कृषि के क्षेत्र में लगातार आ रही नई चुनौतियों को देखते हुए सरकार की ओर से किसानों के हित में कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चलाई गई हैं। सरकार की इन महत्वाकांक्षी योजनाओं के माध्यम से किसानों को कृषि क्षेत्र में हर संभव मदद दी जाती हैं। वर्तमान समय में किसानों के सामने कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की है, क्योंकि फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए पानी बहुत महत्वपूर्ण है। किसानों की इस समस्या को देखते हुए केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरूआत वर्ष 2015 में की। इस योजना के तहत किसानों को सिंचाई उपकरणों पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है। अलग-अलग राज्य सरकारें अपने स्तर पर इस योजना के माध्यम से किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान करती हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में लघु किसानों को 90 और सीमांत किसानों को 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर ड्रिप और स्प्रिंकल सिंचाई यंत्र प्रदान किए जाते हैं, तो वहीं छत्तीसगढ़ में 75 प्रतिशत सब्सिडी पर ये यंत्र किसानों को दिए जाते हैं। आपकों बता दें कि खरीफ फसलों की बुवाई का समय आ चुका है। उत्तर भारत के कई राज्यों में इसकी बुवाई के लिए किसानों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस सीजन की फसलों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में किसानों के लिए सिंचाई प्रक्रिया को आसान करने के लिए अलग-अलग राज्य सरकारें अपने स्तर पर पीएम कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रिप व स्प्रिंकल सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देने लिए इन सिंचाई यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी मुहैया कराई जा रही है। ट्रैक्टरगुरू की आज की इस पोस्ट में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई यंत्रों को सब्सिडी पर लेने के लिए आवेदन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही हैं। इच्छुक किसान इस योजना में आवेदन करके इन सिंचाई उपकरणों की खरीद पर सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।
अगर आप ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करना चाहते हैं, तो इस योजना का लाभ ले सकते हैं। उद्यान विभाग इन्हें खरीदने के लिए किसानों को सब्सिडी दे रहा है। इस योजना में गत वर्ष दिए जाने वाले 75 प्रतिशत अनुदान से बढ़ाकर 90 प्रतिशत अनुदान का किया गया है। ड्रिप सिंचाई के लिए 26 लाख रुपए निश्चित किए गए हैं। स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए 55 लाख रुपए का अनुदान निश्चित किया गया है। इस योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा निर्धारित दर पर 12 प्रतिशत जीएसटी किसानों को देना होता है।
उद्यान विभाग ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई यंत्र खरीदने के लिए किसानों को सब्सिडी दे रहा है। इसके लिए किसानों को आवेदन करना होगा। लघु सीमांत किसानों को 90 तो सामान्य को 80 प्रतिशत का अनुदान योजना के तहत दिया जा रहा है। यही नहीं ड्रिप सिंचाई व स्प्रिंकलर विधि का इस्तेमाल कर किसान कम पानी में अधिक फसलों की सिंचाई कर सकते हैं। सिंचाई के दौरान पानी की बर्बादी को रोकने के लिए उद्यान विभाग ने भी कवायद तेज कर दी की है। प्रदेश में सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को प्रेरित किया जा रहा है कि वह ड्रिप इरीग्रेशन को अपना कर फसल का उत्पादन बढ़ा सकते हैं। ड्रिप व स्प्रिंकलर सिंचाई विधि से फसलों की उत्पादकता में 20 से 30 प्रतिशत तक लाभ मिलता है साथ ही 60 से 70 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है।
