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झींगा मछली पालन सब्सिडी : झींगा मछली पालन पर 40% सब्सिडी - अभी करें आवेदन

झींगा मछली पालन सब्सिडी : झींगा मछली पालन पर 40% सब्सिडी - अभी करें आवेदन
पोस्ट -21 जून 2022 शेयर पोस्ट

जानें झींगा मछली पालन पर अनुदान योजना के बारे में, कैसे मिलेगा सब्सिडी का लाभ

भारत में पिछले कुछ सालों में मत्स्य पालन क्षेत्र में काफी हद तक विस्तार देखने को मिला है। मत्स्य पालन क्षेत्र में इस विस्तार श्रेय सरकार की उन तमाम योजनाओं को जाता है, जिन्हें सरकार ने किसानों को मत्स्य पालन क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए लॉन्च कर रखी है। सरकार इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को मत्स्य पालन के लिए आर्थिक सहायता, संबंधित प्रशिक्षण एवं मत्स्य पालन क्षेत्र से संबंधित हर वो साधन किसानों को उपलब्ध करवाती है जिनके माध्यम से किसान इस क्षेत्र में उचित उत्पादन कर अच्छा लाभ अर्जित कर सकें। इसके अलावा कुछ राज्यों में मछली पालन के लिए सब्सिडी भी दी जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि केन्द्र सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए ब्लू रिवॉल्यूशन योजना को शुरू किया हुआ है। इन सभी के बीच  भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र में झींगा मछली पालन का व्यवसाय तेजी से बढ़ता जा रहा है। झींगा मछली का व्यवसाय तेजी से बढ़ने का यह कारण है कि झींगा मछली, सभी मछलियों में सबसे लोकप्रिय मानी जाती है क्योंकि यह मछली पालकों को तगड़ा मुनाफा देती है। आपकों बता दें कि लोग इसकों सी-फूड के नाम से भी जानते हैं और खाने में बेहद पसंद करते है। कई राज्यों कि सरकार झींगा मछली पालन के लिए अपने अपने स्तर पर किसानों को सब्सिडी भी प्रदान कर रही है। हाल ही में पंजाब सरकार ने राज्य के सभी जिलों में झींगा मछली पालन पर 40 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करने का फैसला लिया है। इस सब्सिडी का लाभ किसान व पशुपालक 25 जून 2022 तक ले सकते हैं। अुनदान के लाभ लेने के लिए आपको अपना योजना के तहत मछली पालन विभाग में करना होगा। ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट के माध्यम से आपको झींगा मछली पालन पर सब्सिडी योजना से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।

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पंजाब में मछली पालन की अपार संभावनाएं 

मीडिया रिपोर्ट्स के अुनसार पंजाब में मछली पालन की अपार संभावनाएं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में मछली पालन के अनुकुल 37 हजार एकड़ जमीन का क्षेत्र है। जिनमें खारे इलाकों और सतलुज, ब्यास और घग्गर नदियों के किनारे की जमीन है। पंजाब में मछली पालन को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। यह सब्सिडी उन किसानों के लिए वरदान साबित होगी, जिनकी जमीन इस क्षेत्र में आती है। क्योंकि झींगा पालन का कार्य प्राकृतिक रूप से खारे पानी से किया जाता है। योजना के तहत किसानों को एक एकड़ भूमि पर झींगा पालन के लिए लगभग एक लाख रूपये तक का खर्च आयेगा। इसमें तालाब खुदाई के लिए 60,000 रुपए, चारा के लिए 20,000 रुपए और पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए जलवाहक खरीदने के लिए 18,000 रुपए की जरूरत होती है। और बाकी मछली पालन व्यवसाय के देखरेख हेतु मजदूर का खर्च शामिल है। झींगा मछली पालन शुरू करने के लिए तालाबों की खुदाई और झींगा मछली के बीज डालने का यह उपयुक्त समय है।

मत्स्य पालन क्षेत्र में झींगा मछली पालन किसानों की पहली पसंद

झींगा मछली पालन एक्वाकल्चर का एक व्यवसाय है जिसे मुख्य रूप से मानव उपभोग के लिए पाला जाता है। झींगा मछली पालन एक तेजी से बढ़ने वाले व्यवसाय के रूप में उभरा है। पिछले कुछ दशकों में मत्स्य पालन क्षेत्र में झींगा मछली का पालन किसानों की पहली पसंद बना गया है। झींगा मछली पालन व्यवसाय प्रतिवर्ष 6 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। झींगा खाने में स्वादिष्ट तो होता ही है, लेकिन इसमें पोषक तत्वों की भरमार होने से देश-विदेश में इसकी मांग लगातार रहती है। झींगा मछली पालन का कार्य कृषि और पशुपालन के साथ सहायक व्यवसाय के रूप में किया जा सकता है। इस व्यवसाय से ग्रामीणों को छोटे से जल क्षेत्र से अच्छी खासी कमाई हो जाती है। खेती संग इस व्यवसाय को अपनाकर खेती को और लाभकारी बनाया जा सकता है।

