केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगवार को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ लिमिटेड (NAFSCOB) के हीरक जयंती समारोह एवं ग्रामीण सहकारी बैंकों की राष्ट्रीय बैठक में भाग लिया। इस अवसर पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने देश की संपूर्ण तरक्की के लिए सहकारी बैंकों से आगे आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अभी देश के तीन सौ जिलों में सहकारी बैंक हैं। चुनाव में जाने से पहले इसमें 50 प्रतिशत की वृद्धि करनी है। राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ लिमिटेड के हीरक जयंती समारोह व ग्रामीण सहकारी बैंकों की राष्ट्रीय बैठक को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS), ज़िला और राज्य सहकारी बैंक के त्रिस्तरीय ढांचे के बिना भारत की खेती, किसानों और गांवों द्वारा आज़ादी के 75 साल की यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करना असंभव था। भारत जैसे विशाल देश में करीब 13 करोड़ किसानों को बिना किसी तकलीफ के लघु अवधि का कृषि ऋण (शॉर्ट-टर्म एग्रीकल्चर लोन) मिलने की व्यवस्था ने पूरे देश के किसानों और कृषि क्षेत्र में नई जान डालने का काम किया है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि ज़िला स्तरीय और राज्यस्तरीय बैंकों ने न सिर्फ लघु अवधि के कृषि ऋण की चिंता की, बल्कि सामूहिक खेती, जल प्रबंधन, खेती में काम आने वाली सारी सामग्री और व्यक्तिगत काम से लेकर गांव को मज़बूत करने के हर काम में प्राण फूंकने का काम भी ज़िला स्तरीय बैंक और PACS ने किया है जिसे राज्य सहकारी बैंकों ने आधार दिया है। उन्होंने कई क्षेत्रों में राज्य और जिला स्तरीय सहकारी संस्थाओं में सहकारी भावना के "कमजोर" होने पर चिंता भी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सच्चे सहयोग का मतलब सामूहिक समृद्धि और समान लाभ साझा करना है। मंत्री ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में 2 बाधाएं हैं – सीमलैस कानूनी ढांचे के तहत समानता का व्यवहार न मिलना और पिछले 75 साल में आई बुराइयों को ढूंढकर उन्हें दूर करना। हम इन दोनों बाधाओं को दूर कर लेते हैं तो अगले 5 साल सहकारिता क्षेत्र के लिए निर्णायक क्षण साबित होंगे। उन्होंने कहा कि भारत के सहकारिता क्षेत्र में विश्वभर की सहकारिता क्षेत्र का मार्गदर्शन करने की क्षमता है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार, पैक्स के माध्यम से लॉन्ग टर्म फाइनेंस की संभावना भी खोज रही है, जिससे पैक्स के बिजनेस में भी बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा, जब तक PACS तकनीक से लैस नहीं होते, इनके एडमिनिस्ट्रेशन में पारदर्शिता नहीं आती और इनकी वायबिलिटी में कोई तकलीफ है, तब तक ज़िला और राज्य बैंक स्वस्थ नहीं रह सकते। इसके लिए उन्होंने NAFSCOB से PACS के अब तक की परंपरागत कार्यशैली में बदलाव करने, नये युवाओं को कोऑपरेटिव्स में बल्कि PACS के कामकाज के साथ जोड़ने और कम लागत वाली जमा पूंजी को बढ़ाने पर ध्यान देने के लिए कहा है। आज जिला सहकारी बैंकों के पास 4.31 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि है और राज्य सहकारी बैंकों के पास 2.42 लाख करोड़ रुपए जमा हैं। यह क्षेत्र लगभग 4,281 करोड़ रुपए का संयुक्त लाभ उत्पन्न करता है। सहकारिता मंत्री ने कहा कि ज़िला सहकारी बैंक की सारी कोऑपरेटिव्स के बैंकअकाउंट अगर ज़िला सहकारी बैंक में आ जाते हैं तो अपने आप 20 प्रतिशत लो कॉस्ट डिपॉजिट में वृद्धि हो जाएगी और जब लो कॉस्ट डिपॉजिट बढ़ता है, तो मुनाफा भी अपने आप बढ़ जाएगा और ऋण देने की क्षमताभी बढ़ेगी।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि जब तक हम पैक्स को मजबूत नहीं करते तब तक ज़िला सहकारी बैंक के कोई मायने ही नहीं है और पैक्स को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार ने कई शुरुआत की हैं। उन्होंने कहा कि अब पैक्स प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र भी चला सकते हैं, डेयरी भी चला सकते हैं, मछुआरा समिति भी चला सकते हैं और लगभग 744 पैक्स को ड्रग लाइसेंस भी मिल गए हैं। इसके साथ ही पैक्स को फर्टिलाइजर का लाइसेंस भी मिला है और लगभग 39,000 पैक्स आज कॉमन सर्विस सेंटर(CSC) बन चुके हैं और गांवों में 300 से ज्यादा सेवाएं देने का काम कर रहे हैं।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज NAFSCOB में 34 स्टेटकोऑपरेटिव बैंक, 352 ज़िला स्तरीय सहकारी बैंक और 105000 पैक्स हैं, जिनमें फिलहाल लगभग 65000 कार्यरत हैं। इस पूरे तंत्र को एक होकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का लक्ष्य आने वाले वर्षों में जिला सहकारी बैंकों की संख्या को मौजूदा 300 से 50 प्रतिशत तक बढ़ाना है। अगले 5 साल में देश के 80 प्रतिशत जिलों में ज़िला सहकारी बैंक खोले जाएंगे यानी डेढ़ सौ जिलों में सहकारी बैंक बनेंगे, जिससे कोऑपरेटिव सेक्टरको मजबूती मिलेगी। शाह ने कहा कि सहकारिता के भाव को मजबूत करने के लिए गांव की हर समस्या PACS की समस्या होनी चाहिए, जिले की हर समस्याज़िला कोऑपरेटिव बैंक की समस्या होनी चाहिए और राज्य की हर समस्या राज्य कोऑपरेटिव बैंक की समस्या होनी चाहिए। सहकारिता में अगर हमें जनता का विश्वास अर्जित करना है तो पारदर्शिता बहुत महत्वपूर्ण है और पारदर्शिता के लिए PACS, ज़िला कोऑपरेटिव बैंक और राज्य कोऑपरेटिव बैंक में शुरुआत करनी चाहिए।
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