किसानों को अच्छी कमाई हो इसके लिए जरूरी है कि अच्छी डिमांड वाली खेती की जाए। लेटस के पत्तों की खेती एक ऐसी ही खेती जो काफी ज्यादा पौष्टिक और औषधीय गुणों से पूर्ण है। आयरन और दूसरे मिनरल्स की मात्रा इसके पौधों की काफी अच्छी खासी देखने को मिलती है। लेटस एक विदेशी फसल है। अच्छे होटलों में इसकी डिमांड देखने को मिलती है। गाजर, मूली, चुकंदर, प्याज आदि की तरह ही लेटस के पत्तों का भी उपयोग किया जाता है। खाने में लेटस काफी ज्यादा स्वादिष्ट होता है और यह लाल और हरे रंग का होता है। देश-विदेश में इसकी कई प्रजातियां पाई जाती है। जिनकी खेती कर किसान काफी अच्छी कमाई कर पाते हैं। ठंड के मौसम में उसकी पैदावार काफी अच्छी होती है। यही वजह है कि यह एक गर्म प्रकृति का सलाद है। किसान इस सलाद को सीधे होटल में सप्लाई करके अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।
ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट में हम लेटस की खेती के बारे में भूमि, जलवायु, खेत की तैयारी, बुआई और कटाई आदि के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
लेटस की खेती से फायदे
लेटस की खेती आसानी से किसान ठंड के मौसम में कर सकते हैं। लेटस के पत्तियों की मांग बड़े-बड़े होटलों में ज्यादा होती है। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन और विटामिन सी की मात्रा प्रचुर होने की वजह से इसे एक पौष्टिक सलाद के तौर पर उपयोग में लाया जाता है। यह मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक है। यह कम कैलोरी वाला सलाद है, यही वजह है कि इस सलाद का उपयोग मोटापा दूर करने के लिए भी किया जाता है।
भूमि
लेटस की खेती के लिए लगभग सभी प्रकार की जमीन उपयुक्त होती है। हल्की बलुई या दोमट मिट्टी या मटियार दोमट मिट्टी इस फसल की खेती के लिए उपयुक्त होती है। तुरंत जल निकासी वाली मिट्टी इस फसल के लिए अच्छी नहीं होती। इस फसल के लिए जमीन में पानी रोकने की क्षमता हो तो फसल की पैदावार अच्छी हो पाती है।
जलवायु
लेटस की खेती के लिए उचित जलवायु की बात करें तो यह अधिक सर्दी में नहीं बल्कि 12 से 15 डिग्री का तापमान हो तो ज्यादा विकास कर पाती है। इससे ज्यादा तापमान होने पर फसल बीज बनने लगता है और पत्तियों के स्वाद में परिवर्तन आ जाता है। इसलिए पहले ही इसे काट कर होटलों में सप्लाई कर दिया जाना चाहिए।
कब करें बुआई
लेटस की बुआई सितंबर से नवंबर महीनों में की जाती है। पहाड़ी इलाकों में इसकी बुआई फरवरी से जून के बीच कर ली जाती है।
कब करें फसल की कटाई
जब पत्ता पूरी तरह विकसित हो जाए तो इसकी कटाई शुरू कर दें। नर्म पत्तियों को एक सप्ताह के अंतराल में काटना शुरू कर दिया जाना चाहिए। मार्च के अंत तक फसल की कटाई रोक दें। क्योंकि इसके बाद लेटस के पत्तों का रंग दूधिया हो जाता है।
खाद एवं उर्वरक एवं जमीन की तैयारी
2 से 3 बार मिट्टी को पलटने वाले हल से पहले खेत की जुताई कर लें और खेत को पाटा लगाकर भूरभूरी कर लें। खेत में सड़ी हुई गोबर या कार्बनिक खाद डालें या केंचुआ खाद भी डाल सकते हैं। कम से कम केमिकल उर्वरक का प्रयोग करें। इससे आप अपने उत्पाद को ऑर्गेनिक का टैग देकर बेच पाएंगे और अच्छी खासी कमाई कर पाएंगे। नाइट्रोजन या यूरिया का उपयोग 120 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, जबकि फॉस्फेट 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, और पोटाश 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से करना चाहिए।
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