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माइक्रोग्रीन की खेती : कम जमीन में माइक्रोग्रीन से लाखों का मुनाफा

माइक्रोग्रीन की खेती : कम जमीन में माइक्रोग्रीन से लाखों का मुनाफा
पोस्ट -24 दिसम्बर 2022 शेयर पोस्ट

माइक्रोग्रीन की खेती : कम जमीन में माइक्रोग्रीन उगाकर इस किसान ने उठाया लाखों का मुनाफा, जानें पूरी कहानी

आधुनिक दौर में कृषि क्षेत्र के अंदर बढ़ते हुए मुनाफे को देखते हुए अब लोग नौकरी छोड़ कृषि में हाथ आजमा रहे है। कृषि क्षेत्र में नया स्टार्टअप कर लाखों रुपए का लाभ उठाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ अब शहरों में भी लोग कम जमीन में कम लागत में कम समय में खेती कर अच्छी कमाई कर रहे है। आज देश के कई राज्यों में ऐसे भी किसान है, जो कम जगह व कम संसाधनों से खेती कर बेहतर उत्पादन के साथ हर महीने लाखों रुपए कमा रहे है। इसी कड़ी में हम आज आपकों एक ऐसे ही सफल किसान की कहानी बताने जा रहे है। जिन्होंने अपने घर पर ही छोटे से कमरे में माइक्रोगीन की खेती कर बिजनेस शुरू किया और अब हर महीने करीब लाखों रुपए का मुनाफा उठा रहे है। केरल राज्य के किसान अजय ने 2020 में छोटी-छोटी ट्रे में माइक्रोग्रीन की खेती करना शुरू किया था। आज वह घर के छोटे से कमरे में करीब 15 से अधिक प्रकार के माइक्रोग्रीन की खेती करते है। और दैनिक पैदावार के रुप में लगभग 5 किलो तक माइक्रोग्रीन 150 रुपए प्रति 100 ग्राम की दर से शहरों में बेचते है। अजय आज बेंगलुरु, चेन्नई और पूरे केरल में माइक्रोग्रीन फ्रेंचाइजी के मालिक हैं। आइए ट्रैक्टरगुरु के इस लेख के माध्यम से केरल के किसान अजय की सक्सेस कहानी के बारे में जानते है। 

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कमरे में लगभग 15 विभिन्न प्रकार के माइक्रोग्रीन उगाते हैं

अजय वर्तमान समय में घर के अंदर 80 वर्गफुट के कमरे में लगभग 15 विभिन्न प्रकार के माइक्रोग्रीन उगाते है। वह कमरे में तैयार उपज को होटल, जिम, अस्पताल व अन्य लोगों सहित लगभग 25 से 30 ग्राहकों को रोज बेचते है। उनका ये भी कहना है कि माइक्रोग्रीन बहुत ही छोटी है, लेकिन इनमें पोषण बहुत ज्यादा होता है। इसे आप आसानी से अपने घर में किसी डेस्क पर, किचन में, बालकनी में, यहां तक कि अपने बेडरूम में भी उगा सकते हैं। और छोटी सी जगह से इसका बिजनेस भी कर सकते हैं। उनका कहना है कि उन्हें इसकी खेती कर बिजनेस शुरू करने के लिए यूटयूब से जानकारी प्राप्त की और खेती शुरू की। वह कहते है कि उन्होंने सबसे पहले हरे चने से माइक्रोग्रीन की खेती शुरू की। इसके लिए उन्होंने टिशू पेपर का इस्तेमाल किया लेकिन परिणाम अच्छा नहीं मिला। उनका कहना है कि इसके बाद उन्होंने यूके में रहने वाले अपने की मदद से माइक्रोग्रीन विशेषज्ञ से संपर्क माइक्रोग्रीन उगाने का सही तरीका हासिल किया। इसके बाद अजय बताते हैं कि उन्होंने शुरुआत में केवल दो छोटी-छोटी ट्रे में माइक्रोग्रीन्स उगाना शुरु किया।

