Successful Story : किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए पारंपरिक खेती छोड़कर कमर्शियल फसलों की खेती पर ध्यान दे रहे हैं। आज कई राज्यों के किसान फल, फूल और सब्जी की खेती कर रहे हैं और इनके फसल उत्पादन से उन्हें लाखों रुपए का मुनाफा भी मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में प्रगतिशील बदलाव देखे जा सकते हैं। इन्हीं पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई राज्य सरकारें विभिन्न बागवानी कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए सरकार द्वारा उन्हें अनुदान लाभ देने के साथ कई तरह की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही है। इसी क्रम में कृषि विभाग, मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदेश में बागवानी फसलों की खेती के क्षेत्र विस्तार के लिए प्रदेश में एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना लागू की गई है। इस एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत मध्य प्रदेश के धार जिले में बागवानी फसलों (Horticultural Crops) को बढ़ावा देने के लिए किसानों को बागवानी फसलों की खेती के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा है। इस बागवानी मिशन के अंतर्गत जिले के बदनावर के तिलगारा ग्राम के किसान बाबूलाल पाटीदार की आर्थिक स्थिति में एक सकारात्मक बदलाव आया है। मौजूदा वक्त में किसान बाबूलाल पाटीदार को बागवानी खेती से लाखों रुपए की मुनाफा भी हुआ है।
किसान बाबूलाल पाटीदार सालों से अपने खेतों में पारंपरिक फसल गेहूं और सोयाबीन की खेती किया करते थे, लेकिन मेहनत के मुकाबले उन्हें खेत से उतना मुनाफा नहीं होता था। उन्होंने मुनाफे को लेकर उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया। फिर इसके बाद अधिकारियों ने उनके खेत का दौरा कर परीक्षण किया। इसके बाद अधिकारियों ने किसान बाबूलाल पाटीदार को स्ट्रॉबेरी की खेती करने की सलाह दी। इसके अलावा, किसान को एकीकृत बागवानी विकास मिशन में मिलने वाले लाभों की जानकारी भी दी गई। विभागीय अधिकारियों के मार्गदर्शन में किसान बाबूलाल ने एक हेक्टेयर क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की फसल लगाई।
किसान बाबूलाल पाटीदार ने स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry farming) में मल्चिंग तथा ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल किया। साथ ही अधिकारियों की सलाह पर उपयुक्त खाद मात्रा का उपयोग भी किया। परिणामस्वरूप किसान बाबूलाल को खेती से 180 क्विंटल स्ट्रॉबेरी की उपज मिली, जिसे बेचकर उन्हें 2 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा हुआ। किसान पाटीदार बताया कि उन्होंने स्ट्रॉबेरी की फसल उपज को जयपुर, भोपाल और इंदौर मंडी में बेचते हैं। कई खरीदार तो उनके खेत से ही स्ट्रॉबेरी खरीदकर ले जाते हैं। बाबूलाल ने बताया कि पहली बार तो वे खेती हेतु स्ट्रॉबेरी के पौधे खरीदकर लाए थे, लेकिन इस साल तो मदर प्लांट से इसके पौधे तैयार कर लिए गए हैं।
किसान बाबूलाल पाटीदार कहते हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती को वैज्ञानिक पद्धति से किया जाए तो कृषि उपज से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी की फसल लगाने के लिए उन्हें प्रदेश सरकार की ओर से 1 लाख 12 हजार रुपए का अनुदान भी मिला है। यह अनुदान राशि उनके कृषि कार्य के लिए काफी उपयोगी साबित हुई।
अगर आप किसान है और बागवानी की खेती करना चाहते हैं, तो एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत फल क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम में किसान ऑनलाइन पंजीयन MPFSTS पोर्टल के माध्यम से http://mpfsts.mp.gov.in पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। साथ ही जिला उद्यानिकी विभाग के फील्ड स्टाफ से इस संबंध में अधिक जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।
स्ट्रॉबेरी शीतोष्ण जलवायु में पाया जाने वाला एक फल है, जो अपने गहरे लाल रंग और हल्का खट्टा, मीठा स्वाद के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। इसके फल का आकार दिल के समान होता है। फल के बीज बाहर की ओर होते हैं। पूरे विश्व में स्ट्रॉबेरी की लगभग 600 किस्में है। स्ट्रॉबेरी अल्प अवधि 4 से 5 महीने में ही पैदावार देने वाली उद्यानिकी फसल है। इसकी खेती किसानों को अन्य फल वाली फसलों की तुलना में कम समय में ज्यादा मुनाफा देती है। वैज्ञानिक सलाह के हिसाब से इसकी खेती करने पर किसान भाईयों को कुल खेती लागत पर 3 गुना अधिक लाभ आसानी से मिल सकता है। भारत में स्ट्रॉबेरी खेती केवल पहाड़ी क्षेत्रों जैसे नैनीताल, देहरादून, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, नीलगिरी, दार्जलिंग आदि क्षेत्रों में की जा रही है।
हालांकि, अब कृषि तकनीक एवं स्ट्रॉबेरी की प्रमुख किस्मों के विकास से इसकी खेती अब उष्णकटिबंधीय जलवायु में भी होने लगी है। मध्य प्रदेश, पंजाब, हिरयाणा, राजस्थान, बिहार जैसे राज्यों में भी स्ट्रॉबेरी खेती प्रचलित हुई है।
व्यावसायिक रूप से स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त है। फसल लगाने के लिए जमीन की सतह से 25 से 30 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियां तैयार करें। क्यारियों की चौड़ाई 2 फिट और तथा लंबाई खेत की स्थिति के अनुसार रखें। क्यारियों की देखभाल एवं कृषि कार्य करने के लिए 40 से 50 सेंटीमीटर चौड़ा रास्ता रखें। क्यारियों में ड्रिप एरिगेशन की पाइपलाइन बिछा दें। सिंतबर से अक्टूबर महीने में स्ट्रॉबेरी की बुवाई करें। पलवार बिछाने हेतु प्लास्टिक मल्च का उपयोग करें। इससे फल मिट्टी के संपर्क में नहीं आते और सड़ने से बचते हैं।
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