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मशरूम यूनिट लगाने पर सरकार से मिलेगी 8 लाख तक की सब्सिडी जानें, पूरी जानकारी

मशरूम यूनिट लगाने पर सरकार से मिलेगी 8 लाख तक की सब्सिडी जानें, पूरी जानकारी
पोस्ट -31 जनवरी 2023 शेयर पोस्ट

मशरूम उत्पादन यूनिट लगाने पर किसानों को मिलेगी 40 प्रतिशत की सब्सिडी जानें, योजना की पूरी जानकारी

मशरूम फार्मिंग पर सब्सिडी : केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए कई तरह की सरकारी योजनाएं चलाई जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में इन सरकारी योजनाओं के अत्यंत सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। कई राज्यों के किसानों ने इन सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर अपनी आर्थिक स्थिति को पहले से बेहतर बनाया है। सरकार द्वारा एक बार फिर से किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए सरकारी प्रयास किया जा रहा है, जिसमें बागवानी को बढ़ावा दिया जा रहा है। बीते कुछ वर्षों से देश में किसानों के बीच बागवानी फसलों का चलन काफी तेजी से बढ़ा है, जिसमें किसान अब पारंपरिक फसलों के बजाय  सब्जी, फल, औषधी, मसालों की खेती कर अच्छा लाभ ले रहे हैं। वहीं, केंद्र एवं राज्य सरकार की सब्सिडी योजना का भी लाभ मिल रहा है। ऐसे में बागवानी में मशरूम एक बेहतर फसल बनकर सामने आया है। वर्तमान समय में किसान मशरूम उत्पादन यूनिट स्थापित कर अतिरिक्त आमदनी कमा रहे हैं। पिछले कुछ सालों से बिहार समेत देश के कई अन्य राज्य के किसान मशरूम उत्पादन करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। आज बिहार से प्रेरित होकर राजस्थान सरकार भी राज्य में मशरूम की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए किसानों को मशरूम उत्पादन यूनिट लगाने के लिए 40 प्रतिशत अधिकतम 8 लाख रुपए का अनुदान भी दिया जा रहा है। देश-विदेश में फंगी/कवक की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिसे देखते हुए राजस्थान सरकार ने यह निर्णय किया है। ताकि कम खर्च में बागवानी के जरिए राज्य के किसानों की आय को बढ़ाया जा सके। राज्य सरकार की ओर से इसके लिए समय-समय पर आवेदन मांगे जाते हैं। आप इस योजना में आवेदन कर लाभ उठा सकते हैं। ट्रैक्टरगुरु के इस पोस्ट में आपको योजना से संबंधित पूरी जानकारी दी जा रही है। 

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मशरूम उत्पादन यूनिट लगाने पर सब्सिडी प्रतिशत 

केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत सुपरफूड के तौर पर फंगी/कवक उत्पाद को खूब बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी के तहत राजस्थान सरकार द्वारा भी राज्य में कूड़ा खाद तैयार करके इसका बिजनेस करने के लिए मशरूम उत्पादन यूनिट पर किसानों को अनुदान दिया जा रहा है। किसानों को मशरूम उत्पादन के व्यवसायिक यूनिट लगाने पर सरकार द्वारा 40 प्रतिशत या अधिकतम 8 लाख रुपए की सब्सिडी प्रति इकाई लागत पर दिया जा रहा है। किसानों को यह सब्सिडी राशि अधिकतम 20 लाख रुपए की लागत वाले मशरुम उत्पादन इकाई पर दिया जाता है। वहीं, मशरूम उत्पादन यूनिट लगाने के लिए राजस्थान सरकार 15 लाख रुपए तक की लागत वाली इकाई पर 40 प्रतिशत या अधिकतम 6 लाख रुपए तक का क्रेडिट लिंक बैक एंडिड अनुदान देती है। राजस्थान सरकार द्वारा मशरूम स्पॉन/कंपोस्ट उत्पादन यूनिट लगाने के लिए भी 20 लाख रुपए की लागत निर्धारित की गई है, जिस पर प्रति इकाई लागत खर्च का 40 प्रतिशत सब्सिडी सरकार द्वारा  क्रेडिट लिंक बैक एंडिड अनुदान दिया जाता है। 

राज्य के इन जिलों में किसानों को मिलेगा लाभ 

मशरूम कवक उत्पाद है, जिसे कूडा खाद (कंपोस्ट) से उत्पादित किया जाता है। आज देश-विदेश में इसकी मांग बढ़ रही है। बढ़ती मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत मशरूम को भी बागवानी फसलों में शामिल कर दिया है। इसमें केंद्र सरकार की ओर से मशरूम उत्पादन यूनिट लगाने पर अनुदान देने का प्रावधान भी किया गया है। ऐसे में राजस्थान की सरकार ने कम लागत में मशरूम का उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, भीलवाड़ा, बूंदी, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, श्रीगंगानगर, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावार, झुंझुनू, जोधपुर, कोटा, नागौर, पाली, सिरोही, सवाई माधोपुर, टोंक, उदयपुर, बांरा और करौली जिले में मशरूम उत्पादन कार्यक्रम का संचालन शुरू किया गया है। इन चयनित जिलों में किसान एवं किसान समूह को ही मशरूम उत्पादन कार्यक्रम के तहत मशरूम की खेती करने पर अनुदान देने का प्रावधान किया है। 