ड्रिप सिंचाई विधि : यदि किसान खेत की सिंचाई साधारण विधि के बजाय ड्रिप सिंचाई विधि से करे तीन गुना ज्यादा क्षेत्र में उतने ही पानी में सिंचाई कर सकते हैं। ड्रिप सिंचाई विधि जिसे टपक सिंचाई भी कहते हैं। इस विधि में बूंद-बूंद के रूप में फसलों के जड़ क्षेत्र तक एक छोटी व्यास की प्लास्टिक पाइप से पानी प्रदान किया जाता हैं। ड्रिप सिंचाई विधि का प्रयोग सभी फसलों की सिंचाई में करते हैं, लेकिन बागवानी में इसका प्रयोग ज्यादा अच्छे से होता है। बागवानी में जैसे केला, पपीता, नींबू जैसी फसलों में सफलतापूर्वक करते हैं। बागवानी की तरह ही ड्रिप सिंचाई विधि का प्रयोग गन्ना और सब्जियों में भी कर सकते हैं। ड्रिप (टपक) सिंचाई विधि में पेड़ पौधों को नियमित जरुरी मात्रा में पानी मिलता रहता है। इस सिंचाई विधि से फसल उत्पादकता में अधिक लाभ मिलता है। ड्रिप सिंचाई विधि से पानी की बचत भी होती है। इस विधि से ऊंची-नीची जमीन पर सामान्य रुप से पानी पहुंचता है। इसमें सभी पोषक तत्व सीधे पानी से पौधों के जड़ों तक पहुंचाया जाता है तो अतिरिक्त पोषक तत्व बेकार नहीं जाता, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है।
स्प्रिंकलर (फव्वारा) सिंचाई विधि : स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई में पानी को छिडक़ाव के रूप में किया जाता है, जिससे पानी पौधों पर बारिश की बूंदों की तरह पड़ता है। इसके लिए नल द्वारा खेतों में पानी भेजा जाता है। पानी की बचत और उत्पादकता के हिसाब से स्प्रिंकल विधि ज्यादा उपयोगी मानी जाती है। ये सिंचाई तकनीक ज्यादा लाभदायक साबित हो रहा है। चना, सरसों और दलहनी फसलों के लिए ये विधि उपयोगी मानी जाती है। सिंचाई के दौरान ही पानी में दवा मिला दी जाती है, जो पौधे की जड़ में जाती है। जिससें सिंचाई के साथ ही उर्वरक, कीटनाशक आदि का छिडक़ाव हो जाता है। ऐसा करने पर पानी की बर्बादी नहीं होती। पानी की कमी वाले क्षेत्रों में विधि लाभदायक साबित हो रही है।
इन सिंचाई यंत्रों से कृषि के क्षेत्र में भूमिगत जल का दोहन कम होगा एवं साधारण सिंचाई विधि के मुकाबले तीन गुना ज्यादा क्षेत्र में उतने ही पानी में सिंचाई कर सकते हैं।
ड्रिप एवं स्प्रिंकलर के सही इस्तेमाल से जल की एक-एक बूंद को सिंचाई के काम में लेना।
ड्रिप एवं स्प्रिंकलर पद्धति से कम पानी में अधिक पैदावार लेना।
ड्रिप एवं स्प्रिंकलर पद्धति से फसलों की सिंचाई सही प्रकार से होती है। सिंचाई सही प्रकार से होने पर पैदावार में बढ़ोतरी होती है।
ड्रिप एवं स्प्रिंकलर पद्धति का लाभ वे सभी किसान उठा सकते हैं जिनके पास खुद की खेती है और जल का स्त्रोत है।
इच्छुक कृषक के पास स्वयं की भूमि एवं जल स्रोत उपलब्ध होना चाहिए।
ऐसे लाभार्थियों/संस्थाओं को भी योजना का लाभ अनुमन्य होगा जो संविदा खेती (कान्टै्क्ट फार्मिंग) अथवा न्यूनतम 07 वर्ष के लीज एग्रीमेन्ट की भूमि पर बागवानी/खेती करते हैं।
एक लाभार्थी कृषक/संस्था को उसी भू-भाग पर दूसरी बार 7 वर्ष के पश्चात् ही योजना पर लाभ की पात्रता मिलेगी।
लाभार्थी कृषक अनुदान के अतिरिक्त अवशेष धनराशि स्वयं के स्रोत से अथवा ऋण प्राप्त कर वहन करने के लिए सक्षम व सहमत हों।
योजना का लाभ सहकारी समिति के सदस्यों, सेल्फ हेल्प गु्रप, इनकार्पोरेटेड कम्पनीज, पंचायती राज संस्थाओं, गैर सहकारी संस्थाओं, ट्रस्ट्स, उत्पादक कृषकों के समूह के सदस्यों को भी मिलेगा।
जैसा की हम सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना केन्द्र सरकार की एक महत्वकांक्षी सिंचाई योजना हैं जिसके तहत किसानों को सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी प्रदान की जाती हैं। इस योजना के तहत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के इच्छुक किसान पीएम कृषि सिंचाई योजना की आधिकारिक वेबसाइट https://pmksy.gov.in/ पर जाकर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा अपने-अपने राज्य के सिंचाई विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर भी जाकर इस योजना के लिए आवेदन किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश राज्य के किसान सिंचाई यंत्रों के लिए ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल http://upagriculture.com/ पर मोबाइल अथवा कंप्यूटर के माध्यम से घर बैठे ऑनलाइन आवेदन आसानी से कर प्रथम आवक प्रथम पावक के सिंद्धात पर योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
आवेदक का आधार कार्ड
पासपोर्ट साइज फोटो
आवेदक की कृषि भूमि के कागज़ात
जमीन की जमा बंदी (खेत की नकल)
मोबाइल नंबर
निवास प्रमाण पत्र
बैंक अकाउंट पासबुक
बिजली कनेक्शन का प्रमाणपत्र जैसे बिल
सरकार द्वारा लाभार्थी के तौर पर आपके नाम के चयन के बाद किसान किसी भी पंजीकृत निर्माता फर्म अथवा उनके अधिकृत डीलर्स/डिस्ट्रीब्यूटर्स से निर्माता फर्मों की स्वयं मूल्य प्रणाली के अनुसार कार्य कराने हेतु स्वतंत्र होगा।
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