Free Electricity Scheme : आईएमडी के अनुसार, अगले कुछ दिनों में उत्तर-पश्चिम भारत के कई राज्यों में मानसून की एंट्री होने की संभावना है। इसके बाद इलाकों में खरीफ मौसम फसलों की बुवाई का काम किसानों द्वारा शुरू कर दिया जाएगा। पंजाब सहित अन्य मैदानी क्षेत्रों के किसान खरीफ की मुख्य फसल धान की बुवाई की तैयारी शुरू कर देंगे। इस बीच पंजाब के किसानों के लिए एक राहत की खबर है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने राज्य में किसानों के लिए मुफ्त बिजली योजना लागू की है। इस योजना के तहत किसानों को धान के खेतों के लिए मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई जाएगी।
सरकार का कहना है कि राज्य में 10 जून से धान फसल की बुआई/रोपाई शुरू हो जाएगी, जिसके कारण बिजली की मांग नए स्तर पर पहुंचने की संभावना है। किसानों को फसल की बुवाई के लिए पानी की दिक्कत न हो, इसके लिए उन्हें प्रति दिन आठ घंटे बिजली दी जाएगी। यह बिजली सरकार की ओर से फ्री दी जाएगी। इसके लिए बिजली विभाग ने अपनी ओर से पूरी तैयारी कर ली है। सिंचाई के लिए 8 घंटे बिजली देने के लिए बाकायदा पंजाब को जोनों में बांटा गया। किसानों को जो समय दिया गया है, उस समय पर बिजली दी जाएगी, जिससे किसानों को डीजल फूंककर जनसेट के माध्यम से फसलों की बुवाई और सिंचाई नहीं करनी पड़ेगी।
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (पीएसपीसीएल) का कहना है कि उसने धान के सीजन हेतु बिजली की मांग को पूरा करने के लिए अपनी ओर से पूरी तैयारी कर ली है। हालांकि, उसे पहले से ही उच्च मांग का सामना करना पड़ रहा है जो मई में 14,500 मेगावाट तक पहुंच गई थी। पीएसपीसीएल का कहना है कि 14.5 लाख से अधिक ट्यूबवेल के माध्यम से धान के खेतों की सिंचाई के लिए भूमिगत जल निकालने के बाद 16,500 मेगावाट को पार करने की संभावना है। फिलहाल, तकनीकी खराबी के कारण राज्य के कई इलाके पहले से ही बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं। लेकिन पंजाब सरकार इसके बावजूद किसानों को बिना रुकावट 8 घंटे बिजली देने जा रही है। इसके लिए बाकायदा पंजाब को जोनों में बांटा गया, जिससे किसानों को जो समय दिया गया। उस समय बिजली दी जा सके। बिना किसी बाधा के प्रतिदिन 8 घंटे बिजली मिलने से किसान अपनी फसलों को पानी दे सकें।
पावर कॉर्पोरेशन का कहना है कि राज्य सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह रोज किसानों को 8 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करेगी। धान के सीजन में बिजली आपूर्ति करने के लिए पीएसपीसीएल प्रतिबद्ध है। राज्य के कई क्षेत्रों में 10, 16, 19 और 21 जून से धान की बुआई का काम शुरू होगा। बुआई कार्यक्रम को लागू करने के लिए राज्य को चार जोन में विभाजित किया गया है। विद्युत निगम लिमिटेड के सूत्रों के अनुसार बिजली की मांग पिछले सीजन के 15,300 मेगावाट के मुकाबले इस वर्ष 16,500 मेगावाट तक पहुंचने की संभावना है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए अगर मांग 16,500 मेगावाट से अधिक हो जाती है तो हमें आश्चर्य नहीं होगा। पीएसपीसीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि 540 मेगावाट गोइंदवाल साहिब थर्मल प्लांट के अधिग्रहण के बाद, राज्य में बिजली उत्पादन बढ़ाकर मांग को पूरा करने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ट्रांसमिशन क्षमता को 9 हजार मेगावाट से बढ़ाकर 10 हजार मेगावाट करने के अलावा अतिरिक्त बिजली बैंकिंग व्यवस्था (3 हजार मेगावाट) और सौर ऊर्जा से पीएसपीसीएल को पीक मांग को पूरा करने में मदद मिलने की संभावना है। आम आदमी पार्टी सरकार को पीक मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोयला स्टॉक और थर्मल प्लांट से अधिक (पूर्ण) उत्पादन सुनिश्चित करना होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, एक ट्यूबवेल औसतन 8 घंटे बिजली आपूर्ति के साथ प्रति सप्ताह 30.24 लाख लीटर पानी निकालता है। धान के बढ़ते रकबे के चलते राज्य के 108 ब्लॉक "डार्क जोन" में हैं। वहीं, पंजाब सरकार ने कहा कि किसानों की सुविधा का ख्याल रखा गया है। उनको किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए बिना किसी बाधा के प्रतिदिन 8 घंटे बिजली दी गई। किसानों को पूरी बिजली और समय पर बिजली मिलने का लाभ दो तरफा हुआ। एक तो किसानों को रात को खेतों में पानी लगाने के लिए नहीं जाना पड़ रहा है। दूसरा उन्हें डीजल की खरीद नहीं करनी पड़ी। वहीं, पर्यावरण की भी रक्षा हुई। क्योंकि किसानों की जितने पानी की जरूरत थी उतना ही पानी उन्होंने निकाला।
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