अनुदान का लाभ लेने के लिए यहां करें आवेदन 

राजस्थान की सरकार राज्य में कम लागत खर्च पर मशरूम का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को मशरूम उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत मशरूम उत्पादन यूनिट लगाने पर अनुदान दे रही है। इसके लिए चयनित जिलों में कृषि विभाग ने किसानों से आवेदन मांगे हैं। अगर आप भी इन जिलों से आते हैं और खेती के साथ-साथ मशरूम उत्पादन यूनिट लगाने पर क्रेडिट लिंक बैक एंडिड अनुदान लेना चाहते हैं, तो आप अपने जिले के कृषि विभाग अथवा कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यालय में संपर्क कर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन फॉर्म को आप कृषि विभाग में ही ऑफलाइन जमा कर सकते हैं। इसके अलावा, आप ई-मित्र केंद्र/सीएससी सेंटर पर जाकर भी निशुल्क आवेदन कर सकते हैं।

आवेदन फॉर्म के साथ इन डॉक्यूमेंट की होगी जरूरत

मशरूम उत्पादन यूनिट पर दी जा रही क्रेडिट लिंक बैंक एंडिड सब्सिडी का लाभ लेने के लिए इच्छुक किसान/ किसान समूहों को आवेदन के समय आवेदन फॉर्म में कुछ डॉक्यूमेंट भी अटैच करना होगा, जो इस प्रकार है-

  • आधार कार्ड
  • बैंक खाता पासबुक
  • पैन कार्ड
  • किसान का शपथ पत्र या लोन की फोटो कॉपी
  • जनाधार या भामाशाह कार्ड की फोटो कॉपी 
  • अपनी पूरी प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी अटैच करनी होगी।

योजना से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें 

योजना के माध्यम से निजी क्षेत्र में मशरूम इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने हेतु आवश्यक मशीनरी व बुनियादी ढांचागत सुविधाएं और इससे सबंधित उपकरणों व स्थापित की जाने वाली स्पॉन व कम्पोस्ट यूनिटों के विवरण समेत प्लांट एवं मशीनरी का पूर्ण विवरण, लागत एस्टीमेट, वित्तीय विश्लेषण इत्यादि सहित विस्तृत परियोजना प्रस्ताव, बैंक लोन स्वीकृति पत्र, भू-स्वामित्व डॉक्यूमेंट व शपथ-पत्र के साथ प्रस्ताव जिला हॉर्टिकल्चर डवलपमेन्ट सेासायटी के तहत राजस्थान हॉर्टिकल्चर डवलपमेंट सोसायटी, जयपुर को प्रस्तुत करने होंगे।

योजना के तहत परियोजना प्रस्ताव की कुल लागत पर लगभग 50 से 75 प्रतिशत तक का बैंक ऋण (बैंक टर्म लोन) लेना अनिवार्य होगा। यह बैंक ऋण अनुदान राशि से अधिक होना चाहिए। 
परियोजना प्रस्ताव के सक्षम स्तर से अनुमोदन पश्चात प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जावेगी। 

आवेदक कृषक/कृषक समूह द्वारा इकाई स्थापना का कार्य अधिकतम 1 वर्ष अवधि में पूर्ण किया जाना अनिवार्य होगा। आवेदक द्वारा परियोजना में प्रस्तावित गतिविधियों की प्रशासनिक स्वीकृति अनुसार कार्य पूर्ण करके जिला हॉर्टिकल्चर डवलपमेंट सोसायटी/राजस्थान हॉर्टिकल्चर डवलपमेंट सोसायटी को सूचित कराया जायेगा।  

आर.एच.डी.एस. द्वारा गठित कमेटी की भौतिक वेरिफिकेशन रिपोर्ट के अनुसार अनुदान राशि जिला हॉर्टिकल्चर डवलपमेंट सोसायटी द्वारा आवेदक कृषक/कृषक समूह के बैंक अनुदान आरक्षित खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
यह अनुदान राशि 3 वर्ष की लॉक इन अवधि पूरी होने के बाद बैंक एंडिड प्रक्रिया के माध्यम से अंत में समायोजित की जाएगी।

मशरूम उत्पादन इकाई पर राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत अनुदान, स्थापित वर्ष, कुल इकाई लागत, मशीनरी का विवरण की जानकारी का बोर्ड लगाना जरुरी होगा।

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