झींगा मछली पालन उत्पादन एवं व्यवसाय से होने वाली आय

झींगा मछली पालन की एक एकड़ जमीन पर खोदे गए तालाब से करीब 4 हजार किलोग्राम झींगा पैदा किया जा सकता है। जिनका खुले बाजार में मूल्य 350 से 400 रूपये प्रतिकिलों तक होता है, जो मछलियों के मूल्य से अधिक है। एक एकड़ भूमि में झींगा मछली पालन से एक बार में 5 लाख तक की शुद्ध आय हो सकती है। इनका पालन पोखर, तालाब, झील व बाँध के अलावा कृत्रिम तालाबों व धान के खेतों में भी किया जा सकता है। कुशल जल प्रबंधन होने पर झींगा मछली पालन से साल में दो बार उत्पादन लिया जा सकता है। भारतीय बाजार से लेकर विदेशी बाजारों में झींगा निर्यात की भरपूर संभावनाएं मौजूद हैं। झींगा मछली पालन का व्यवसाय निम्नवत तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए।

झींगा मछली पालन व्यवसाय शुरू करने के इन तकनीकी पहलुओं का करें पालन

झींगा मछली पालन का व्यवसाय निम्नवत तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए:- 

  • स्थानीय मांग - झींगा मछली की स्थानीय मांग और प्रतिस्पर्धा के बारे में अच्छी जानकारी होना सबसे आवश्यक है। झींगा मछली पालन व्यवसाय करने से पूर्व अपने आसपास के क्षेत्र सहित स्थानीय बाजार अनुसंधान करें और इन स्थानीय बाजार में झींगा मछली की मांग के आधार एवं अनुसंधान की आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के बाद ही झींगा मछली पालन का व्यवसाय शुरू करें।

  • लाइसेंस - झींगा मछली पालन व्यवसाय के लिए कुशल प्रशिक्षण एवं तकनीकी ज्ञान का होना अति आवश्यक है। झींगा मछली पालन व्यवसाय शुरू करने से पहले आपने स्थानीय मत्स्य पालन विभाग से इस क्षेत्र में तकनीकी ज्ञान एवं प्रशिक्षण हासिल करें। झींगा मछली व्यवसाय शुरू करने के लिए स्थानीय प्राधिकरण से संपर्क कर अपनी व्यक्तिगत जानकारी एवं झींगा पालन व्यापार से संबंधित जानकारी प्रदान करें। वाणिज्यिक झींगा फार्म संचालित करने के लिए एक्वाकल्चर परमिट खरीदने की आवश्यकता होती है। परमिट के लिए अपने राज्य के मत्स्य पालन विभाग के कानून के अनुसार रजिस्टर कर परमिट प्राप्त करें।

  • झींग मछली पालन के लिए जमीन का चयन - झींगा उत्पादन का कार्य प्राकृतिक रूप से समुद्र के खारे पानी से किया जाता था, लेकिन कृषि में हुए तकनीकी विकास और अनुसंधान के चलते झींगा का सफल उत्पादन मीठे पानी में भी सम्भव हो चला है। मीठे पानी में झींगा पालन की सफलता काफी हद तक बेहतरी होती है। झींगा मछली पालन पोखर, तालाब, झील व बाँध के अलावा कृत्रिम तालाबों में किया जा सकता है। झींगा मछली पालन के लिए कृत्रिम तालाब का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखे की तालाब तुरंत ही खोदा गया ना हो। नए खोदे गए तालाब पहले साल में खराब परिणाम देते हैं। झींगा मछली पालन व्यवसाय के लिए 3 से चार महीने पहले कृत्रिम तालाब का निर्माण करवाए।

झींगा मछली पालन पर अनुदान हेतु ऐसे करें आवेदन

पंजाब सरकार ने राज्य में झींगा मछली पालन की अपार संभावनाएं को देखते हुए राज्य में झींगाा मछली पालन पर 40 प्रतिशत सब्सिडी देने का फैसला लिया है। झींगा मछली पालन पर 40 प्रतिशत का अनुदान पाने के लिए इच्छुक आवेदक किसान को अपना आवेदन राज्य के मछली पालन विभाग में 25 जून 2022 तक जमा करवाना होगा।

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