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सेलेरी की खेती : सही समय पर करें अजवायन की खेती, होगा मोटा मुनाफा

सेलेरी की खेती : सही समय पर करें अजवायन की खेती, होगा मोटा मुनाफा
पोस्ट -29 सितम्बर 2023 शेयर पोस्ट

सेलेरी की खेती : अजवाइन की खेती से किसानों की होगी भरपूर कमाई, जानें बुवाई का उचित समय

Celery Farming : अगर आप किसान हैं और किसी ऐसी व्यापारिक फसल की खेती करने की सोच रहे हैं, जो अच्छा उत्पादन और भरपूर मुनाफा दोनों दे सके तो इसके लिए आप सेलेरी (अजवाइन) की खेती कर सकते हैं। सेलेरी एक व्यापारिक फसल है, जिसकी खेती देश के कई राज्यों में मसाले के उद्देश्य से की जाती है। हमारी रसोई में अजवाइन का इस्तेमाल खाना पकाने के मसाले के रूप में किया जाता है। अजवाइन की गंध तेज और तीखी होती है, जिस वजह से यह खाने में स्वाद को बढ़ाती है। इसके अलावा, अजावाइन का उपयोग ब्रेड, बिस्किट, पूरियां और रोटी बनाते समय स्वाद और महक के लिए किया जाता है। अजवाइन में कई प्रकार के औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जिससे इसके उपयोग से शरीर को बहुत सारे फायदे मिलते हैं। पेचिस, हैजा, कफ, ऐंठन और बदहजमी, गले में खराबी, आवाज फटने, कान दर्द, चर्म रोग, दमा आदि कई तरह के रोगों में अजवाइन का प्रयोग काफी फायदेमंद होता है। अजवाइन डाइजेस्टिव फाइबर का एक अच्छा स्रोत होता है, जो पेट की कई तरह की समस्याओं में लाभदायक होता है। जिस वजह से अजवाइन की मांग बाजार में हमेशा रहती है। किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी खेती सितंबर से अक्टूबर महीने में की जाती है। ऐसे में किसान इसकी बुवाई शुरू कर सकते हैं। इस पोस्ट में हम आपको इसकी खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। 

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अजवाइन की खेती करने वाले राज्य

अजवाइन सौंफ तथा जीरे की तरह दिखती है। यह एक ऐसी व्यापारिक फसल है, जिसकी खेती किसानों को लाखों रुपए का मुनाफा दे सकती है। भारत में इसकी खेती महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, बिहार, आंध्रप्रदेश में प्रमुख रूप से होती है। वहीं, राजस्थान के झालावाड़, उदयपुर, कोटा, बूंदी, चितौड़गढ़, बांसवाड़ा, टोंक, भीलवाड़ा और झालावाड़ जिले में अजवाइन की खेती किसानों द्वारा की जाती है। किसान इसकी खेती सही समय और सही तरीके तथा उन्नत किस्म के बीज के माध्यम से करके अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं। 

अजवाइन की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

अजवाइन एक उष्णकटिबंधीय जलवायु का पौधा है। इसकी खेती के लिए सर्दियों का मौसम उपयुक्त रहता है। क्योंकि इसका पौधा सर्दियों में गिरने वाले पाले को बड़ी आसानी से सहन कर अच्छे से विकास करने की क्षमता रखता है। कृषि विशेषाज्ञों के अनुसार, सेलेरी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी वाली भूमि को सबसे उपयुक्त पाया गया है। बेशर्ते भूमि अच्छे जल निकास वाली और उपजाऊ होनी चाहिए। खासकर, इसकी फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5-8 के बीच होना चाहिए। इसकी फसल के अच्छे विकास के लिए 20-25 डिग्री सेल्सियस के तापमान को अच्छा बताया गया है। शुष्क एवं सामान्य ठंडी जलवायु वाले इलाकों में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। 

खेती के लिए अजवाइन की उन्नत किस्में

देखा जाए तो भारत में अजवाइन की कई किस्मों की खेती क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु के आधार पर होती है। लेकिन अच्छी पैदावार और मुनाफा दोनों लेने के लिए किसान इसकी खेती के लिए लाभ सलेक्श 1, लाभ सलेक्श  2  और  एए 1 अजवाइन किस्म का इस्तेमाल कर सकते हैं।  ये तीनों किस्म अजवाइन की उन्नत किस्म है। 
इसमें लाभ सलेक्श 1, लाभ सलेक्श 2 अजवाइन किस्म राजस्थान और गुजरात क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। इन किस्मों की खेती सिंचित और असिंचित दोनों भागों में की जा सकती है। अजवाइन की ये किस्में बीज रोपाई के करीब 135-140 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म की फसल से प्रति एकड़ 8 से 10 क्विंटल उत्पादन प्राप्त होता है। वहीं, अजवाईन की एए1 किस्म की खेती किसी भी क्षेत्र में की जा सकती है। एए1 अजावइन किस्म के बीज रोपाई के लगभग 160-170 दिन के बाद काटने लायक तैयार हो जाती है। इस किस्म की खेती से लगभग 15 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार किसानों को मिल सकती है। बता दें कि नेशनल रिसर्च फॉर सीड स्पाइस, तबीजी, अजमेर द्वारा अजवाइन की इस किस्म को देरी से पैदावार देने के लिए विकसित किया है। 

