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मालवी गाय : गाय के इस उन्नत नस्ल से दुगुनी होगी किसानों की आमदनी

मालवी गाय : गाय के इस उन्नत नस्ल से दुगुनी होगी किसानों की आमदनी
पोस्ट -23 जुलाई 2023 शेयर पोस्ट

मालवी गाय : सामान्य गाय से डेढ़ गुना ज्यादा दूध देती है यह नस्ल, मिलेगा 4.5 फीसदी ज्यादा फैट

पशुपालक किसानों को कई बार गौवंश से कम दूध मिलने की समस्या का सामना करना पड़ता है। हालांकि इसके पीछे कई फैक्टर्स (कारक) होते हैं जिसकी वजह से गायों में दूध की कमी होती है। लेकिन सबसे सामान्य फैक्टर गाय की अच्छी नस्ल का ना होना होता है। भारत विश्व का सबसे ज्यादा पशुधन वाला देश है। जितने ज्यादा पशु हमारे देश में है, इतने किसी भी अन्य देश में नहीं मिलते हैं। इसके बावजूद दूध उत्पादन के मामले में हम कई विकसित देशों के सामने कहीं नहीं ठहरते। अमेरिका, इंग्लैंड जैसे देशों में दूध का उत्पादन बड़े स्तर पर होता है, वहां के किसान भी भारतीय किसानों की अपेक्षा बेहद समृद्ध और खुशहाल हैं। इन देशों में किसानों द्वारा गाय की अच्छी नस्लों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। अच्छी से अच्छी नस्लों के पशुओं का पालन कर, दूध का अच्छा उत्पादन लिया जाता है। मध्यप्रदेश की मालवी गाय ऐसी ही एक अच्छी और उन्नत भारतीय किस्म है। मालवा पठार के इलाकों में पाई जाने वाली गाय की यह नस्ल काफी सुंदर, बड़ी और सुडौल होती है। इसका दूध कई औषधीय गुणों से पूर्ण होता है, साथ ही अच्छे उत्पादन के साथ यह अधिक मात्रा में फैट भी प्रदान करती है।

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ट्रैक्टर गुरु के इस पोस्ट में हम मालवी गाय की नस्ल के बारे में, दूध उत्पादन की मात्रा, गाय की खासियत आदि के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

क्या है मालवी गाय की खासियत

मालवी गाय को महादेवपुरी और मंथनी नाम से भी जाना जाता है। यह दिखने में बहुत सुंदर, बड़ी और सुडौल होती है। इस गाय को उज्जैन, शाजापुर, देवास, रतलाम आदि जिलों में प्रमुखता से पाला जाता है। इस गाय के दूध में कई औषधीय गुण है। इस दूध के सेवन से इम्यून सिस्टम अच्छा होता है। इस दूध का सेवन करने वाले लोग काफी कम बीमार पड़ते हैं। साथ ही कई रोगों में डॉक्टर इस दूध का सेवन करने की सलाह देते हैं। जैसे अस्थमा, टीबी आदि। इसके अलावा कैल्शियम से कमी से होने वाले रोगों में इस दूध के सेवन करने की सलाह दी जाती है। इस दूध में सामान्य दूध की अपेक्षा वसा यानी फैट और कैल्शियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इस पठारी गाय में बीमारियां भी कम देखने को मिलती है।

कहां मिलेगी यह गाय 

यह गाय मालवा पठार के इलाकों में पाई जाती है। हालांकि इस गाय की लोकप्रियता को देखते हुए किसान इसे देश के कई इलाकों में पाल रहे हैं। यह गाय मध्यप्रदेश राज्य में काफी प्रसिद्ध है। इस गाय का सांस्कृतिक महत्व भी है। मालवा के क्षेत्रीय लोगों का इस गाय के साथ खास जुड़ाव देखने को मिलता है। लगातार अच्छी मात्रा में दूध देने की वजह से बहुत सारे किसानों की फाइनेंशियल कंडीशन इस गाय से प्रभावित होती है

कितना दूध देती है मालवी गाय

मालवी गाय दूध उत्पादन के मामले में कंसिस्टेंट (लगातार अच्छा मुनाफा देने वाली) होती है। सामान्य गायों की अपेक्षा यह ज्यादा समय तक दूध देती है। भारत में ज्यादातर गायें 8 से 10 लीटर औसतन दूध देती है। लेकिन मालवी 15 से 20 लीटर दूध का उत्पादन करती है। यह दिखने में मनमोहक होती है। अच्छी सुडौल और बड़ी गाय होने की वजह से भी ज्यादातर किसान इसे पालना पसंद करते हैं।

मालवी गाय के दूध की खासियत

  • इस गाय के दूध में औषधीय गुण मौजूद होते हैं।
  • दूध में सामान्य गाय की अपेक्षा 4.5 फीसदी ज्यादा फैट यानी वसा पाया जाता है।
  • इस दूध में खास प्रकार के प्रोटीन होते हैं, जो मानव शरीर के लिए काफी अच्छे होते हैं।

मालवी गाय की कितनी कीमत है

यह गाय किसानों को 25 से 50 हजार रुपए की कीमत में आसानी से मिल जाती है। देखा जाए तो सामान्य गायों की कीमतें भी इतनी ही होती है। लेकिन मालवी गाय बेहद खास होती है। लोग इसे हैदराबाद में भी पालते हैं। 

मालवी नस्ल की खासियत / बनावट / विशेषताएं

मालवी नस्ल कई मायनों में खास है। यह गाय सुंदर होने के साथ-साथ काफी मजबूत भी होती है। मजबूत होने की वजह से ही लोग इस गाय का उपयोग सामान ढोने आदि कार्यों के लिए भी कर लेते हैं। बैल गाड़ी के साथ भी इस गाय को जोड़ा जा सकता है और यह नॉर्मल वजन खींच सकती है। जैसे घास की गठरी, खाद बीज की सामान्य मात्रा आदि। इस गाय के पैर छोटे होते हैं लेकिन बेहद मजबूत होते हैं। पैर के नाखून भी काले और मजबूत होते हैं। इसके अलावा भी इस गाय की कुछ विशेषताएं हैं, जैसे : 

  • मालवी गाय के गर्दन, कंधे और कूबड़ का रंग भूरा और काला होता है। साथ ही इस गाय के कूबड़, सामान्य गाय की अपेक्षा ज्यादा मांसल और उत्थल होते हैं।
  • आंखों के आसपास के बाल काले रंग के होते हैं। इस गाय का सिर यानी माथा भी छोटा होता है जबकि मुंह की चौड़ाई ज्यादा होती है। मुंह चौड़ा होने के साथ साथ थोड़ा ऊपर की ओर मुड़ा हुआ होता है।
  • इस गाय के पैर छोटे होते हैं, सिंग बड़े और बाहर की ओर मुड़े होते हैं।
  • इस गाय के कान छोटे और पीठ बिलकुल सीधी और बहुत मजबूत होती है।
  • इसकी पूंछ औसत लंबी होती है, ज्यादा लंबी नहीं होती।
  • इस गाय के वजन की बात करें तो औसत वजन 350 किलोग्राम होता है।
  • कच्चे रास्तों और सवारी ढोने में भी इसे उपयोग में लाया जा सकता है।
  • अच्छी मजबूती और रोग प्रतिरोधक क्षमता होने की वजह से यह गाय जल्दी बीमार भी नहीं पड़ती।
  • मालवी बैल का औसत वजन 500 किलोग्राम होता है।
  • यह गाय एक ब्यांत में 900 किलोग्राम तक दूध देती है।

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