Weather Update : भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) यानी आईएमडी के अनुसार, अगले 24 घंटों के दौरान पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो सकता है, जिसके असर से पश्चिमी हिमालय और उत्तर पश्चिम भारत के अधिकांश क्षेत्रों में मौसम बिगड़ सकता है। मौसम विभाग की मानें तो पश्चिमी विक्षोभ के चलते देश के कई राज्यों में मार्च महीने की शुरूआत आंधी-बारिश और ओलावृष्टि के साथ हो सकती है। मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि अगले 4 दिनों के दौरान पश्चिमी विक्षोभ का असर पश्चिमी हिमालय व उत्तर पश्चिम भारत के कई राज्यों में देखने को मिलेगा। इसके असर से अधिकांश इलाकों में आंधी के साथ हल्की से मध्यम बारिश और ओलावृष्टि हो सकती है। इस दौरान पश्चिमी हिमालय क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों में भारी बर्फबारी होने की संभावना है। आईएमडी के अनुसार, मध्य महाराष्ट्र (नासिक क्षेत्र) और दक्षिण पूर्व मध्य प्रदेश में छिटपुट हल्की बारिश दर्ज की गई है। अरुणाचल प्रदेश में हल्की बारिश और बर्फबारी देखने को मिली है। वहीं, देश के शेष हिस्सों में मौसम शुष्क बना हुआ है।
स्काई मेट के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ एक चक्रवाती परिसंचरण के रूप में अब ईरान और आसपास के क्षेत्रों पर बना हुआ है और औसत समुद्र तल से 9.6 किमी ऊपर तक फैला हुआ है। दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक से कोंकण होते हुए मध्य महाराष्ट्र तक ट्रफ रेखा बनी हुई है। पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी पाकिस्तान और इससे सटे जम्मू कश्मीर पर है। इसके कारण 1 से 3 मार्च के बीच पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में गरज और बिजली के साथ हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी की संभावना है। अलगे 48 घंटों के दौरान उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान में आंधी गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।
मौसम विभाग की मानें तो 1 मार्च को जम्मू कश्मीर, लद्दाख, गिलगित बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद और हिमाचल प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश और बर्फबारी संभव है और 2 मार्च को अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश और बर्फबारी संभव है। 1 मार्च को उत्तराखंड में अलग-अलग इलाकों पर ओलावृष्टि हो सकती है। वहीं, दक्षिण मध्य प्रदेश, विदर्भ क्षेत्र व दक्षिण छत्तीसगढ़ में कई अलग-अलग क्षेत्रों में ओलावृष्टि देखने को मिल सकती है। 2 मार्च को उत्तराखंड में कहीं-कहीं भारी बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है।
मौसम विज्ञान केंद्र जयपुर के अनुसार, एक बार फिर से राजस्थान का मौसम बदलेगा। पाकिस्तान की तरफ से आ रहे एक नए पश्चिमी विक्षोभ के कारण राज्य में मौसम फिर से बदल गया है। मौसम केंद्र ने कहा है कि एक पश्चिमी विक्षोभ के कारण अगले 24 घंटों के दौरान बीकानेर, गंगानगर के क्षेत्रों में मौसम बदल सकता है। इसके असर से राजधानी जयपुर सहित कई हिस्सों में बादल छाए हुए हैं। अगले 48 घंटों के दौरान राजस्थान के 25 जिलों में बारिश होने की संभावना है। इनमें से 11 जिलों में गरज, बिजली, आंधी व बारिश के साथ ओले गिरने का अलर्ट है। मौसम केंद्र जयपुर ने कहा है कि इसके प्रभाव से एक-दो मार्च को बीकानेर, जोधपुर, अजमेर, जयपुर, उदयपुर, कोटा, और भरतपुर संभागों में कुछ स्थानों पर मेघगर्जन, आकाशीय बिजली, तेज आंधी चलने के साथ हल्की बारिश होने की संभावना है। 3 मार्च से इस सिस्टम का असर कम हो जाएगा। केवल भरतपुर संभाग के कुछ स्थानों में आंशिक तौर पर रहेगा। 4 मार्च से राजस्थान में एक बार फिर से मौसम साफ होने लगेगा।
मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के मुताबिक, उत्तर प्रदेश का मौसम एक बार फिर से बदल रहा है। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से राज्य के अधिकांश इलाकों में बारिश का सिलसिला शुरू हो सकता है। साथ ही पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से प्रदेश में 1 मार्च से 3 मार्च तक मेघगर्जन, बिजली चमकने, तेज हवाएं/ आंधी चलने के साथ कुछ स्थानों में बारिश हो सकती है। 2 मार्च को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ओलावृष्टि होने की संभावना है। पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से राजधानी लखनऊ में अगले 24 घंटों के दौरान बादलों को देखा जा सकेगा। मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के एक्टिव होने के कारण 1 मार्च से पश्चिमी यूपी में कुछ इलाकों में बारिश व गरज के साथ बौछारें पड़ सकती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अपेक्षा अधिक स्थानों पर आंधी, गरज के साथ हल्की बारिश होने की संभावना है। 2 मार्च को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर ओलावृष्टि भी हो सकती है।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि एक पश्चिमी विक्षोभ के कारण देश के कई राज्यों में बारिश की संभावना बन रही है। बे-मौसम बारिश की वजह से गेहूं की फसल को कहीं फायदा पहुंचेगा तो वहीं ओलावृष्टि और तेज हवाओं से फसल में नुकसान होने की संभावना है। तैयार हो चुकी रबी फसलों में दलहनी और तिलहन की फसल में यह बारिश काफी नुकसान पहुंचा सकती है। इसकी लिए वैज्ञानिकों ने कहा है कि किसानों को 1 से 4 मार्च के बीच फसल कटाई से बचना चाहिए। साथ मौसम बिगड़ने से पहले तैयार हो चुकी बागवानी फसलों की कटाई कर लें। एक्सपर्ट्स की सलाह है कि बारिश होने की स्थिति में केले और पपीता के गुच्छों को स्कर्टिंग बैग से ढकें। इसके लिए किसान ओला जाल या ओला कैप का इस्तेमाल करें। तैयार फसलों की पहले कटाई हो गई है, उसे बारिश होने से पहले सुरक्षित स्थान पर रखें। अगर इस दौरान तेज हवाएं चलती है, तो किसान फसलों की सिंचाई न करें।
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