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भेड़ पालन : सबसे ज्यादा ऊन देने वाली भेड़ की टॉप 4 नस्ल

भेड़ पालन : सबसे ज्यादा ऊन देने वाली भेड़ की टॉप 4 नस्ल
पोस्ट -28 अक्टूबर 2023 शेयर पोस्ट

सबसे ज्यादा ऊन देने वाली भेड़ की इन नस्लों का करें पालन, सरकार देती है बंपर सब्सिडी

देश के अधिकांश किसान परिवार खेती के साथ भेड़-बकरियों का पालन भी करते हैं। इससे मिलने वाले दूध, ऊन और मांस का कारोबार कर किसान अतिरिक्त आजीविका भी कमाते हैं। आज के समय में पशुपालन व्यवसाय में भेड़ का पालन लोगों की कमाई के लिए एक बेहतर जरिया बनकर उभरा है। गांवों में रहने वाले छोटे और सीमांत किसान बेहद कम लागत और छोटी सी जगह से भेड़-बकरियों का पालन शुरू कर सकते हैं। इससे मिलने वाले ऊन, खाद, दूध और चमड़ा उत्पादों को बाजार में बेचकर बेहतर कमाई कर रहे हैं। आज कई राज्यों के किसान अलग-अलग नस्ल की भेड़ों का पालन ऊन उत्पादन के उद्देश्य से करते हैं। अगर आप भी किसान हैं और भेड़ का पालन ऊन उत्पादन के लिए करना चाहते हैं, तो आप भेड़ की इन 4 नस्लों का पालन कर सकते हैं। भेड़ की ये 4 नस्लें अधिक ऊन के उत्पादन के लिए किसानों के बीच लोकप्रिय है। इन नस्ल की भेड़ों से प्राप्त ऊन की कीमत सामान्य नस्ल की भेड़ से कहीं अधिक है। इस पोस्ट में हम आपको भेड़ की इन टॉप 4 नस्लों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। यह जानकारी भेड़ पालन में आपकी काफी मदद करेगी।  

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सरकार भी करती है मदद

ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए भेड़-बकरी जैसे छोटे पशुओं का पालन बहुत लाभकारी साबित हो रहा है। किसान छोटे पशुओं के पालन में भेड़ों का पालन ऊन उत्पादन के साथ -साथ दूध और मांस उत्पादन के लिए भी करते हैं। भेड़ पालन कारोबार वर्तमान में कई किसानों की आर्थिक स्थिति को पहले से बेहतर बनाने में काफी मददगार साबित हो रहा है। इन्हीं को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर योजना बनाकर किसानों की भेड़ पालन में हर संभव मदद कर रही है। राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत कई परियोजनाओं को लागू कर किसानों को भेड़ पालन के तकनीकी सहयोग, प्रशिक्षण और तय प्रावधानों के अनुसार सब्सिडी प्रदान करती है। भेड़ों के पालन में अधिकतर जैसलमेरी भेड़, कोरिडायल रामबुतु, मैरिनो, मारवाड़ी, मालपुरा, मंडियां और बीकानेरी, छोटा नागपुरी, शहाबाबाद नस्ल की भेड़ों का पालन मुख्य तौर से किया जाता है। लेकिन, भेड़ के पालन में गद्दी, दक्कनी, मांड्या, नेल्लोर और मारवाड़ी नस्ल की भेड़ों का पालन ऊन का उत्पादन करने के लिए कर सकते हैं। भेड़ की ये 4 नस्लें ज्यादा ऊन उत्पादन करने के लिए प्रसिद्ध है। किसान इन नस्ल की भेड़ों का पालन करके मालामाल हो सकते हैं। 

