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एमएसपी 2023-24: रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि, जानें किस फसल पर कितनी हुई बढ़ोतरी

एमएसपी 2023-24: रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि, जानें किस फसल पर कितनी हुई बढ़ोतरी
पोस्ट -20 अक्टूबर 2022 शेयर पोस्ट

गेहूं, चना, जौ, सरसों सहित कई अन्य रबी की फसलों का एमएसपी 500 रुपए तक बढ़ाया

दरअसल अभी अक्टूबर का महीना चल रहा हैं। देशभर में खरीफ फसलों का सीजन पीक पर है। किसान मंडियों में अपनी फसल बेचने के लिए पहुंच रहे हैं। बता दें कि अक्टूबर में खरीफ फसलों की कटाई और बाजार में आवक शुरू हो जाती है। ऐसे में केंद्र एवं राज्य की सरकारें किसानों से खरीफ फसलों की एमएसपी पर सरकारी खरीद कर रही है। जिनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तमिलनाडु राज्य में सरकारें किसानों से एमएसपी पर खरीफ फसलों की सरकारी खरीद कर रही है। इसी बीच केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों को दिवाली का तोहफा देते हुए रबी की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया है। सरकार ने रबी विपणन वर्ष 2023-24 के लिए रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिया है। इस बार रबी फसलों के एमएसपी में 500 रुपए प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी की गई है। गेहूं, और दालों के साथ-साथ केंद्र सरकार ने रबी की 6 अन्य फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी की है। केंद्र सरकार के इस फैसले से किसानों को लाभ होगा। जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले मोदी सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 12वीं किस्त के 2-2 हजार रुपए किसानों के खाते में ट्रांसफर भी किए है।

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किस फसल पर कितनी एमएसपी बढ़ोतरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट में किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने रबी विपणन वर्ष 2023-24 के लिए रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिया है। सरकार ने गेहूं, चना, जौ, सरसों सहित 6 फसलों की एमएसपी में 500 रुपये प्रति क्विंटल तक का इजाफा किया है। उन्होंने बताया कि सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 110 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 2,125 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।  

  • जो का समर्थन मूल्य 100 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 1,735 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। 

  • चना का समर्थन मूल्य 105 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 5,335 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। 

  • मसूर का समर्थन मूल्य 500 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 6,000 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। 

  • सरसों-कैनोला का समर्थन मूल्य 400 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 5,450 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। 

  • इसी प्रकार कुसुम का समर्थन मूल्य 209 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 5,650 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। सरकार की ओर से सभी रबी फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी की गई है ताकि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल सके।

रबी विपणन सीजन वर्ष 2018-19 की बजट घोषणा के अनुरूप बढ़ोत्तरी 

कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि विपणन सीजन 2023-24 के लिए रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के 1.5 गुना के स्तर पर तय किया गया है। सफेद सरसों और सरसों के लिए अधिकतम रिटर्न की दर 104 प्रतिशत है, इसके बाद गेहूं के लिए 100 प्रतिशत, मसूर के लिए 85 प्रतिशत है, चने के लिए 66 प्रतिशत, जौ के लिए 60 प्रतिशत और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है। मिली जानकारी के अनुसार सीसीईए ने फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) और मार्केटिंग सेशन 2023-24 में 6 रबी फसलों के लिए एमएसपी में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि गेहूं की उत्पादन लागत 1,065 रुपये प्रति क्विंटल रहने का अनुमान है।

क्या होता है एमएसपी या मिनिमम सपोर्ट प्राइज?

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने बयान में कहा कि एमएसपी या मिनिमम सपोर्ट प्राइज यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य वह गारंटेड मूल्य है, जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। फिर चाहे बाजार में उस फसल की कीमतें कम हो। यह सरकार द्वारा तय किया जाता है। सरकार हर फसल सीजन से पहले सीएसीपी यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस की सिफारिश पर एमएसपी तय करती है। यह एमएसपी पूरे देश में एक समान रूप से लागू होता है। यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है तो उसकी बाजार में कीमतें कम होती हैं, तब एमएसपी उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइज का काम करती है। यह एक तरह से कीमतों में गिरने पर किसानों को बचाने वाली बीमा पॉलिसी की तरह काम करती है। इससे बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे। किसान एमएसपी पर अपनी फसल बेचे या ना बेचे इसके लिए वे स्वतंत्र है। 

किसी प्रकार तय किया जाता है एमएसपी या मिनिमम सपोर्ट प्राइज?

सरकार हर फसल सीजन से पहले सीएसीपी यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस की सिफारिश पर एमएसपी तय करती है। सरकार हर साल धान, गेहूं, मक्का, जौ, बाजरा, चना, तुअर (अरहर), मूंग, उड़द, मसूर, सरसों, सोयाबीन, सूरजमूखी, गन्ना, कपास, जूट आदि फसलों सहित रबी सीजन और खरीफ सीजन की कुल 23 फसलों का एमएसपी तय करती है। इसमें अनाज की 7, दलहन की 5, तिलहन की 7 और 4 कमर्शियल फसलों को शामिल किया गया है। इसके अलावा गन्ने की फसल का एमएसपी गन्ना आयोग द्वारा तय किया जाता है। सीएसीपी यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस फसलों की एमएसपी फसल की कुल लागत के आधार पर तय करती है। जिसमें फसल की कुल लागत जिसमें मजदूरी, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई शुल्क, शामिल किया जाता है।

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