बीते साल 2-3 साल में देश के अंदर बहुत कुछ घटित हुआ। इस बीच पहले तो इंसानों में तेजी से कोराना ने कहर बरपाया फिर लंपी वायरस पशुओं का काल बनकर सामने आया। हरियाणा, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हिमाचल और राजस्थान सहित देश के कई अन्य राज्यों के अंदर पशुओं में लंपी वायरस तेजी से फैला। देखते ही देखते लंपी वायरस ने लाखों पशुओं को अपनी चपेट में ले लिया, जिसमें सबसे अधिक गायें शामिल थीं। लंपी वायरस को कंट्रोल करने के लिए केंद्र सरकार ने राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, बिहार और झारखंड सहित सभी राज्यों की सरकारों के सहयोग से पूरे देश में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, टीकाकरण के बाद लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं की संख्या में काफी कमी देखने को मिली। लंपी वायरस से संक्रमित मामले तेजी से कम हो रहे हैं। वहीं, लंपी वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला राज्य राजस्थान रहा। राजस्थान में लंपी से पशुओं की सबसे अधिक मौत हुई, इसमें सबसे ज्यादा दुधारू पशु शामिल थें। इसकी वजह से राज्य में दुग्ध उत्पादन पर भी असर पड़ा। लेकिन अब राज्य सरकार ने पशुपालकों को राहत देने का काम किया है। राजस्थान सरकार ने अपने बजट में लंपी वायरस से मृत पशुओं के मालिकों को मुआवजे ऐलान किया है। आईए, इस पोस्ट की मदद से इस खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लंपी वायरस का सबसे ज्यादा कहर राजस्थान राज्य में देखा गया। राजस्थान में इस वायरस से सबसे अधिक दुधारू पशु प्रभावित हुये थे। साथ ही लंपी से ग्रसित दुधारू पशु की मौत अधिक हुई। ऐसे में शुक्रवार को मुख्यमंत्री गहलोत सरकार की ओर से पेश हुए बजट में ऐसे पशुपालकों के राहत देने की कोशिश की गई है। इस बजट में सरकार ने लंपी महामारी में मरने वाले दुधारू पशुओं पर प्रति गाय 40 हजार रुपए राशि का मुआवजा दिए जाने की घोषणा की है। बता दें कि राजस्थान से हर रोज लगभग 29.9 लाख लीटर से अधिक दूध की बिक्री होती है।
सितंबर-अक्टूबर के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में इस वायरस से लगभग 11 लाख मवेशियों संक्रमित हुए थे। इनमें से करीब 47,000 गौवंशों की मौत हो गयी थी। राजस्थान पशुपालन विभाग ने इसे कंट्रोल करने के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए प्रत्येक जिला मुख्यालय पर कंट्रोल रूम भी बनाया था। वैज्ञानिकों द्वारा बनाये गए देसी टीका भी लगाया गया है। वहीं, विभाग ने लंपी-प्रोवैकइंड वैक्सीन मार्केट में आने के बाद बड़े स्केल पर टीकाकरण अभियान भी चलाया था। केंद्र सरकार के स्तर से ली गई रिपोर्ट अनुसार, इसका असर ग्राउंड लेवल पर देखने को मिला। लंपी वायरस के मामले तेजी से घटे हैं और लंपी की चपेट से धीरे धीरे पशु बाहर हो रहे हैं।
पश्चिमी राजस्थान में पशुओं में लंपी वायरस तेजी से फैला था। अकेले पश्चिमी राजस्थान में नजर डालें तो सिर्फ यहां से 17 हजार गौवंश लंपी से संक्रमित हुए थे। बता दें कि ये वह आंकड़े थे जो सरकार द्वारा दर्ज किए गए थे, वहीं लंपी वायरस की चपेट में आने वाले पशुओं की संख्या अधिक बताई जा रही थी। राजस्थान के जैसलमेर, जालौर, बाड़मेर, पाली, सिरोही, नागौर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जोधपुर, चुरू, जयपुर, सीकर, झुंझुनू, उदयपुर, अजमेर व बीकानेर आदि जिलों में यह संक्रमण पशुओं में तेजी से फैला था।
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