गद्दी नस्ल की भेड़ 

इस नस्ल की भेड़ का आकार मध्यम होता है। इस नस्ल की भेड़ के शरीर पर आमतौर पर सफेद रंग के बाल पाए जाते हैं। लेकिन भूरा और भूरा-काला रंगों के मिश्रण में भी इसे देखा जा सकता है। गद्दी नस्ल की भेड़ को भदरवाह के नाम से भी जाना जाता है। इसका मूल स्थान जम्मू की किश्तवार और भदरवाह तहसीलें हैं। ये हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में व्यापक रूप से पाई जाती है। इस नस्ल के नर भेड़ सींग वाले होते हैं और लगभग 15 प्रतिशत मादाएं भी सींग वाली पाई जाती है। इनकी पूंछ छोटी और पतली होती है। गद्दी भेड़ के शरीर का औसतन भार 29.8 किलो से 34 किलोग्राम तक होता है। इसके शरीर की औसत लंबाई 64.69 सेमी होती है। ऊन अपेक्षाकृत बारीक और घना होता है। इस नस्ल की भेड़ का औसतन ऊन उत्पादन 437 से 696 ग्राम तक होता है। गद्दी भेड़ से आमतौर पर साल में तीन बार ऊन काटा जाता है।

दक्कनी (डेक्कनी) नस्ल भेड़

दक्कनी भेड़ की नस्ल की उत्पत्ति भारत के दक्कन पठार में हुई। भेड़ की यह नस्ल अपनी कठोरता और कठिन जलवायु परिस्थितियों में विकास करने की क्षमता के लिए जानी जाती है। इस नस्ल की भेड़ मध्यम और छोटे आकार की होती है। भेड़ की यह नस्ल काले या सफेद निशान वाले काले, सफेद और भूरे तथा काले रंग की होती है। इस नस्ल की भेड़ों का पालन मुख्य रूप से ऊन और मांस उत्पादन के लिए किया जाता है। दक्कनी भेड़ों को मुख्य रूप से राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में धनगर क्षेत्र में पाला जाता है। ये भेड़ें ऊन उत्पादन के लिए अच्छी हैं, इस नस्ल की भेड़ लगभग 5 किलोग्राम वार्षिक ऊन का उत्पादन देती है। यह ऊन निम्न गुणवत्ता का होता है, जो मुख्य रूप से बालों और रेशों के मिश्रण से बना होता है, और इसका उपयोग मुख्य रूप से मोटे कंबल बनाने के लिए किया जाता है।

मांड्या भेड़

मांड्या भेड़ कर्नाटक के मांड्या जिला ओर कर्नाटक के सीमावर्ती मैसूर जिले में अधिकतर पाई जाती है। ये अपेक्षाकृत छोटे जानवर होते हैं। इस नस्ल की भेड़ों का रंग सफ़ेद होता है, लेकिन चेहरा हल्का भूरे रंग का होता है, जो गर्दन तक देखा जा सकता है। इस नस्ल के नर भेड़ का औसत वजन लगभग 20 से 26 किलोग्राम होता है। भेड़ की यह नस्ल सर्वोत्तम मांस उत्पादन के लिए जानी जाती है। मांड्या नस्ल की प्रति भेड़ 0.372 किग्रा वार्षिक ऊन की उपज देती है।

नेल्लोर भेड़

भेड़ की यह नस्ल मांस उत्पादन के लिए लोकप्रिय है। यह भेड़ उत्तरी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में पाई जाती है। यह मुख्य रूप से नेल्लोर और प्रकाशम जिलों की मूल उत्पति है। भेड़ की यह नस्ल अलग-अलग रंगों में पाई जाती है, जिसमें सफेद (पल्ला), चेहरे पर काले धब्बों वाला सफेद जोडिपी और लाल-भूरा डोरा दिखाई देता है। इस नस्ल की भेड़ों का शरीर छोटे बालों के साथ आकार में लंबे होते हैं। इसके कान लंबे और झुके हुए होते हैं, पूंछ छोटी और पतली होती है। नेल्लोर नस्ल की नर भेड़ का औसत शारीरिक वजन 36-38 किलोग्राम, शरीर की औसत लंबाई 68 सेमी होती है, जबकि व्यस्क मादा भेड़ का शारीरिक वजन 28 से 30 किलोग्राम और लंबाई 67 सेमी होती है।

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