ट्रैक्टर समाचार सरकारी योजना समाचार कृषि समाचार कृषि मशीनरी समाचार मौसम समाचार कृषि व्यापार समाचार सामाजिक समाचार सक्सेस स्टोरी समाचार

Cotton Crop : कपास की फसल को गुलाबी सुंडी प्रकोप से बचाने के लिए किसान करें ये उपाय

Cotton Crop : कपास की फसल को गुलाबी सुंडी प्रकोप से बचाने के लिए किसान करें ये उपाय
पोस्ट -10 अप्रैल 2024 शेयर पोस्ट

कृषि विभाग ने जारी की सलाह, कपास फसल को गुलाबी सुंडी प्रकोप से बचाने के लिए करें ये उपाय

Pink Ballworm : प्रतिकूल मौसम और बेमौसमी गतिविधियों से कृषि के क्षेत्र में हर साल उत्पादन प्रभावित हो रहा है। भारी बारिश, आंधी तुफान के साथ होने वाली ओलावृष्टि से किसान प्रत्येक फसल सीजन भारी नुकसान झेलना पड़ता है। इसी कड़ी में देश के प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में हर साल कपास की फसल में गूलाबी संडी (पिंक बॉलवर्म) का प्रकोप देखा जा रहा है, जिससे किसानों को पैदावार में काफी नुकसान होता है। ऐसे में कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर किसानों के लिए जरूरी सलाह जारी की जाती है। वहीं, गुलाबी सुंडी (Pink Caterpillar) के प्रकोप से कपास की फसल बर्बाद होने से बचाने के लिए किसानों को उपयुक्त प्रशिक्षण भी कृषि विभाग द्वारा दिया जाता है। आगामी खरीफ वर्ष 2024 में बीटी कपास की फसल (Cotton Crop) में गुलाबी सुंडी का हमला न हो, इसके लिए सरकार के साथ-साथ कृषि वैज्ञानिकों और विभाग के अधिकारियों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। कपास की फसल में लगने वाले गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) की पहचान कर उसके लार्वा नष्ट करने के लिए किसानों को तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षित करने के लिए कृषि विभाग, कृषि विपण विभाग एवं जिनिंग मिल मालिकों को दिशा-निर्देश दिया जा रहा है, जिससे आगामी खरीफ सीजन 2024 में बीटी कपास में गुलाबी सुंडी को नियंत्रण कर कपास के उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सके।

New Holland Tractor

किसानों को होता है आर्थिक नुकसान (Farmers suffer financial loss)

बता दे कि कपास की फसल (Cotton Crop) में प्रमुख रूप से तीन तरह की सुंडियों का जबरदस्त प्रकोप होता था, जिसमें अमेरिकन सुंडी, गुलाबी सुंडी व चितकबरी सुंडी शामिल है। लेकिन पिछले कुछ सालों से  बीटी कपास में गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) का प्रकोप अधिक देखने को मिल रहा है। उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों के कपास उत्पादक राज्यों में हर साल किसानों को गुलाबी सुंडी से काफी आर्थिक नुकसान होता है। राजस्थान की मुख्य पैदावार में से एक कपास (Cotton) फसल पर गुलाबी सुंडी का प्रकोप देखा जा रहा है। आगागी खरीफ सीजन में कपास की फसल बर्बाद होने से बचाने के लिए राजस्थान सरकार ने कृषि एवं उद्यानिकी शासन से विचार विमर्श के दौरान एडीजी सीड्स व अन्य वैज्ञानिकों द्वारा कीट प्रकोप से बचाव के लिए निम्न उपाय बताये हैं। किसान कपास की फसल में गुलाबी सुंडी पर नियंत्रण के लिए कृषि विभाग के दिशा-निर्देशों का पालन करें और अपनी फसल को बचाएं। 

सरकार ने शुरू कर दी तैयारी (Government started preparations)

दरअसल, खरीफ वर्ष 2023 में कपास की फसल (Cotton Crop) में पिंक बॉलवर्म यानी गुलाबी सुंडी कीट का प्रकोप देख गया, जिससे कई इलाकों में फसल बर्बाद हो गई और गुलाबी सुंडी के हमले से कपास का उत्पादन भी प्रभावित हुआ। इसलिए आगामी खरीफ वर्ष 2024 में बीटी कपास की खेती (BT cotton farming) पर गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) का आक्रमण न हो, इसके लिए राजस्थान सरकार ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। सरकार ने जिनिंग मिल मालिकों, प्रतिनिधियों के साथ बैठक की और कृषि विभाग, कृषि विपणन विभाग व जिनिंग मिल मालिकों को निर्देश दिया कि वे आपसी समन्वय से गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) के प्रभावी प्रबन्धन के लिए आवश्यक प्रयास करें।

इन क्षेत्रों में देखा गया है गुलाबी सूंडी का प्रकोप (Pink bollworm outbreak has been seen in these areas)

कृषि विभाग की विभागीय सिफारिश के मुताबिक, कपास फसल पर गुलाबी सुंडी का प्रकोप कॉटन से कपास निकालने वाले जिनिंग मिलों के आसपास के क्षेत्रों में देखा गया है। जिनिंग मिलों में रेशों और बीज (बिनौला) निकालने के लिए गुलाबी सुंडी कीट प्रकोप प्रभावित खेतों से कच्चा कपास लाया जाता है तथा मिलों मे आये इस कपास में से बिनौलों व जिनिंग के बाद अवशेष सामग्री में पिंक बॉलवर्म  कीट ए लट / प्यूपा अवस्था में मौजूद रहती है, जो अनुकूल वातावरण परिस्थिति मिलते ही इनसे व्यस्क कीट बनकर कपास की बुवाई के समय जिनिंग मिलों के आसपास की कपास की फसल पर आक्रमण कर संक्रमित करती है। ऐसे में जहां भी कपास फसल से कॉटन और बीज निकालने वाली जिनिंग मिल स्थापित है, वहां कपास के बिनौलों का खुले में भंडारण न करें।

शुरूआती अवस्था में प्रकोप कैसे पहचाने? (How to recognize the outbreak in its early stages?)

