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भेड़ पालन : किसानो को 5 उन्नत नस्लों की भेड़ों के पालन से मिलेगा अधिक मुनाफा

भेड़ पालन : किसानो को 5 उन्नत नस्लों की भेड़ों के पालन से मिलेगा अधिक मुनाफा
पोस्ट -31 मार्च 2023 शेयर पोस्ट

भेड़ पालन की इन नस्लों से होगी बंपर कमाई, जानें किस नस्ल की भेड़ से होगा अधिक मुनाफा

Sheep farming : देश के कई राज्यों में आज किसान मल्टीफार्मिंग कर अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना रहे हैं। आज किसान खेती के साथ-साथ मछली पालन और पशुपालन में गाय-भैंस, मुर्गी, सुअर, बकरी और भेड़ पालन में तेजी से हाथ आजमा रहे हैं। जिसमें केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारें भी किसानों को पूरा सहयोग देने का पूरा प्रयास कर रही है। आज ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों द्वारा भेड़ पालन काफी बड़े लेवल पर किया जा रहा हैं। पशुपालन में भेड़ पालन किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रहा है। भेड़ों का पालन उनके मांस, ऊन, खाद, दूध और चमड़ा के लिए किया जा रहा है। किसानों द्वारा फिलहाल जैसलमेरी भेड़, मंडियां, बीकानेरी, छोटा नागपुरी, शहाबाबाद, कोरिडायल रामबुतु, मैरिनो, मारवाड़ी और मालपुरा नस्ल की भेड़ों का पालन किया जा रहा है। खास बात यह है कि भेड़ों के पालन के लिए किसानों को राष्ट्रीय पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत तकनीकी सहयोग, प्रशिक्षण और अनुदान भी दिया जाता है।

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हालांकि, इतने प्रयास के बावजूद भी किसानों की शिकायत रहती हैं कि उन्हें भेड़ों के पालन में सही लाभ नहीं मिल पाता है। भेड़ पालक किसानों के साथ ऐसा सिर्फ इसलिए होती है, क्योंकि उन्हें भेड़ पालन में किस नस्ल की भेड़ का पालन करना है, इसकी जानकारी नहीं होती हैं। ऐसे में आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से  भेड़ों की कुछ ऐसी नस्लों के बारे में जानकारी देंगे, जिसका पालन कर आप सही मुनाफा कमा सकते हैं और भेड़ पालन व्यवसाय से मालामाल हो सकते हैं। अगर आप भी पशुपालन में भेड़ का पालन करने का मन बना रहे हैं, तो इस पोस्ट पर जरूर ध्यान दें। 

चौकला नस्ल भेड़

चौकला नस्ल की भेड़े मुख्य रूप से राजस्थान राज्य में पाई जाती है। इस नस्ल की भेड़ों का पालन राजस्थान के सीकर, झुंझुनू और चुरू जिले में काफी बड़े स्तर पर किया जाता है। भेड़ पालन व्यवसाय में चौकला नस्ल भेड़ का पालन मुख्य रूप से मांस, ऊन, दूध और चमड़ा के लिए किया जाता है। चौकला नस्ल की भेड़ों का वजन अन्य नस्ल की भेड़ों से अधिक होता हैं। इस नस्ल की मादा भेड़ का वजन करीब 23 से 32 किलोग्राम तक होता है और नर भेड़ का करीब 35 से 40 किलोग्राम तक होता है। इस नस्ल की भेड़ का चेहरा भूरा या काला रंग का होता है तथा सिर पर सींग नहीं होता है। खास बात यह है कि इस नस्ल की भेड़ साल में 1 से 2.5 किलो तक ऊन का उत्पादन दे सकती है। भेड़ पालन व्यवसाय में किसान भाई इस नस्ल का चयन कर भेड़ पालन से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। 

अविवस्त्र नस्ल भेड़

अविवस्त्र नस्ल की भेड़ एक हाइब्रिड भेड़ नस्ल हैं। इसे मेरिनो भेड़ तथा राजस्थान में पाई जाने वाली चौकला नस्ल की भेड़ के वर्ण संकरण द्वारा विकसित किया गया है। इस नस्ल की भेड़ प्रतिवर्ष 2.5 से 4 किलोग्राम तक ऊन का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। खास बात यह है कि इस नस्ल की भेड़ का वजन सिर्फ 6 महीने में 11 से 12 किलोग्राम तक पहुंच जाता है और सालभर के अंदर 22 से 24 किलोग्राम तक हो जाता है। यदि किसान भाई भेड़ों का पालन मांस और ऊन के उद्देश्य से शुरू करना चाहते हैं, तो अविवस्त्र नस्ल भेड़ का पालन करना सबसे बेस्ट होगा।  

