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गुलखैरा की खेती : 1 बीघा खेत से होगी 50 हजार रुपए की कमाई, ऐसे करें गुलखैरा की खेती

गुलखैरा की खेती : 1 बीघा खेत से होगी 50 हजार रुपए की कमाई, ऐसे करें गुलखैरा की खेती
पोस्ट -30 अगस्त 2023 शेयर पोस्ट

गुलखैरा के औषधीय महत्व के कारण बाजार में बढ़ी मांग

खेती से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए किसान पारंपरिक फसलों की खेती को छोड़कर नकदी फसलों की खेती को अपना रहे हैं। अब तक गुमनाम रही औषधीय पौधों की खेती करने की प्रतिस्पर्धा किसानों के बीच शुरू हो चुकी है। कई किसान औषधीय पौधों की खेती से अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। ऐसा ही एक औषधीय पेड़ है गुलखैरा। अपने औषधीय गुणों के कारण गुलखैरा की डिमांड दवा मार्केट में बहुत ज्यादा है। गुलखैरा के फूल, जड़, तना, पत्तियां व बीज सब कुछ बाजार में बिकता है। ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट में गुलखैरा की खेती (Gulkhaira Farming) के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं। 

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कब करें गुलखैरा की खेती

गुलखैरा की फसल करीब 6 से 7 महीने में तैयार हो जाती है। गुलखैरा की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे किसी भी फसल के बीच में लगाया जा सकता है। गुलखैरा की खेती में बुवाई का सही समय नवंबर का महीना होता है। इस समय खेत में बीजों की रोपाई की जाती है। अप्रैल-मई महीने तक गुलखैरा की फसल तैयार हो जाती है। तैयार फसल के फूल तोड़कर पौधों को खेत में ही छोड़ दिया जाता है। कुछ समय बाद पौधों की पत्तियां व तना सूखकर खेत में गिर जाते हैं, जिन्हें इकट़्ठा कर लिया जाता है और साफ-सफाई करके बाजार में बेचा जाता है। 

क्यों बढ़ रहा है गुलखैरा की खेती का क्रेज

भारत में गुलखैरा के पौधे को सजावट के लिए लगाए जाते थे। लेकिन इसके औषधीय गुणों का प्रचार होने के बाद खेती का क्रेज बढ़ रहा है। गुलखैरा अपने औषधीय गुणों के कारण बाजार में महंगे दामों पर बिकता है। गुलखैरा के पौधे के सभी भाग बाजार में बिकते हैं। एक बार इसकी खेती करने के बाद जो बीज प्राप्त होते हैं उनसे अगली बार खेती की जा सकती है। रबी सीजन में इसकी खेती गेहूं, सरसों व सब्जी फसलों के बीच में भी की जा सकती है। सबसे खास बात यह है कि गुलखैरा को सूखाकर कई सालों तक काम में लिया जा सकता है। 

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गुलखैरा का औषधीय उपयोग

यूनानी पद्धति की दवाओं में गुलखैरा का सबसे अधिक उपयोग होता है। गुलखैरा के फूल, पत्तियां, तना, जड़ व बीज की डिमांड दवा बनाने के लिए हमेशा बनी रहती है। बुखार, खासी व अन्य बीमारियों में गुलखैरा एक प्रभावी औषधी है। वहीं मर्दाना ताकत बढ़ाने की दवा बनाने में भी गुलखैरा का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा कई अन्य रोगों में भी इसके फूलों से बनी औषधी काफी फायदेमंद साबित होती है।

गुलखैरा की खेती से किसानों को फायदा

गुलखैरा की खेती करीब 6 से 7 महीने में तैयार हो जाती है। एक बीघा खेत में करीब 5 से 6 क्विटंल उपज प्राप्त होती है। बाजार में एक क्विटंल गुलखैरा की कीमत 10 से 12 हजार रुपए प्रति क्विंटल है। एक बीघा खेत में गुलखैरा की खेती करने पर करीब 10 हजार रुपए की लागत आती है। इस प्रकार किसान को 50 हजार रुपए प्रति बीघा की आसानी से बचत हो जाती है। 

एक पौधे पर खिलते हैं एक दर्जन से अधिक फूल

गुलखैरा अपने चटक रंग के कारण काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यह पौधा देखने में काफी खूबसूरत है। अगर एक बार आप इसे देख लेंगे तो देखते ही रह जाएंगे। गुलखैरा के एक पौधे पर करीब एक दर्जन से अधिक फूल खिलते हैं। 

भारत में गुलखैरा की खेती

भारत में गुलखैरा की खेती का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। उत्तरप्रदेश के उन्नाव व हरदोई जिले में कई किसान विगत कई सालों से गुलखैरा की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। किसान गुलखैरा की उपज को लखनऊ व कानपुर के बाजार में बेचते हैं। विश्व में गुलखैरा की सबसे अधिक खेती पाकिस्तान व अफगानिस्तान में होती है। 

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