बीजों की बुवाई और सही समय 

अजवाइन की खेती बीज की बुवाई और पौधों की रोपाई दोनों ही विधि से कर सकते हैं। इसकी खेती में बीजों की बुवाई या पौधों की रोपाई मध्य सितंबर से अक्टूबर के मध्य तक करना उपयुक्त है। अगर अजवाइन की खेती की बिजाई बीज छिड़काव तरीके से करते हैं तो प्रति हेक्टेयर 3-4 किलोग्राम बीजों की आवश्यकता पड़ेगी । बीजों की बुवाई करने से पहले बीज को ट्राइकोडरमाबेडी या बाविस्टीन की उपयुक्त मात्रा से उपचारित करना जरूरी होता है। जिससे पौधे रोग मुक्त अंकुरित हो तथा अच्छी पैदावार दे। वैसे अजवाइन की खेती पौधों की रोपाई विधि से करना ज्यादा सही बताया गया है। 

अजवाइन के बीजों को बोने का तरीका

अगर किसान भाई अजवाइन की खेती बीज की बुवाई विधि के माध्यम से करना चाहते हैं, तो इसके लिए पहले खेत को अच्छे से तैयार करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए खेत की 2 से तीन गहरी जुताई कर मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को नष्ट करें। इसके बाद पुरानी गोबर खाद या कंपोस्ट खाद डालकर कल्टीवेटर के माध्यम खेत की जुताई कर खाद को मिट्टी में मिला दें। उसके बाद खेत में मिट्टी परीक्षण के आधार पर रासायनिक खाद का छिड़काव कर रोटावेटर की मदद से खेत की मिट्टी को भुरभुरी कर समतल बना दें। उसके बाद उचित दूरी रखते हुए क्यारियों को तैयार कर लें। इसके बाद तैयार क्यारियों में अजवाइन के बीजों का छिड़काव कर लोहे की दंताली या हाथों की मदद से बीजों को मिट्टी में एक से डेढ़ सेमी नीचे दबा दें।

पौधों की रोपाई विधि से खेती 

अजवाइन की खेती पौधों की रोपाई तरीके से करने के लिए पहले पौधों की नर्सरी तैयार की जाती है। इसके लिए एक महीने पहले तैयार खेत या फिर प्रो-ट्रे में नर्सरी बैड तैयार करें। नर्सरी बैड तैयार करने के लिए कैल्शियम अमोनिया और सिंगल सुपर-फास्फेट के 150 ग्राम मिश्रण बिजाई से पहले मिलाएं। इसके बाद 8x1.25 मीटर लम्बे और जरूरत के अनुसार चौड़े बैडों पर बीजों की बिजाई करें। बीज बोने के बाद बैडों को गोबर की खाद और मिट्टी दोनों को सही से मिलाकर अच्छे से ढक दें तथा इसके बाद हल्की सिंचाई करें। सिंचाई के लिए फुव्वारे (स्प्रिंकलर) तकनीक सबसे उपयुक्त होगी। बिजाई वाले पौधों को रोपाई मेड़ों पर पौधे से पौधे की दूरी 25 सेमी और मेड से मेड की दूरी 30 सेमी रखते हुए करनी चाहिए। अजवाइन की तैयार नर्सरी (पनीरी) निकलने से पहले बैडों की हल्की सिंचाई करें, जिससे पौधों को आसानी से निकाला जा सकें। 

अजवाइन फसल की कटाई

अजवाइन फसल की कटाई उसके किस्मों के बुवाई के अनुसार की जाती है। अगर किसान अजवाइन की खेती में कम समय में तैयार होने वाली किस्म का इस्तेमाल करते हैं, तो इसकी फसल बुवाई के 135 से 140 दिनों के बाद पककर तैयार हो जाती है। वहीं, अगर इसकी खेती में देरी से पैदावार देने वाली किस्म का इस्तेमाल किया गया है, तो अजवाइन के पौधे की रोपाई के लगभग 160 से 170 दिन बाद फसल पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। अजवाइन की खेती उन्नत किस्मों से करने पर इसकी फसल से किसानों को औसत उपज 8 से 10 क्विंटल प्रति एकड़ तक मिल जाती है। अजवाइन के दाने बाजार में 12 से 20 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिक जाते हैं। जिससे किसान भाई को इसकी एकड़ खेत से करीब एक से 2 लाख रुपए की कमाई हो जाती है। इसमें से खेती लागत 40 हजार रुपए हटा दिए जाए तो एक एकड़ खेत में किसान भाई को 1.60 लाख का शुद्ध मुनाफा हो सकता है। 

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