Stubble Burning : किसानों को पराली के बदले मिलेगी गोबर की खाद

पोस्ट -20 नवम्बर 2024 शेयर पोस्ट

पराली के बदले किसानों को मिलेगी अच्छी गुणवत्ता वाली गोबर की खाद, जानिए पूरी खबर 

किसान खेतों में पराली (फसल अवशेष) नहीं जलाए, इसके लिए राज्य सरकारों द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश का कृषि विभाग युद्ध स्तर पर पराली प्रबंधन पर काम करने में जुटा हुआ है। खेतों में बचे फसल अवशेष यानी पराली को किसान आग न लगाए, इसके लिए योजनाओं के तहत प्रोत्साहित किया जा रहा है। साथ ही सीटू और एक्स सीटू फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) कृषि यंत्रों /मशीनों पर किसानों को अनुदान लाभ भी दिया जा रहा है। इसके अलावा, पराली जलाने वाले आरोपी किसानों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई भी कृषि विभाग द्वारा की जा रही है। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश के औरैया में अभी जिला कलेक्टर द्वारा किसानों के लिए एक खास योजना चलाई गई है, जिसके तहत किसानों को अब पराली जलाने से निजात मिलेगी। साथ ही उन्हें पराली के बदले अच्छी गुणवत्ता वाली गोबर की खाद दी जाएगी। इस जिला योजना के तहत किसान धान की पराली (paddy straw) को गौ-शालाओं को दे सकते हैं और बदले में गोबर की कंपोस्ट खाद ले सकते हैं। इससे पराली का उचित प्रबंधन होगा और जैविक खेती को बढ़ावा भी मिलेगा। साथ ही किसान अपने खेतों की उपजाऊ शक्ति में भी सुधार कर सकेंगे। 

इसलिए बनाई ये योजना (That's why I made this plan)

उत्तर प्रदेश के औरैया जिला प्रशासन ने किसानों के लिए एक अनूठी पहल शुरू की है। जिले के अधिकारी किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वो अपने खेतों में फसल अवशेष यानी पराली जलाने की बजाए, उसका उपयोग खाद बनाने के लिए करें। इसके लिए औरैया जिलाधिकारी ने पराली के बदले गोबर की खाद योजना चलाई है। जिला प्रशासन की इस योजना का मकसद किसानों को पराली जलाने से रोकना और बढ़ रही प्रदूषण की समस्या को कम करना है। जिला अधिकारी की यह पहल काफी सराहनीय है और यह योजना किसानों की सुविधा के लिए बनाई गई है, जिससे किसान पराली ना जला सकें और उन्हें जुर्माना भी ना देना पड़े। 

जानकारी के लिए बता दें कि किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने से प्रदूषण की समस्या सामने आती है। वहीं, पराली जलाने वाले किसानों से मोटा जुर्माना वसूला जाता है और किसान मंडियों में एमएसपी पर अपनी फसल भी नहीं बेच सकते हैं। 

खेतों के लिए मिल जाएगी अच्छी खाद (Good fertilizer will be available for fields)

इन सभी समस्याओं से किसानों को बचाने के लिए औरेया जिला प्रशासन ने यह पहल की है। इसके तहत किसानों को दो ट्रॉली धान पराली (फसल अवशेष) गौ-शालाओं में देने के बदले एक ट्रॉली गोबर की खाद मिल सकती है। इससे पराली का निस्तारण बिना जलाए हो जाएगा और किसानों को खेतों के लिए अच्छी गुणवत्तायुक्त कंपोस्ट खाद मिल जाएगी। फिलहाल, गौशालाओं के प्रबंधक खेतों से पराली ला रहे हैं, किसान अपने आप नहीं ला रहे हैं। किसानों का तर्क है कि अगर हम गौशालाओं में पराली लेकर आएंगे, तो उसका किराया लगेगा। इसलिए प्रधान द्वारा खेतों में जेसीबी मशीन और ट्राली की व्यवस्था कराई जाए, जिससे पराली की आसान लोडिंग और परिवहन हो सके और किसानों का भाड़ा नहीं लगे।  

राज्य सरकारों द्वारा बनाया गया है कानून

प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि किसान फसल अवशेष (पराली) को जलाने की बजाए पशुओं के चारे के रूप में पशुपालन विभाग को दे सकते हैं और बदले में उनसे खाद ले सकते हैं। औरैया जिला के किसानों ने प्रशासन की इस योजना का स्वागत किया है। पराली जलाने की समस्या उत्तर भारत के लिए लंबे समय एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है। क्षेत्र के अधिकतर किसान खेतों में कटाई के बाद बचे फसल अवशेष यानी पराली को जला देते हैं।  ज्यादातर लोग इसे एयर क्वालिटी खराब होने की वजह मानते हैं। यही वजह है कि कुछ राज्य सरकारों ने इस समस्या से निपटने के लिए पराली जलाने के खिलाफ कानून बनाया है।  

पराली नहीं जलाने पर अनुदान

बता दें कि हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में पराली प्रोत्साहन योजना 2024-25 शुरू की गई है, जिसके तहत किसानों को धान के अवशेषों (पराली) के इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए प्रति एकड़ 1 हजार रुपए का प्रोत्साहन दिया जाएगा। कृषि उप निदेशक डॉ. वजीर सिंह की जानकारी के अनुसार, इस योजना को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार का प्रयास अच्छा रहा है। फसल अवशेष प्रबंधन योजना में आवेदन करने वाले किसानों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना से अधिक की वृद्धि हुई। इस योजना के तहत, अगर किसान खेतों में पराली नहीं जलाते हैं और अवशेष प्रबंधन के लिए सरकारी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाते हैं, तो उन्हें राज्य सरकार की ओर से प्रोत्साहन और सीटू और एक्स सीटू फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों के लिए अनुदान दिया जाता है। इस वर्ष 1690 किसानों ने कृषि यंत्रों के लिए आवेदन किया है। साथ ही पराली प्रबंधन को लेकर किसानों का रुझान भी तेजी से सकारात्मक हो रहा है।

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