पिछले तीन सालों से माइक्रोग्रीन्स उगा रहे हैं

अजय बताते है कि माइक्रोग्रीन्स विशेषज्ञ ने बताया कि माइक्रोग्रीन्स की खेती के लिए सभी बीज उपयुक्त नहीं होते। इसके लिए केवल गैर-अनुवांशिक रुप से संशोधित जीव (जीएमओ) गैर संकर, उपचारित और खुले परागण वाले बीज अच्छे होते हैं। उनका कहाना है कि माइक्रोग्रीन उगाने के लिए किसी भी 5 से 6 इंच गहरी चीज का उपयोग किया जा सकता है। बाजार में खास तरह की ट्रे भी मिलती है। ट्रे में थोड़ी मिट्टी या कोकोपीट भरें कर उसमें थोड़ी कम्पोस्ट खाद मिला दें। इसमें बीज डालकर उन पर मिट्टी की एक पतली सी परत बिछाकर पानी का छिड़काव कर दें। बीज बोने के 5 से 7 दिन बाद माइक्रोग्रीन उगना शुरू हो जाते हैं तथा  15 से 20 दिनों में काटकर खाने लायक हो जाते हैं। वह बताते है कि पिछले तीन सालों से अपने चित्तूर स्थित घर के बेडरुम में माइक्रोग्रीन्स उगा रहे हैं। इसकी कमरे का साइज 80 वर्ग फुट है, यहां उपयुक्त जलवायु बनाई गई है। इस कमरे का तापमान हमेशा 40 से 60 प्रतिशत आर्द्र और तापमान 25 डिग्री से नीचे रखा जाता है। वे बताते है कि माइक्रोग्रीन्स उगाने के लिए छत्तीसगढ़, पुणे और बेंगलुरु से बीज 600 रुपए प्रति किलो खरीदते है।  

माइक्रोग्रीन उगाते वक्त ध्यान रखी जानें वाली बातें

अजय का कहना है कि माइक्रोग्रीन उगाते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखान जरूरी होता है। क्योंकि अलग-अलग माइक्रोग्रीन अलग-अलग समय में उगते हैं। इसमें मेथी, मूली जैसी चीजों के माइक्रोग्रीन 6 से 7 दिनों में जाएंगे, जबकि मटर, गोभी आदि में कुछ दिनों का अधिक वक्त लगता है। जहां तक कोशिश करें की कई चीजों को मिलाकर उनका माइक्रोग्रीन ना उगाएं, वरना कुछ पहले उगेंगे और कुछ देर से। यदि आप घर के अंदर ऐसी जगह माइक्रोग्रीन उगा रहे हैं, जहां रोशनी नहीं आती तो आपको आर्टिफीशियल लाइट का इस्तेमाल करना चाहिए। गेहूं को छोड़ कर  बाकी चीजों के माइक्रोग्रीन सिर्फ एक बार उगाकर काट लेने चाहिए। बीजों से माइक्रोग्रीन बनने में लगभग 6 से 7 दिनों का वक्त लगता है। जिसमें एक छोटा तना और दो पत्तियां होती हैं। जैसे ही बीजपत्र के पत्ते दिखाई दें उन्हें जड़ों के ऊपर से काट लिया जाता है। इसके बाद यह बिक्री के लिए तैयार हो जाते हैं।

माइक्रोग्रीन के बारें में 

माइक्रोग्रीन विशेषज्ञ के अुनसार माइक्रोग्रीन किसी भी पौधे की शुरुआती दो पत्तियां होती हैं। और महज 10 से 15 दिनों में उगकर तैयार हो जाते है। इन्हें सुबह नाश्ते में या सलाद के रूप में खाया जा सकता है। हालांकि, हर पौधे की शुरुआती पत्तियों को माइक्रोग्रीन की तरह नहीं खाया जाता है। इसमें मूली, सरसों, मूंग, पालक, लेट्यूस, मेथी, ब्रोकली, गोभी, गाजर, मटर, चुकंदर, एमरेंथस, गेहूं, मक्का, बेसिल, चना, शलजम जैसी चीजों के माइक्रोग्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। माइक्रोग्रीन में पोषण की मात्रा बहुत अधिक होती है। और यह खाने में काफी स्वादिष्ट होते है। अगर आप रोज सिर्फ 50 ग्राम माइक्रोग्रीन खाते हैं तो उससे ही आपके शरीर में पोषण की कमी दूर हो जाएगी। इनमें अनाजों के मुकाबले 40 प्रतिशत तक ज्यादा पोषक तत्व पाये जाते हैं। माइक्रोग्रीन में जब शुरुआती दो पत्तियों के बाद दूसरी पत्तियां आने लगें, तब तक उसे जरूर काट लें, क्योंकि उसके बाद उसमें पोषण की मात्रा कम होने लगती है। 

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