अविकालीन नस्ल भेड़

अविकालीन नस्ल भेड़ का उत्पत्ति स्थान केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर, मालपुरा जिला टोंक है। भेड़ की इस नस्ल को यहां मेरीनो नस्ल के नर भेड़ तथा मालपुरा नस्ल की मादा भेड़ के संकरण से विकसित किया गया है। इस नस्ल की भेड़ की खास विशेषता यह है कि यह उत्तम प्रकार के पतली ऊन का उत्पादन करती है। इसके ऊन का उपयोग कालीन निर्माण में किया जाता है। अविकालीन भेड़ नस्ल का वजन एक साल में करीब 25 किलोग्राम तक होता है। इस नस्ल की भेड़ों से 6 महीने में करीब 1.13 किग्रा ऊन का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इन भेड़ों में टपिंग 97 प्रतिशत व मैमनो का वार्षिक जन्म दर 81.47 प्रतिशत होता है। अगर किसान उत्तम किस्म की ऊन प्राप्त करने के लिए भेड़ पालन करना चाहते हैं, तो अविकालीन नस्ल भेड़ का पालन कर सकते हैं।

मालपुरा नस्ल भेड़

मालपुरा नस्ल भेड़ को केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर, मालपुरा जिला टोंक में विकसित किया गया है। इस नस्ल का पालन मुख्य रूप से राजस्थान के टोंक, बूंदी ,जोधपुर, अजमेर में किया जाता है। इस नस्ल की भेड़ का पालन मांस व ऊन दोनों के लिए किया जाता है। इस नस्ल की भेड़ से प्राप्त ऊन का रेशा मोआ होता है, जिसका उपयोग गलीचे व नमदे बनाने में किया जाता है। इस नस्ल की भेड़ सिंग रहित होती है। इसके पैर ,चेहरा व पेट पर बाल नहीं होते हैं और इसके कान छोटे छोटे होते हैं। मालपुरा नस्ल की नर भेड़ों का वजन करीब 32 से 34 किलोग्राम होता है। वहीं, मादा भेड़ों का वजन 23 से 30 किलोग्राम तक पाया जाता हैं। इस नस्ल की भेड़ साल में करीब 1 से 1.6 किलोग्राम तक ऊन का उत्पादन करती है। 

मेरिनो नस्ल की भेड़ 

मेरिनो नस्ल की भेड़ एक विदेशी नस्ल है। यह मुख्य रूप से स्पेन में पाई जाती हैं। इस नस्ल की भेड़ ने भारत की जलवायु के अनुसार खुद को विकसित कर लिया है। भारत में इस नस्ल की भेड़ों का पालन प्रजनन के लिए किया जाता है। राजस्थान के टोंक ,जयपुर ,सीकर में मेरिनो नस्ल की भेड़ों को मुख्य रूप से पाला जाता है। इस नस्ल के भेड़ों की शारीरिक बनावट विशेष प्रकार की होती है। इसके गर्दन व कंधे पर झुर्रियां व सलवटे पाई जाती है। मादा भेड़ों के सिर पर सिंग नहीं होते है तथा नर भेड़ों के सिर पर घुमावदार सींग पाए जाते हैं। भेड़ की यह नस्ल सबसे अच्छे ऊन उत्पादन के लिए जानी जाती है। मेरिनो नस्ल की भेड़ करीब साल भर में 5 से 9 किलोग्राम ऊन का उत्पादन देती है। इस नस्ल से प्राप्त ऊन की क्वालिटी बेस्ट होती है। इस नस्ल के नर भेड़ों का वजन करीब 80 से 90 किलोग्राम तक पाया जाता है। वहीं, मादा भेड़ों का वजन 65 से 70 किलोग्राम तक होता है। भेड़ पालन में किसान भाई इन भेड़ की नस्लों का पालन कर कम लागत खर्च में बंपर मुनाफा अर्जित कर जल्द से जल्द अमीर बन सकते हैं।  

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