाबी रंग का आलू चमकाएगा किसानों की किस्मत

हम आलू की जिस किस्म की बात कर रहे हैं उसे आलू प्रौद्योगिकी संस्थान शामगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। आलू की इस किस्म को एरोपोनिक तकनीक से उगाया जाता है जिसमें न मिट्‌टी की जरूरत होती है न जमीन की। आलू की यह किस्म कई मायनों में बेहद खास है। इस किस्म के उत्पादन में कोकोपीट का इस्तेमाल नहीं होता है। आलू का रंग गुलाबी होता है। इसकी उत्पादन क्षमता दूसरी किस्मों के मुकाबले ज्यादा है। यह किस्म बाजार में नहीं आई है। अभी इसका ट्रायल जारी है। यहां आपको बता दें कि चिप्स कंपनियों में रंगीन आलू की मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में उम्मीद है कि गुलाबी रंग की यह नई किस्म किसानों की किस्मत को चमकाने में आगे रहेगी।

पीले व हरे रंग के आलू भी खेतों में उगेंगे

अलग-अलग रंग के आलू की मांग लगातार बढ़ रही है। यही कारण है कि आलू अपने प्राकृतिक रंग के अलावा कई अलग-अलग रंगों में नजर आने लगा है। हाल ही में आगरा में आलू उत्पादकों के लिए इंटरनेशनल बायर सेलर मीट का आयोजन किया गया है। इसमें आलू चिप्स व आलू प्रोडक्ट बनाने वाली कई कंपनियों ने भाग लिया और रंगीन आलू के प्रति अपनी दिलचस्पी दिखाई। इस सम्मेलन में आलू उत्पादक किसानों ने आलू की रंग-बिरंगी किस्मों का प्रदर्शन किया। कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से आने वाले दिनों में पीले व हरे रंग के आलू भी किसानों के खेतों में उगेंगे। रंगीन आलू से बनी चिप्स की बाजार में अधिक मांग है।

आलू की कूफरी किस्म भारतीय किसानों की पहली पसंद

आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है। भारत में तमिलनाडू और केरल को छोड़कर सभी राज्यों में आलू की खेती की जाती है। आलू उत्पादक प्रमुख राज्यों में उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, पंजाब, असम और मध्यप्रदेश आदि शामिल हैं। आलू की कुफरी किस्म की सबसे ज्यादा खेती होती है। यह किस्म 90 से 100 दिन में तैयार होती है। कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी बहार, कुफरी अशोक, कुफरी बादशाह, कुफरी लालिमा, कुफरी पुखराज, कुफरी सिंदूरी, कुफरी सतलज और कुफरी आनंद अधिक उत्पादन देने वाली आलू की प्रमुख किस्मे हैं। आलू की मुख्य फसल की बुवाई 15 से 25 अक्टूबर के मध्य होती है। जबकि अगेजी किस्म की बुवाई 15 सितंबर के आसपास शुरू हो जाती है। आलू की कुफरी बहार किस्म की वजह से उत्तरप्रदेश आलू उत्पादन में अव्वल है। 90 से 100 दिन में तैयार होने वाली इस किस्म से 250 से 300 क्विंटल उत्पादन प्रति हेक्टेयर मिलता है। ज्यादा उत्पादन की वजह से यह किस्म किसानों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।

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