राजस्थान कृषि विभाग के दिशा-निर्देश के अनुसार, कपास फसल पर गुलाबी सुंडी का प्रकोप जिनिंग मिलों के आस-पास के क्षेत्रों में अधिक देखा जाता है। इसलिए मिलों के आस-पास के किसान भाईयों को कपास सीजन के दौरान अलर्ट रहने की आवश्यकता है। फसल पर गुलाबी सुंडी के प्रकोप की शुआती आवस्था की पहचान करने के लिए कपास मिलों के आस-पास फेरोमोन ट्रेप लगाने चाहिए, जिससे समय रहते गुलाबी सुंडी का शुरुआती अवस्था का  पता चल सकें और समय रहते नियत्रंण किया जा सकें। कपास की फसल में फेरोमोन ट्रैप लगाकर पता किया जा सकता है कि अगर फेरोमोन ट्रैप में प्रति दिन आठ प्रौढ़ पतंगे तीन दिन तक लगातार मिलें, तो समझ लें फसल में गुलाबी सुंडी कीट का प्रकोप हो गया है।

गुलाबी सुंडी पर नियंत्रण के लिए क्या करें? (What to do to control Pink Bollworm?)

कृषि विभाग द्वारा जारी उपाय के अनुसार, किसान बीटी कॉटन (BT Cotton) की बुवाई उपयुक्त समय रहते करें। पिंक बॉलवर्म (Pink bollworm) की मॉनिटरिंग के लिए खेतों में कम से कम 2 फैरोमेन ट्रेप प्रति एकड़ लगाए। जिनिंग मिलों में कॉटन की जिनिंग के उपरांत अवशेष सामग्री को नष्ट करें। कपास के बिनोला को ढक कर रखे, जिससे  उसमें उपस्थित प्यूपा से उत्पन्न कीट का प्रसार नही हो सके। बिनौलों को बंद कमरे या पॉलिथीन शीट से ढककर एल्युमिनियम फास्फाइड से 48 घंटों तक धूमित करने संबंधी सलाह दिए गए है। जिन किसान ने अपने खेतों में बीटी नरमा कपास (Cotton) की लकड़ियों को भंडारित करके रखा है, वे उक्त लकड़ियों को फसल बुवाई से पहले ही खेतों से निकालने का सुझाव दिए और  बीटी कपास (BT Cotton) की लकड़ियों का छाया व खेत में इकट्ठा ना करें। इकट्ठा की गई लकड़ियों को काटकर जमीन में मिला या जलाने की सलाह है। प्रकोप वाले क्षेत्रों में भंडारित बीटी नरमा की लकड़ियों को नये क्षेत्रों में नहीं ले जाने की सलाह दी।

कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर बताया जा रहे सुझाव (Suggestions being given by the Agriculture Department from time to time)  

गुलाबी सुंडी कीट की अलग-अलग अवस्थाओं की पहचान सहित सम्पूर्ण जीवनचक्र की विस्तृत जानकार कृषि अनुसंधान केन्द्र श्रीगंगानगर के कीट वैज्ञानिक डॉ. रूप सिंह मीणा द्वारा दी गई। उन्होंने कपास में क्षति के लक्षणों के बारे मे बताते हुए कहा कि बीटी कपास (BT Cotton) में एक ही प्रकार के कीटनाशी दवा का लगातार छिड़काव न करें। सिंथेटिक पॉयरेथ्राट्रड्स का छिड़काव नही करते हुए कीटनाशीयों को बदल कर पायरेथ्राइड आधारित कीटनाशीयों का उपयोग फसल की अवधि 60 से 120 दिन की होने बाद पर करने की सलाह दी। वहीं केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, सिरसा, हरियाणा द्वारा जारी किए गये समय-सारणी अनुसार फसल 45 से 60 दिन की होने पर नीम आधारित कीटनाशक का छिड़काव करें। कृषि विभाग कपास में गुलाबी सुंडी के प्रकोप, क्षति के लक्षणों और इनके नियंत्रण के बारे मे समय-समय पर सुझाव  बताया जा रहा है। बीटी कपास (BT Cotton) में रोग की पहचान और रोकथाम के लिए किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग राजस्थान सरकार द्वारा निम्न दिशा-निर्देश जारी किए है, जिनका पालन कर किसान फसल में कीट नियंत्रण कर सकते हैं।   

संबंधित समाचार - 

किसान 720 रुपए में यहां से खरीद सकते हैं उन्नत किस्मों के बीज, जानें कैसे करें ऑर्डर

PULSE FARMING : किसानों को मात्र 60 दिनों में लखपति बना सकती है यह दाल

Website - TractorGuru.in
Instagram - https://bit.ly/3wcqzqM
FaceBook - https://bit.ly/3KUyG0y

Call Back Button

क्विक लिंक

लोकप्रिय ट्रैक्टर ब्रांड

सर्वाधिक खोजे गए ट्रैक्टर