Beekeeping : किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार उन्हें मधुमक्खी पालन जैसे कृषि सहायक व्यवसाय से जोड़ने का प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकार कई योजनाएं चलाकर किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए उपयोगी उपकरणों एवं टेस्टिंग लैब सहित मधुमक्खी पालन (Beekeeping) के लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण (Free training) सुविधाएं दे रही है। आज कई राज्य सरकारें मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित कर रही है। इस बीच बाजारों में मधुमक्खी द्वारा उत्पादित शहद की बढ़ती मांग और इसमें रोजगार के नए अवसर को देखते हुए हरियाणा सरकार ने राज्य में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने का बहुत बड़ा निर्णय लिया है। राज्य के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कंवर पाल ने बताया कि राज्य में अब मधुमक्खी पालन से जुड़े किसानों को इससे संबंधित उपकरण सस्ती दरों पर उपलब्ध कराए जाएंगे। सरकार ने इन उपयोगी उपकरणों की दरें निश्चित कर दी हैं। किसानों की काफी लंबे समय से मांग चली आ रही थी कि मधुमक्खी पालन व्यवसाय में काम आने वाले उपकरणों की गुणवत्ता और दरें निर्धारित की जानी चाहिए। इसको देखते हुए प्रदेश सरकार ने “हाई पॉवर परचेज कमेटी” की बैठक में करीब 6.5 करोड़ रुपए की लागत के उपकरणों की दरें तय की है।
“हाई पॉवर परचेज कमेटी” (High Power Purchase Committee) के चेयरमैन और कृषि मंत्री कंवर पाल की हुई “हाई पॉवर परचेज कमेटी” की बैठक में में करीब 6.5 करोड़ रुपए की लागत के उपकरणों के टेंडर फाइनल किए गए। कुरुक्षेत्र जिला के रामनगर में इजरायल और भारत सरकार का “एकीकृत मधुमक्खी विकास केंद्र” स्थापित किया गया है। इस केंद्र में किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रशिक्षण तथा अन्य संबंधित जानकारी दी जाती है। उन्होंने कहा, किसानों की परेशानियों को समझते हुए प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है कि इसी केंद्र में कुछ निर्धारित दरों की दुकानें शुरू की जाएं। जिससे किसानों को मधुमक्खी पालन के उपकरण सस्ती दरों पर आसानी से उपलब्ध हो सकें। यहां पर एक परिसर की छत के नीचे किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले “बी-बॉक्सेस”, “बी-टूल किट”, “बी-ब्रश”, “बी-ग्लॉव्स”, “बी-फीडर”, रानी मक्खी का पिंजरा, शहद निकालने की मशीन सहित अन्य उपकरण मिल सकेंगे।
कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों के कारण प्रदेश में पिछले 10 वर्षों में मधुमक्खी पालन कारोबार काफी फल-फूल रहा है। कई किसानों ने मधुमक्खी पालन में विविधता ला दी है, जो एक सकारात्मक कदम है, खासकर तब जब कृषि भूमि जोत कम है। उन्होंने बताया कि पिछले साल राज्य में मधुमक्खी पालकों ने 5 हजार मीट्रिक टन शहद का उत्पादन किया, जिसकी बाजार में कीमत तकरीबन 55 करोड़ रुपए थी। इस बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजा शेखर वुंडरू, निदेशक राजनारायण कौशिक, वित्त विभाग के विशेष सचिव जयबीर सिंह आर्य, बागवानी निदेशालय के विशेष विभागाध्यक्ष अर्जुन सिंह सैनी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
एचपीपीसी कमेटी के चेयरमैन एवं कृषि मंत्री कंवर पाल ने आगे बताया कि राज्य सरकार मधुमक्खी पालकों को शहद संग्रह और अन्य संबंधित उपकरणों की खरीद के लिए 80 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करती है। किसानों ने अक्सर शिकायत की है कि मधुमक्खी पालन के उपकरण या तो बाजार में मिलते नहीं हैं, अगर उपलब्ध भी होते हैं, तो वे खराब गुणवत्ता वाले और महंगी दर पर मिलते हैं, जिससे उनकी आय प्रभावित होती है। किसानों की इन्हीं चुनौतियों को समझते हुए राज्य सरकार ने इस केंद्र पर तय कीमतों पर दुकानें स्थापित कर मधुमक्खी पालन के उपकरण उपलब्ध कराने का फैसला किया है। अब किसानों को एक ही जगह पर गुणवत्ता वाले सस्तें उपकरण मिलेंगे।
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