देशभर में बीते कुछ दशकों के अंदर बागवानी फसलों यानी फल-सब्जियों की मांग में तेजी आई है। जिसके कारण किसानों का रूझान भी बागवानी की तरफ होने लगा है। इसकी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन की शुरुआत वर्ष 2005-06 (दसवीं योजना) के दौरान की गई थी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत बागवानी उत्पादन में वृद्धि करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर बागवानी योजना को संचालित कर बागवानी को बढ़ावा दे रही है। इसी कड़ी में बिहार सरकार ने कृषि और बागवानी क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए ड्राई हॉर्टिकल्चर योजना को शुरू किया है। बिहार बागवानी विभाग ने राष्ट्रीय बागवानी मिशन और मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजनाओं के अंतर्गत इस योजना का शुरू किया है। जिसके तहत राज्य में बागवानी फसलों की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी भी दी जाएगी।
बिहार राज्य बागवानी मिशन के तहत सूक्ष्म सिंचाई आधारित शुष्क बागवानी योजना के तहत जिले के शुष्क जमीन को उपजाऊ बनाकर एक साथ दो फसलों की खेती करने की कवायद शुरू कर दी गई है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। योजना के तहत आंवला, बेर, जामुन, बेल, कटहल एवं नींबू के साथ हाइब्रिड सब्जियों की खेती की जाएगी। इसको लेकर सूक्ष्म सिंचाई आधारित खेती करने को लेकर प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, फल के पौधा एवं सब्जियों के पौधा के लिए किसानों को अलग-अलग अनुदान दिया जाएगा। बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने मीडिया रिर्पोट को इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इसके तहत 875 हेक्टेयर में खेती करने का लक्ष्य रखा गया है, तो आइए ट्रैक्टरगुरू के इस लेख के माध्यम से ड्राई हॉर्टिकल्चर के बारे में जानते हैं।
बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने योजना के बारे में अधिक जानकारी देते हुए बताया कि बिहार में शुष्क जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई आधारित ड्राई हॉर्टिकल्चर योजना को शुरू किया है। इसके तहत फलों एवं सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी दी जाएगी। राज्य सरकार ने इस योजना के लिए फंड भी जारी कर दिया हैं। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार द्वारा सात निश्चय-2 के तहत सूक्ष्म सिंचाई आधारित शुष्क बागवानी योजना को 2.92 करोड़ रुपये की लागत पर 3 वर्षों के लिए स्वीकृति दी गई है। सूक्ष्म सिंचाई आधारित ड्राई हॉर्टिकल्चर स्कीम राज्य में पहले से संचालित है। राज्य सरकार ने इस योजना को आगे संचालित करते हुए इसे 3 साल के लिए बढ़ा दिया है। कृषि मंत्री के अनुसार गत वर्ष शुष्क बागवानी योजना के तहत 566 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तार किया गया तथा इस वर्ष 875 हेक्टेयर क्षेत्र का विस्तार किया जायेगा। इस योजना के अंतर्गत किसान अधिकतम 4 हेक्टेयर तथा न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर में फलदार पौधे लगाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने योजना के बारे में आगे जानकारी देते हुए बताया कि सरकार का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक फसलों की खेती से इतर अधिक आय देने वाली फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना है।
बिहार के कृषि मंत्री ने योजना के बारे में अधिक जानकारी देते हुए बताया कि बिहार बागवानी विभाग की योजनाओं के अनुसार आंवला, बेर, जामुन, बेल, कटहल एवं नींबू के साथ हाइब्रिड सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को एक निर्धारित लागत की 50 फीसदी राशि सब्सिडी के तौर पर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि योजना का कार्यान्वयन किसान अपने खेत के मेड़ पर भी करवा सकते हैं। इस योजना का लाभ उन किसानों को देय होगा, जो अनिवार्य रूप से ड्रिप सिंचाई संस्थापित किए हों अथवा जिनके द्वारा ड्रिप सिंचाई का संस्थापन का कार्य कराया जा रहा हो। योजना के तहत कम पानी में होने वाले शुष्क फलों के लिए 60 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर तीन वार्षिक किस्तों में लागत और रोपण सामग्री के मद में होने वाले व्यय को पूरा करने के लिए अधिकतम 30 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर अथवा लागत का 50 प्रतिशत अनुदान के रूप में किसानों को दी जाएगी।
मंत्री ने कहा कि फल के पौधे के बीच में 33 फीसदी जमीन खाली रह जाती है। खाली जमीन में हाइब्रिड सब्जी की खेती की जाएगी। योजना के तहत फल पौधों के बीच के खाली अंतराल के लिए इच्छानुसार, 7500 सब्जी पौधा प्रति हेक्टेयर एकीकृत उद्यान विकास योजना से किसानों की मांगों के अनुरूप उपलब्ध कराया जाएगा। हाइब्रिड सब्जी के प्रति पौधा की कीमत तीन रुपये है। जिसमें से किसान को पचास फीसदी अनुदान पर यानि प्रति पौधा एक रुपये 50 पैसे की दर पर मिलेगा। शुष्क बागवानी के फल पौधों के बढ़ने के पूर्व किसान सब्जी पौधों से आमदनी कर लाभ उठा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, चंडी, नालंदा से एकीकृत उद्यान विकास योजना द्वारा संकर प्रभेद के टमाटर, बैगन, मिर्च, पत्तागोभी, फूलगोभी एवं लत्तेदार सब्जियों के पौध किसानों को दिये जाएंगे। शुष्क एवं उसर जमीन की बेहतर तरीके से सिंचाई करने को लेकर प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत व्यक्तिगत तौर पर किसानों को ड्रीप सिंचाई अथवा मिनी स्प्रींकलर के लिए तथा समूह आधारित खेती करने के लिए बोरवेल अथवा सामुदायिक नलकूप के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत लागत का 90 फीसदी अनुदान मिलेगा। जिसे कृषक के क्षेत्र में पूर्व से ही ड्रिप सिंचाई का कार्य किया गया है, वैसे कृषकों के लिए पुनः ड्रिप सिंचाई की व्यवस्था करवाना अनिवार्य नहीं है। सामुदायिक नलकूप योजना का लाभ समूह में योजना लेने वाले किसानों को ही दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि राज्य के सभी 38 जिलों के लिए शुष्क बागवानी फसल के लिए किसानों का चयन कर इस योजना का क्रियान्वयन कराया जायेगा। जिलावार योजना संचालन हेतु 2400 कृषकों को सेंटर आफ एक्सीलेंस द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। आवेदन के जांच उपरांत सभी शर्तों को पूरा करने वाले किसानों को कार्यादेश देते हुए सेंटर आफ एक्सीलेंस, देसरी, वैशाली से फल पौधा आंवला, बेर, जामुन, कटहल, बेल, अनार, नींबू एवं मीठा नींबू आदि कृषकों को उपलब्ध कराया जायेगा। किसान अपनी इच्छानुसार फल पौध का चयन करने के लिए स्वतंत्र होंगे। फल पौधे की अनुदान राशि योजना की राशि से काटकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, देसरी, वैशाली को उपलब्ध कराया जायेगा।
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