गन्ना किसानों के लिए खुशखबर है। दरअसल, गन्ने का मूल्य बढ़ाने को लेकर हरियाण राज्य में चल रहे किसान आंदोलन के चलते प्रदेश सरकार बैकफुट पर आ गई थी। अब गन्ने के भाव बढ़ाने के मांग को पूरा करते हुए सरकार ने चालू पेराई सीजन के लिए गन्ने के भाव में 10 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पेराई सीजन के लिए गन्ने के भाव में बढ़ोतरी की घोषणा करते हुए कहा कि अगले साल भी गन्ने का मूल्य बढ़ाया जाएगा। फिलहाल, हरियाणा में गन्ने का भाव 362 रुपए से बढ़कर 372 रुपए प्रति क्विंटल तक हो गया है। गन्ने के भाव में 10 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी से किसानो में खुशी की लहर है। मुख्यमंत्री द्वारा गन्ना के भाव में 10 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को लेकर राज्य में गन्ना किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल का आभार आभार जताया। मुख्यमंत्री के इस निर्णय की सराहना करते हुए किसानों का कहना है कि गन्ना की फसल पर प्रति क्विंटल बढ़ाए गए रेट उनकी आय में वृद्धि होगी और इससे किसानों को बड़ा आर्थिक लाभ भी मिलेगा। मुख्यमंत्री की सोच सही मायनों में किसान हितैषी बताते हुए विभिन्न क्षेत्रों के किसानों ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया है। किसानों का कहना है कि मुख्यमंत्री हरियाणा ने गन्ने के भाव में बढ़ोतरी कर सरकार के किसान हितैषी होने का प्रमाण दिया है। आईए, ट्रैक्टरगुरु के इस पोस्ट के तहत मुख्यमंत्री हरियाणा द्वारा गन्ना फसल पर बढाए के रेट के इस निर्णय के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गन्ना फसल उगाने वाले किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 362 रुपए से बढ़ाकर 372 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इसके साथ ही गन्ना की फसल पर 10 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ने से अब राज्य में पिराई सत्र 2022-23 के लिए गन्ने का भाव 372 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। चीनी मिल पलवल प्रबंध निदेशक शशि वसुंधरा ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा गन्ना फसल पर बढ़ाए गए भाव से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में गन्ना किसान खुश है। गन्ना फसल का यह भाव बढ़ने से किसानों को प्रति एकड़ अब करीब 4 हजार रुपए का अतिरिक्त लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा कृषि मंत्री जेपी दलाल की अध्यक्षता वाली समिति ने गन्ना पिराई सत्र 2022-23 के लिए गन्ने का रेट 370 रुपए प्रति क्विंटल करने की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने किसानों का सच्चा हितैषी होने का प्रमाण देते हुए गन्ने के रेट 370 रुपए की जगह 372 रुपए प्रति क्विंटल देने का निर्णय किया है। उन्होंने बताया कि गन्ना किसानों ने मुख्यमंत्री को इसके लिए आभार प्रकट किया है। सरकार ने गन्ने का भाव बढ़ाकर किसानों की आय भी बढ़ा दी है। किसानों ने राज्य सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि इससे गन्ना किसानों की आर्थिक आय में वृद्धि होगी।
हरियाणा में गन्ने की फसल का रेट बढ़ाने को लेकर किसानों द्वारा किया जा रहा आंदोलन समाप्त हो चुका है। हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वर्तमान पेराई सीजन के लिए गन्ने के रेट में 10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी से प्रदेश में गन्ने का रेट 362 रुपए से बढ़कर 372 रुपये हो गया है। गन्ने की फसल पर इस बढ़ोतरी से विभिन्न क्षेत्र के किसान खुश है। लेकिन अभी भी कई किसान संगठन गन्ना की फसल पर रेट बढ़ोतरी से नाखुश नजर आ रहे हैं। किसान संघ के प्रदेश महामंत्री रामबीर सिंह चौहान ने कहा कि गन्ना का रेट पंजाब के बराबर 380 रुपए प्रति क्विंटल गन्ना किसानों को मिलना चाहिए। किसानों की मांग है कि गन्ने के भाव में और अधिक वृद्धि की जाए।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गन्ना के रेट में बढ़ोतरी पर राज्य के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने बताया है कि चीनी की मौजूदा कीमत उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी है, फिर भी हम चीनी की कीमत की तुलना में गन्ना उगाने वाले किसानों को अधिक कीमत दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि गन्ने की फसल के भाव बढ़ाने से अब प्रदेश में गन्ने की पिराई पंजाब से ज्यादा हो गई है। राज्य में चीनी मिले पहले से घाटे में चल रही है। शुगर मिल बंद रहने की वजह से करीब 10 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, लेकिन फिर भी हमारी सरकार ने समय-समय पर किसानों के हितों के लिए कमा किया है। उन्होंने कहा कि गन्ने का भाव बढ़ने से किसानों को करीब 17.50 करोड़ रुपए का फायदा हुआ है। साथ ही किसानों से आह्वान किया कि वे गन्ना लेकर चीनी मिल जाए।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि इस समय राज्य की चीनी मिले लगातार घाटे में चल रही है। वर्तमान समय में राज्य की चीनी मिलों पर करीब 5293 करोड़ रुपए बकाया चल रहा है। चीनी उत्पादन की औसत लागत 4,341 रुपए प्रति क्विंटल है, जोकि चीेनी के विक्रय मूल्य 3,400 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक है। उन्होंने कहा कि सहकारी चीनी मीलों को 1005 करोड़ रुपए का ऋण दिया गया है। वित्तीय सहायता के रूप में पिछले दो सालों (2020-21 और 2021-22) में सभी सहकारी एवं निजी चीनी मीलों को 329 करोड़ रुपए की राशि अनुदान के रूप में दी गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि सहकारी मिलों में चीनी की रिकवरी का प्रतिशत 9.75 है, जबकि निजी चीनी मिलों में चीनी का प्रतिशत 10.24 है। राज्य में चीनी मिलों की हालत सुधारने के लिए चीनी की रिकवरी बढ़ाने एवं अतिरिक्त आय के लिए चीनी मिलों में एथेनॉल व ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जा रही है। साथ ही चीनी मिलों में चीनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर भी तेजी से काम किया जा रहा है।
हरियाणा मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में गन्ना किसानों को समय पर भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा वर्ष 2020-21 में 2628 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और इस वर्ष कोई भी बकाया नहीं है। वहीं, वर्ष 2021-22 में सिर्फ नारायणगढ़ चीनी मिल के 17.94 करोड़ रुपए को छोड़कर 2727.29 करोड़ रुपये का भुगतान गन्ना किसानों को कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि बकाया भुगतान को लेकर सहकारी चीनी मिलों को निर्देश दिए गए हैं कि एक सप्ताह में गन्ना किसानों को भुगतान कर दिया जाए। साथ ही किसानों को भी ऑफर दिया गया है कि अगर वे चीनी मिलों का संचालन करना चाहें तो सरकार इस पर भी विचार कर सकती है। उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। साथ ही मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील करते हुए कहा है कि वे गन्ने को चीनी मिलों में ले जाना शुरू करें और मिलों को सुचारू रूप से चलने दें।
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