अब परंपरागत खेती के प्रति रूझान कम हो रहा है। कृषि क्षेत्र में हो रहे नित नये अनुसंधानों ने खेती के तौर-तरीके बदल दिए हैं। किसानों को जागरूक होना बहुत जरूरी है तभी वे आधुनिक खेती को बढ़ावा देने वाली सरकारी योजनाओं को पूरा लाभ उठा सकते हैं। आधुनिक खेती की कई तकनीक है जैसे ग्रीन हाउस, लो टनल, जैविक खेती आदि। यहां हम पॉलीहाउस एग्रीकल्चर की बात कर रहे हैं। इस पद्धति से खेती करने पर किसानों को 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिल सकती है। जिस तरह से केंद्र सरकार ने संरक्षित खेती (Subsidy on Protected farming) और बागवानी को बढ़ावा देने के लिए कई सब्सिडी प्रदान करने वाली योजनाएं संचालित कर रखी हैं ठीक उसी तर्ज पर बिहार के किसानों के लिए पॉलीहाउस सब्सिडी स्कीम 2022 शुरू की गई है। बिहार सरकार के कृषि विभाग, उद्यान निदेशालय की ओर से शुरू की गई यह योजना क्या है और इसका कैसे अधिक फायदा किसान ले सकते हैं ? इसकी पूरी जानकारी यहां ट्रैक्टरगुरु की इस पोस्ट में आपको मिलेगी। इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर और लाइक्स करें और हमारे साथ लगातार ट्रैक्टर जंक्शन पर बने रहें।
बता दें कि बिहार कृषि विभाग, उद्यान निदेशालय की ओर से संरक्षित खेती के लिए बागवानी विकास योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत पॉलीहाउस इकाई की लागत 935 रुपये प्रति वर्गमीटर पर 75 प्रतिशत की सहायता राशि किसानों को दी जाएगी। इसके लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना रफ्तार के नियमानुसार पॉलीहाउस लगाने के लिए प्रति वर्गमीटर के आधार पर ही सब्सिडी की रकम का आवंटन किया जाएगा। योजना के अंतर्गत किसान 1000 से 4000 वर्गमीटर क्षेत्र में पॉलीहाउस लगा सकते हैं।
बागवानी विकास योजना में पॉलिहाउस इकाई के लिए अनुदान का यदि लाभ लेना है तो बिहार सरकार के कृषि विभाग, उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं। किसान चाहें तो योजना से संबंधित अधिक जानकारी हासिल करने के लिए नजदीकी जिले में स्थित उद्यान विभाग या सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क कर सकते हैं।
पॉलीहाउस में खेती करने से जहां एक ओर सरकारी सब्सिडी का लाभ मिलता है वहीं इससे फसल का उत्पादन भी बढ़ता है। यह प्रोटेक्ट फार्मिंग इसलिए कहलाती है कि इसमें फसल सुरक्षित रहती है। बता दें कि पॉलीहाउस में सीजनल फसलों के अलावा आप सब्जियों की खेती भी कर सकते हैं। पॉलीहाउस एक प्लास्टिक से बना ढांचा होता है। यह लोहे के सरियों और तानों पर टिका होता है। पॉलीहाउस की सब्जियों को किसान भाई साल भर बाजार में सप्लाई कर सकते हैं। इतना ही नहीं पॉलीहाउस में कीट-रोग, खरपतवार और मौसम का अधिक जोखिम नहीं होता जिससे उपज स्वस्थ और क्वालिटी में भी अच्छी होती है। पॉलीहाउस की सब्जियां लंबे समय तक चलती हैं।
आपको बता दें कि पॉलीहाउस पॉलिथीन से बना एक भवननुमा ढांचा होता है। इसमें पारदर्शी कांच जैसा पदार्थ पौधों को पर्यावरण के अनुकूल रखता है। इसमें खरपतवार अधिक नहीं पनप सकती। आवश्यकताओं के अनुसार आपके पॉलीहाउस का आकार छोटा या बड़ा बना सकते हैं। इसमें सूर्य की किरणें सनबीम के संपर्क में आने पर इस ग्लास ग्रीनहाउस में गर्म अंदरूनी भाग ग्रीनहाउस से गैसों को बाहर निकलने में मदद करता है। यदि पौधों का अस्तित्व वातावरण के अनुकूल है तो फसलों की सेहत भी अच्छी रहेगी। कुल मिला कर पॉलीहाउस खेती फायदे का सौदा है। इसमें लागत भी कम आती है।
पॉलीहाउस में यदि आपको सब्जियों की खेती करनी है तो इसके लिए तय कर लें कि एक लंबी श्रृंखला इसके लिए रखें जैसे-: टमाटर, पालक, प्याज, मिर्च, फूलगोभी, मूली, शिमला मिर्च, करेला और पत्तागोभी आदि। इसके अलावा आप पॉलीहाउस में गुलाब, ऑर्किड, गेंदा, गेरबेरा, कार्नेशंस जैसी फूलों की फसल भी उगा सकते हैं। इनकी भी अच्छी पैदावार होगी। इनकी मांग बाजार में अक्सर पूरे साल बनी रहती है।
भोजन के लिए उपभोक्ता हमेशा बाजार में गुणवत्ता की खोज करता है। जब किसी को उच्च गुणवत्ता वाला सामान मिलता है तो वे तुरंत उसके लिए भुगतान करते हैं इसलिए पॉलीहाउस में हाई क्वालिटी की फसलों की खेती अधिक फायदेमंद साबित होगी। इस तरह की फसलों में सिंचाई की कम आवश्यकता होती है। इससे पानी की बचत भी होगी।
बता दें कि पॉलीहाउस में कैसे फसलों को रोपा जाए? यदि बेल वाली फसल हैं जैसे खीरा, लौकी आदि तो इनको भी लंबवत तरीके से रोपें। इससे फसल खराब नहीं होगी और उत्पादन अच्छा होगा।
वैसे तो पॉलीहाउस में फसलें किसी भी मौसम में सुरक्षित रहती हेँ लेकिन बेहतर यही रहेगा कि आप अधिक तापमान होने पर फसल नहीं लगाएं। जब तापमान फसलों के अनुकूल लगे यानि 30 डिग्री से कम तापमान होने पर फसल लगा सकते हैं। तापमान को कई उपकरण भी नियंत्रित कर सकते हैं जैसे फैन पैड सिस्टम पॉलीहाउस के भीतर तापमान के प्रबंधन में सहायता करता है। इसके अलावा डिजीटल कंट्रोल यूनिट और अन्य सेसिंग उपकरणों का उपयोग करके जलवायु स्थिति की अधिक प्रभावी ढंग से निगरानी करने में सक्षम होंगे।
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