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21 साल के शिवम ने आलू के बीज से कमाए एक करोड़ रुपए, टिश्यू कल्चर के बारे में जानें

21 साल के शिवम ने आलू के बीज से कमाए एक करोड़ रुपए, टिश्यू कल्चर के बारे में जानें
पोस्ट -19 मई 2022 शेयर पोस्ट

एग्री स्टार्टअप : टिश्यू कल्चर से पैदा करें आलू के बीज, हर साल करोड़ों की कमाई

इटावा के नावली गांव के एक ऐसे बीटेक छात्रा की बात करने जा रहे हैं जो आलू की उन्नत किस्म के बीजों का उत्पादन कर एक करोड़ रूपये हर साल कमा रहे है। 21 वर्षीय शिवम कुमार तिवारी ने सीएसए के इटावा स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग से 2019 में बीटेक की। बीटेक करने के बाद 21 वर्षीय शिवम कुमार तिवारी आलू के उन्नत किस्म के बीजों का उत्पादन कर रहे हैं। 2017 में 30 एकड़ से इस एग्री स्टार्टअप की शुरुआत करने वाले शिवम अब 200 एकड़ में बीजों का उत्पादन कर रहे हैं। वह टिश्यू कल्चर लैब में 17 तरह की आलू की प्रजातियों के उन्नत किस्म के बीज तैयार करके किसानों को बेच रहे हैं। सीएसए में कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने शिवम को सम्मानित किया है। शिवम ने बताया कि 2017 में बीटेक की पढ़ाई के दौरान सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपीआरआई) मेरठ में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था। वहां आलू के बीजों के उत्पादन इकाई को देखा तो उन्होंने खेती करने की सोची। शिवम कुमार तिवारी प्रशिक्षण के बाद इटावा लौटकर अपने किसान पिता राम करन तिवारी से बीज उत्पादन पर बात की फिर 50 लाख का लोन लेकर टिश्यू कल्चर लैब बनाई। उन्होंने कहा कि इस काम में हर साल 40 लाख रूपये खर्च होते हैं और कुल आय 1.40 करोड़ की हो है। तो चलिए आज हम ट्रैक्टरगुरू की इस पोस्ट के माध्यम से आपको 21 वर्षीय शिवम कुमार की तिवारी की सफलता की कहानी बताते हैं।   

New Holland Tractor

50 लाख लोन लेकर टिश्यू कल्चर लैब बनाई

सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपीआरआई) मेरठ में टिशू कल्चर विधि से आलू उत्पादन की तकनीक प्रशिक्षण लेने के बाद शिवम कुमार तिवारी इटावा लौटकर बैंक से 50 लाख लोन लेकर अपने फार्म पर टिशू कल्चर प्रयोगशाला स्थापित की। शिवम कुमार ने इस लैब में लगभग 17 प्रजातियों का आलू बीज उत्पादित कर रहे हैं। वह टिश्यू कल्चर लैब में तैयार इन आलू की प्रजातियों के उन्नत किस्म के बीज को किसानों को बेच रहे हैं। उनका ये भी कहना है कि टिश्यू कल्चर लैब से विकसित होने वाले आलू के इन पौधे या बीजों में रोग नहीं लगता हैं। लैब में तैयार बीज या पौधे के विकसित होने की संभावना 95 प्रतिशत तक होती है। यही वजह है कि किसान आलू के इन बीजों की ज्यादा मांग करते हैं। 

टिश्यू कल्चर विधि 

पौधे के ऊतकों (टिश्यू) का एक छोटा टुकड़ा उसके बढ़ते हुए ऊपरी हिस्से से लिया जाता है। इस टिशू के टुकड़े को एक जैली में रखा जाता है, जिसमें पोषक तत्व और प्लांट हार्मोन होते हैं। ठीक ऐसे ही, कुछ मूल पौधों की मदद से टिशू कल्चर की यह तकनीक अपनाते हुए कई छोटे-छोटे पौधे तैयार किये जा सकते हैं।

