जुलाई के महीने में मानसून की बारिश से मौसम में बदलाव हो जाएगा। ऐसे में दुधारू पशुओं और फसलों के संबंध में हर किसान को जागरूक रहना चाहिए। किसान भाई जुलाई में अपने पालतू मवेशियों का खास ध्यान रखकर मौसमी बीमारियों से होने वाली बड़ी हानि से बच सकते हैं। इसके अलावा खेती में फल और सब्जियों की इन फसलों को लगाकर हजारों नहीं लाखों रुपए की जबरदस्त कमाई कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि जुलाई में पशुओं का कैसे रखना है ध्यान और कौनसी सब्जी और फलों की करनी है खेती।
खेती और पशुओं के लिए जुलाई में किए जाने वाले खास काम
जुलाई माह जिसे आषाढ़-श्रावण भी कहा जाता है, जो धरती और मानव जाति को तपती हुई गर्मी से राहत देने के लिए मानसून बारिश लेकर आता है। इस माह में देशभर के हर क्षेत्र में मानसून की वर्षा आरंभ हो जाती है, जिससे मौसम सुहावना बन जाता है। जुलाई महीना जहां मानव समेत पशु, पक्षियों सहित अन्य छोटे-मोटे जीव जन्तुओं को गर्मी से राहत देता है, तो वहीं यह माह कृषि क्षेत्र के लिए बेहद खास होता है। क्योंकि इस माह में कृषि से जुड़े लोग धान सहित खरीफ फसलों में सब्जियों की खेती शुरू करते हैं। इसके अलावा, बागवानी में किसान कई तरह के फल और औषधियों के पौधे भी लगाता है।
दरअसल, इस दौरान रोपे गए पौधे तेजी से विकास करते हैं, क्योंकि बारिश से टेंपरेचर कम हो जाता है और मौसम सुहावना बन जाता है। इससे पौधों को विकास करने के लिए उचित वातावरण मिलता है। ऐसे में किसान भाई जुलाई महीने में कई मुख्य सब्जियों की खेती और फलों की बागवानी से लाखों रुपए की जबरदस्त आमदनी कर सकते हैं। इसके अलावा, किसान भाई बरसात में अपने पालतू पशुओं का खास ध्यान रखकर उन्हें मौसमी बीमारियां और संक्रमण से बचा सकते हैं। आइए जानें, किसान भाई इस महीने में किन मुख्य फल और सब्जियों की खेती कर सकते हैं तथा किस तरह पशुओं का ख्याल रख सकते हैं।
जुलाई माह में लगाएं ये मुख्य सब्जियों की फसल
जुलाई माह खरीफ सीजन की कई मुख्य सब्जियों की खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण महीनों में से एक है। सब्जियों की खेती करने वाले किसान भाई जुलाई महीने में गोभी, टमाटर, स्वीट कॉर्न, बैंगन, ब्रोकली, हरी मिर्च, शिमला, पालक, धनिया, गाजर, मूली, करेला आदि सब्जी फसल की बुवाई कर सकते हैं। क्योंकि इस दौरान सब्जियों की खेती में पानी की समस्या नहीं होती है। बरसात होने से इन्हें पर्याप्त पानी मिल जाता है, जिससे फसल की अलग से कोई सिंचाई नहीं करनी पड़ती है। इस समय लगाई गई सब्जियों की खेती लगभग 2 से 3 महीने में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और इन पर खास खर्च भी नहीं करना पड़ता है। वहीं, सितंबर और अक्टूबर माह के बीच बाजार में सब्जियों की डिमांड काफी अधिक होती है, जिस वजह से इन सब्जियों के भाव काफी अच्छे मिल जाते हैं। ऐसे में किसान भाई जुलाई में इन सब्जियों की खेती कर इनकी पैदावार से अगले दो, तीन महीने तक जबरदस्त कमाई कर सकते हैं।
जुलाई में करें इन फलों की बागवानी
कृषि क्षेत्र में अगर आप फलों की बागवानी करते हैं, तो आप जुलाई में आम, संतरा, चीकू, अनार, बेर, पपीता, लीची, सेव, जामुन, अनानास, अमरुद, अंगूर, शरीफा, नाशपाती, आडू, अंजीर आदि सदाबहार फलों के पौधों की बागवानी कर सकते हैं। बरसात के मौसम में फलों के पौधे भी तेजी से तैयार होते हैं। वहीं, बाजार में इन सभी फलों की डिमांड साल भर बनी रहती है, जिससे इन फलों के भाव भी बाजार में अच्छे रहते हैं। ऐसे में किसान बरसात के मौसम में इन फलों के पौधों की रोपाई कर आने वाले 2 से 4 सालों में इनके उत्पादों से लाखों की कमाई कर सकते हैं। खास बात यह है कि जब यह पौधे पूर्ण रूप से विकसित होकर तैयार हो जाते हैं, तो कई सालों तक लगातार उत्पादन देते हैं। इससे किसानों को एक निश्चित आय कई सालों तक मिलती रहती है।
बारिश के मौसम में पशुओं में होने वाले रोग
अगर आप पशुपालक है और पशुपालन में गाय-भैंस समेत अन्य छोटे-बड़े दुधारू पशुओं का पालन करते हैं तो जुलाई के मौसम में आपको काफी ज्यादा सतर्क होने की आवश्यकता है। क्योंकि बारिश के इस मौसम के दौरान इन्वायरमेंट और टेंपरेचर में काफी बदलाव होते हैं, जिसके कारण छोटे-बड़े जीव, परजीव औेर रोग वाहक कीड़े-मकोड़े पनपते हैं। इनमें से कुुछ प्राकृतिक लाभ पहुंचाने वाले होते हैं, तो कुछ जीव प्रकृति समेत मनुष्य और पशु, पक्षियों को हानि पहुंचाने वाले होते हैं। अक्सर पाया गया है कि बारिश के मौसम के दौरान पालतू और दुधारू पशुओं को लंगड़ा बुखार, गलघोटू, पेट में कीड़ा, दस्त, फड़ सूजन, वायरस, त्वचा रोग आदि जैसी कई मौसमी बीमारियां आसानी से जकड़ लेती है, जिससे पशुओं की मौत तक हो जाती है।
पालतू और दुधारू पशुओं का ऐसे करें बचाव
ऐसे में पशुपालन करने वाले किसानों को बारिश के मौसम में अलर्ट रहना चाहिए। इस दौरान मवेशियों को बारिश में भीगने से बचाना चाहिए। पशुओं के बाड़े और आसपास के स्थान को साफ और स्वच्छ रखना होगा। पशुओं को स्वच्छ और पोषक तत्वों से भरपूर नमी रहित चारा खिलाना होगा। पशुओं के स्वभाव में बदलाव होने पर तुरंत पशु चिकित्सक से सपर्क कर परामर्श करना आवश्यक है। सही समय पर मवेशियों को सभी आवश्यक जरूरी टीके भी लगवाना चाहिए। बरसात के मौसम के दौरान अपने मवेशियों को जितना हो सकें, उन्हें उतना साफ और स्वच्छ रखने का प्रयास करें। इससे संक्रमित बीमारियों के फैलने का खतरा कम होगा।
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