Solar Power Storage Plant : कृषि सेक्टर से लेकर अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका मुख्य मकसद बढ़ते कार्बन फुट प्रिंट को कम करना है। भारत सरकार द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन भी किया जा रहा है, जिनके तहत किसानों एवं आम लोगों को सौर ऊर्जा, बायोगैस प्लांट समेत अन्य अक्षय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने के लिए अनुदान और वित्तीय सहायता भी मुहैया करवाई जा रही है। साथ ही सरकार द्वारा देश में सोलर पावर स्टोरेज प्लांट स्थापित करने की योजनाओं पर भी काम किया जा रहा है, ताकि लोगों को उपयोग के लिए स्वच्छ वैकल्पिक ऊर्जा मिल सके। इस बीच किसानों के लिए एक अच्छी खबर है।
मध्य प्रदेश के मुरैना में जल्द ही देश का पहला सोलर पावर स्टोरेज प्लांट (Solar Power Storage Plant) बनने जा रहा है। बताया जा रहा है अगले साल तक इस प्लांट का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इस सोलर पावर स्टोरेज प्लांट से आम लोगों के साथ-साथ किसानों को सीधा फायदा मिलेगा। जहां इससे किसानों को सिंचाई पंप चलाने के लिए बिजली की निर्बाध सप्लाई मिल सकेगी। वहीं लोगों को रात में बिजली की सप्लाई की जा सकेगी। माना जा रहा है कि सोलर पावर स्टोरेज प्लांट से मध्य प्रदेश के साथ उत्तर प्रदेश के किसानों को भी सीधा फायदा होगा।
मुरैना में लगने जा रहे सोलर पावर स्टोरेज प्लांट का काम अगले साल (2025) में शुरू होगा। उम्मीद है कि 2027 तक यह प्लांट बनकर तैयार हो जाएगा और काम करना शुरू कर देगा। मुरैना में करीब तीन हजार हेक्टेयर जमीन पर बनने वाले 600 मेगावॉट क्षमता के इस प्लांट की लागत करीब 3500 करोड़ रुपये रहेगी। इस परियोजना का नाम मुरैना-1 रखा गया है। इस स्टोरेज प्लांट से 600 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो सकेगा। इस प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सरकार मुरैना प्रोजेक्ट-2 का काम शुरू करेगी। इसमें 2000 मेगावॉट क्षमता का सोलर पावर स्टोरेज प्लांट लगेगा।
देश में यह अपनी तरह का पहला सोलर पावर प्लांट (Solar Power Plant) होगा, जहां बिजली (Electricity) को स्टोर कर रात में भी बिजली सप्लाई (Power Supply) की जा सकेगी। अभी तक देश में ऐसा कोई सोलर पावर स्टोरेज प्लांट नहीं है, जहां बिजली काे स्टोर किया जा सके। विशेष बात यह है कि आमतौर पर सोलर पावर प्लांट (Solar Power Plant) दिन के समय बिजली देते हैं, लेकिन सूरज ढलने के बाद सप्लाई को लेकर जो समस्या आती है वो इस पावर प्लांट में नहीं आएगी। क्योंकि यहां दिन में सूरज की गर्मी से बनी बिजली स्टोर (Electricity Store) कर ली जाएगी और रात के समय आवश्यकता पड़ने पर यहां से बिजली दी जा सकेगी।
इस सोलर पावर प्लांट को बनाने के बाद कोशिश यह रहेगी कि मध्यप्रदेश (एमपी) और उत्तर प्रदेश (यूपी) यहां से 6-6 महीने की अवधि में बिजली खरीद सकेंगे। अभी मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश, राज्य सरकारें रबी फसलों के लिए जो बिजली लेती हैं वो कई बार महंगी दरों पर खरीदी जाती है। हालांकि इस स्टोरेज प्लांट से सरकार को बिजली 4 से 5 रुपए प्रति यूनिट की दर पर मिल सकेगी। इससे खासतौर पर रबी फसलों के दौरान रात को जब बिजली किसानों को देनी होती है, तब इसका ज्यादा फायदा होगा। फसलों की सिंचाई के लिए राज्य सरकार किसानों को सस्ती दर से बिजली की निर्बाध सप्लाई कर सकेगी।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश सौर ऊर्जा उत्पादन (Solar energy generation) के अग्रणी राज्यों में गिना जाता है। एमपी के रीवा में दुनिया का सबसे बड़ा रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्लांट है, जो 750 मेगावॉट बिजली उत्पादन (energy generation) करता है। इस प्लांट से 76 प्रतिशत बिजली सप्लाई मध्य प्रदेश की पावर जनरेशन कंपनियों को तो वहीं 24 फीसदी बिजली दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) को दी जाती है। माना जा रहा है कि मुरैना में लगने जा रहे सोलर पावर स्टोरेज प्लांट से किसानों की बिजली समस्याओं का समाधान हो सकेगा। उन्हें सिंचाई के लिए रात के समय बिजली की निर्बाध सप्लाई मिलेगी। इस प्लांट में बनी बिजली का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्रों को दिया जाएगा। इस प्लांट में दिन में उत्पादित बिजली काे स्टोर करके रखा जाएगा और रात में सिंचाई जैसे काम के लिए उस स्टोर बिजली को उपयोग में लिया जा सकेगा।
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