टिश्यू कल्चर विधि के लाभ

नए पौधों के विकास के लिए बहुत कम स्थान की आवश्यकता होती है। बाजार में नई किस्मों के उत्पादन को गति देने में मददगार होता है।
टिश्यू कल्चर विधि से उत्पादित पौधे एवं बीज बीमारी मुक्त और स्वस्थ होते हैं। और इस कल्चर तकनीक से तैयार पौधे या बीज 95 प्रतिशत तक विकसित होने की संभावना होती है। 
इस तकनीक से तैयार आलू के बीज या पौधे बीमारी मुक्त होते है। जिस वजह से आलू उद्योग में यह तकनीक वायरस मुक्त स्टॉक बनाए रखने में सक्षम होता है। इस विधि को अपनाने के बाद लोगों को अच्छा उत्पादन मिला है। 

4 इंच तक लंबा कुफरी प्रजाति के आलू के बीज कर रहे है तैयार

शिवम कुमार तिवारी ने बताया कि पढ़ाई के दौरान ही टिश्यू कल्चर लैब तैयार की, लैब में आलू के बीज को बनाना शुरू किया। उन्होंने बताया कि वह कल्चर विधि से दो जनरेशन में आलू के बीज तैयार करते हैं। जनरेेशन जीरो में 5 से 6 रूपए प्रति पीस आलू का बीज तैयार होता है, तो वही जनरेशन एक बीज 6,000 रूपए प्रति क्विंटल प्रति बीघा के हिसाब से 20 किसानों को मिलता है। उन्होंने बताया कि प्रगतिशील किसान आधुनिक तरीके से टिश्यू कल्चर विधि को अपनाकर 4 इंच लंबे कुफरी प्रजाति के आलू के लिए बीज अपने खेतों में तैयार रहे हैं।

टिश्यू कल्चर विधि से 30 एकड़ खेत में आलू का बीज तैयार किया 

शिवम कुमार तिवारी ने बताया कि देश के आलू अनुसंधान संस्थान शिमला से करार होने के बाद शिवम ने संस्थान से मदर प्लांट लेकर टिश्यू कल्चर विधि से 30 एकड़ खेत में आलू का बीज तैयार किया। इसमें से 100 क्विंटल बीज तैयार करके आलू अनुसंधान संस्थान को आपूर्ति की जाएगी। आलू अनुसंधान संस्थान टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार इन आलू के बीजों को देशभर में 20 किसानों को देकर इसकी खेती कराएगा। शिवम कुमार तिवारी का कहना है कि यह आलू पैदा होने के बाद 4 इंच तक लंबा होगा, जो फिंगर चिप्स बनाने वाली कंपनियों के काम आएगा।

अब चिप्स का प्लांट लगाने की तैयारी कर रहे है शिवम 

शिवम ने बताया कि अब इटावा में आलू के चिप्स का प्लांट लगाने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि इस प्लांट के निर्माण के बाद वह अपने क्षेत्र के किसानों से बाजार के मूल्य से ज्यादा दाम पर आलू खरीदकर उसके चिप्स बनाकर बाजार में उतारेंगे। इस प्लांट से उनके क्षेत्र के किसानों को रोजगार मिलेगा साथ ही उनकी पैदावार को बाजार में इधर उधर बचने के लिए नहीं भटकना नहीं पड़ेगा।

तैयार बीज किसानों को देकर खेती कराएगा आलू संस्थान

टिश्यू कल्चर तकनीक से आलू बीज उत्पादन करने वाले शिवम उत्तर प्रदेश में पहले किसान है। दिसंबर 2020 में केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला से प्रगतिशील किसान शिवम कुमार तिवारी का करार हुआ है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय आलू आनुसंधान संस्थान शिमला के डायरेक्टर मनोज कुमार ने उनका नाम लिस्ट कर खेती के निरीक्षण के लिए वहां के दो वैज्ञानिक वीके गुप्ता व डॉ एसके लूथरा को भेजा था। सारी तैयारी से संतुष्ट होने के बाद दिसंबर 2019 को संस्थान ने उनसे एमओयू साइन किया था। संस्थान ने शिवम कुमार को शुरूआत में 3 इंच का माइक्रको प्लांट पौधा दिया था, जिसको टिश्यू कल्चर विधि से संवर्धन किया और अपने खेतों में रोपाई की। इससे 100 क्विंटल  आलू का बीज कुफरी प्रयोग प्रजाति का तैयार होगा, जो 4 इंच लंबा होगा। इसे भी संस्थान ले लेगा, उसके बाद इसे व किसानों को देकर उनसे आलू की खेती कराएगा।

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