Narvai Burning Incident : देश के अधिकांश क्षेत्रों में गेहूं फसल की कटाई का कार्य अंतिम दौर में है। वहीं, कुछ इलाकों में किसान अपने खेतों से अतिरिक्त कमाई करने के लिए गेहूं की कटाई के बाद मूंग, उड़द और मोठ की ग्रीष्मकालीन खेती करते हैं। बिजाई के लिए गेहूं की फसल कटाई के बाद कुछ किसान गेहूं की नरवाई (अवशेष) को जला देते हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषण के साथ खेत की मिट्टी में मौजूद मित्र सूक्ष्म जीवाणु मर जाते हैं, जिसके कारण भूमि की उत्पादन क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में गेहूं किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना है। कहा जा रहा है कि अब गेहूं की फसल अवशेषों को खेतों में जलाने वाले किसानों पर अर्थदण्ड लगाने की तैयारी राज्य शासन द्वारा कर ली गई है।
सरकार के दिशा-निर्देश अनुसार, खेत में नरवाई को जलाकर नष्ट करने वाले किसानों पर ढाई हजार से 15 हजार रुपए तक का जुर्माना (Fine up to Rs 15,000) लगाया जाएगा। किसान गेहूं की कटाई के बाद फसल के अवशेष जलाते हैं। कृषि विभाग (Agriculture Department) के अनुसार, जमीन की सतह का तापमान 60 से 65 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाता है। ऐसी दशा में भूमि में पाए जाने वाले लाभदायक जीवाणु एवं मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरता घट जाती है और जमीन बंजर हो जाती है। ऐसे में नरवाई जलाने वाले गेहूं किसान सावधान हो जाए, क्योंकि विभाग द्वारा खेतों में सेटेलाइट मैपिंग के जरिए निगरानी की जा रही है। साथ ही किसानों से अनुरोध किया गया है कि गेहूं की कटाई के बाद खेतों में नरवाई न जलाए, क्योंकि यह दण्डनीय अपराध है।
गेहूं के फसल अवशेष जलाने से फैलने वाले वायु प्रदूषण पर अंकुश, अग्निकांड दुर्घटना रोकने और जान-माल की रक्षा के उद्देश्य से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के दिशा-निर्देशों के तहत कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी आशीष सिंह द्वारा पहले ही आदेश जारी कर इंदौर जिले में गेहूं फसल के अवशेष (नरवाई) आदि जलाने पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया जा चुका है। आदेश का उल्लंघन करने वाले किसानों पर भारतीय दण्ड विधान की धारा-188 के तहत कार्रवाई सुनिश्चित होगी तथा किसी ने फसल अवशेष जलाए तो उस पर पर्यावरण मुआवजा के तौर पर जर्माना लगाया जाएगा। वहीं, मध्य प्रदेश के सतना जिले में जिला कलेक्टर के निर्देश के बाद सेटेलाइट के माध्यम से जिले भर में नरवाई जलाने वाले किसानों के खेतों में सेटेलाइट मैपिंग के माध्यम से निगरानी की जा रही है। ऐसे में नरवाई जलाते पाए जाने वाले किसानों को जुर्माने के रूप में भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि नरवाई जलाना दण्डनीय अपराध है। इसलिए जिला प्रशासन ने नरवाई जलाने वाले किसानों के ऊपर दंडात्मक कार्रवाई करते हुए अर्थदण्ड लगाने का प्रावधान तय कर दिया है। शासन के प्रावधान के अनुसार, अगर दो एकड़ या इससे कम भूमि धारक किसान खेत में नरवाई जलाने की घटना को अंजाम देते हैं, तो उन्हें 2500 रूपए प्रति घटना के हिसाब से जुर्माना देना पडे़गा। वहीं, दो एकड़ से अधिक व पांच एकड़ से कम भूमि धारक को 5 हजार रूपए प्रति घटना और पांच एकड़ से अधिक भूमि धारक किसान को 15 हजार रूपए प्रति घटना के हिसाब से जुर्माना भरना पड़ेगा। हार्वेस्टर मशीन संचालकों को हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा रीपर (भूसा बनाने की मशीन) लगाकर कटाई करनी अनिवार्य है। अगर कोई किसान बिना स्ट्रॉ रीपर मशीन के फसल काटने के लिए दबाब डालता है, तो उसकी सूचना हार्वेस्टर मशीन संचालक संबंधित पुलिस थाने, ग्राम पंचायत सचिव या ग्राम पंचायत निगरानी अधिकारी को देगा।
उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास, इंदौर के अनुसार, गेहूं की नरवाई जलाने से भूमि की ऊपरी परत पर मौजूद लाभदायक जीवाणु मर जाते हैं, और जो लाभदायक जैव विविधता क्रिया उन सूक्ष्म जीव द्वारा की जाती है वह भी समाप्त हो जाती है, जिससे भूमि में अम्लीयता बढ़ती है और मृदा की उर्वरक क्षमता को अत्यधिक क्षति पहुंचती है। सूक्ष्म जीवाणुओं की सक्रियता घटने लगती है एवं भूमि की जलधारण क्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। किसान अगर कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई के साथ ही भूसा बनाने की मशीन को प्रयुक्त कर अगर नरवाई से भूसा बनाएंगे तो पशुओं के लिए भूसा मिलेगा और फसल के अवशेषों का बेहतर प्रबंधन किया जा सकेगा। इसके अलावा, किसान रोटावेटर व कृषि यंत्रों के माध्यम से जुताई कर खेत में मिला दें, इससे जमीन में मौजूद मित्र कीट इसे खाकर नष्ट कर देते हैं और यह जैविक खाद के रूप में खेतों की उर्वरक क्षमता बराबर बनाए रखती है।
कृषि विभाग के अनुसार, अभी सतना जिले में करीब 157 घटनाएं सेटेलाइट से मैपिंग के जरिए सामने आ चुकी है, यदि कोई भी किसान ऐसा करता मिलता है या कोई ऐसी सूचना देता है, तो तत्काल उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। वहीं, एडीएम तराना द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के माकड़ौन तहसील के ग्राम रूपाखेड़ी निवासी लोकेंद्र सिंह पिता कमल सिंह द्वारा शिकायत दर्ज की गई कि उनके स्वामित्व की भूमि के पास स्थित शासकीय भूमि पर जीवन सिंह पिता बने सिंह देवड़ा द्वारा अवैध कब्जा कर नरवाई में आग लगाई गई है। प्रकरण की जांच के उपरांत प्रावधान अनुसार जीवन सिंह पिता बने सिंह देवड़ा पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु 2500 रुपये का अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया है।
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