हरियाणा सरकार ने राज्य में धान की खेती करने वाले किसानों को धान की सीधी बिजाई करने पर प्रोत्साहन राशि देने का फैसला किया है। हरियाणा सरकार ने यह फैसला राज्य में लगातार गिरते हुए जलस्तर को ध्यान में रखते हुए किया है। आपको बता दें कि सरकार ने यह फैसला इसलिए किया है, क्योंकि खरीफ की फसलों की बुवाई का समय आ गया है और उत्तर भारत के कई राज्यों में इसके लिए तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। इन सबके बीच पंजाब और हरियाणा दोनों में भू-जल स्तर तेजी से नीचे गिर रहा हैं, जो चिंता का विषय बना हुआ हैं। ये दोनों ही धान के प्रमुख उत्पादक राज्य भी हैं। इसलिए गिरता जल स्तर इनकी लीडरशिप के लिए चिंता का विषय हैं। क्योंकि धान सबसे अधिक पानी खपत करने वाली फसलों में से एक हैं। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक एक किलो चावल तैयार करने में करीब 3,000 लीटर पानी लगता हैं। इन्हीं सब स्थितियों को देखते हुए हरियाणा सरकार ने धान की सीधी बुवाई करने पर 4,000 रूपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का फैसला किया हैं। इससे पहले पंजाब सरकार ने भी धान की सीधी बुवाई करने पर प्रति एकड़ 1500 रूपए का अनुदान दिया। ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट लगातार गिरते हुए जलस्तर को लेकर सरकार के प्रयास एवं धान की सीधी बिजाई पर मिलने वाले अनुदान के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही हैं।
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक अगर धान की बुवाई परंपरागत तरीके के बजाए सीधी बुवाई पद्धति से की जाये तो 20 से 25 प्रतिशत तक पानी की बचत हो सकती है। हरियाणा राज्य में धान की खेती का कुल क्षेत्रफल करीब 13 लाख हेक्टेयर है। सरकार इस प्रयास में है कि इस बार किसान अधिक से अधिक एरिया में धान की खेती सीधी बुवाई वाली तकनीक से करें। सरकार के इन प्रयासों से राज्य में जल संकट को कुछ कम किया जा सकेगा।
तेजी से गिरते भू-जल स्तर ने पंजाब और हरियाणा दोनों प्रदेशों में धान की खेती की समस्या को बढ़ा दिया है। इसके लिए दोनों ही सूबों की सरकारें इसकी खेती का तरीका बदलकर पानी की खपत कुछ कम करने की कोशिश कर रही है। जिसके लिए सरकारें धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि दे रहीे। दोनों ही प्रदेशों की सरकारें इस प्रयास में है कि धान की खेती का पारंपरिक तरीका बदलकर सीधी बुवाई तकनीक से करें। इससे काफी हद तक पानी का दोहन कम होगा और तेजी से गिरते भू-जल स्तर को कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन इन दोनों प्रदेशों में किसानों को दी जा रही प्रोत्साहन राशि में जमीन आसमान का अंतर है। हरियाणा में धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को राज्य सरकार ने 4,000 रूपये प्रति एकड़ की दर से अनुदान देने का फैसला किया है, तो वही पंजाब सरकार किसानों को इसी काम के लिए महज 1500 रूपये प्रति एकड़ की दर से अनुदान दे रही है।
हरियाणा सरकार इससे पहले भी धान की सीधी बिजाई पर प्रोत्साहन राशि देती रही है। इसके लिए सरकार ने मेरा पानी मेरी विरासत योजना को हरियाणा में शुरू किया था। पिछली बार ये राशि 5 हजार के आसपास थी, लेकिन इस बार इसके घटाकर 4 हजार रुपए प्रति एकड़ कर दिया गया है। धान की सीधी बुवाई पर अनुदान का लाभ लेने के लिए किसान मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। सब्सिडी के लिए आवेदन करने के बाद राशि किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी। कृषि अधिकारी एवं पटवारी लाभार्थी किसानों की सीधी बुवाई क्षेत्र की भी समीक्षा करेंगे।
धान की सीधी बुवाई पद्धति
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक धान की बुवाई का समय नजदीक आ रहा हैं। धान की बुवाई पारम्परिक रोपण विधि के बजाय यदि सीधी बुवाई पद्धति से करें, तो अधिक फायदा मिलेगा। इस पद्धति से धान की खेती की बुवाई करने से समय, पानी और पैसा तीन चीजों की बचत होती हैं। आपको बता दें कि धान की बुवाई दो प्रकार से होती है। पहला तरीका है धान की बुवाई के लिए नर्सरी तैयार करनी पड़ती है। नर्सरी की तहत धान की बुवाई करने से खेतों में पानी की अवाश्यकता अधिक होती है। वहीं सीधी बिजाई के तहत किसान धान के बीज को सीधे खेत में छिड़काव करके या सीड ड्रिल से बोते हैं। इससे किसान भाई का समय बचता है, लागत भी कम आती है। लागत को कम करने के लिए किसान धान की सीधी बिजाई डीएसआर मशीन द्वारा कर सकते हैं। 25 मई से किसान धान की सीधी बिजाई कर सकते हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के निदेशक डॉ. अशोंक कुमार सिंह का कहना है कि दोनों राज्यों की प्रोत्साहन राशि में जमीन आसमान का अंतर होने के बावजूद धान की सबसे ज्यादा सीधी बिजाई पंजाब में ही हुई थी। कुल धान एरिया के करीब 15 फीसदी एरिया में पंजाब, जबकि हरियाणा में सिंर्फ चार से पांच परसेंट क्षेत्र में। यानी इस मामले में पंजाब हरियाणा के मुकाबले आगे है।
भारतीय कृषि अनुसंधान के निदेशक डॉ. अशोक कुमार ने इस पद्धति का फायदा बताया कि इस पद्धति से धान की बुवाई करने पर 25 से 35 प्रतिशत तक पानी की बचत की जा सकती हैं। धान की रोपाई करने में लेबर खर्चा में भी बचत होगी। परंपरागत धान की बुवाई विधि और सीधी धान की बुवाई विधि वाली फसल में धान की पैदावार में भी कोई अन्तर नहीं होगा। ट्रैक्टर से पलेवा करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही नर्सरी डालने की झंझट नहीं है। नर्सरी का खर्च भी बचता है। धान की दोनों ही विधि में 6 किलो बीज प्रति एकड़ लगता हैं। धान की सीधी बिजाई में खेत की बार-बार जुताई नहीं करनी पड़ती। एक बार की जुताई में सीड ड्रिल मशीन द्वारा धान के उपचारित बीजों की बुवाई कर दी जाती है।
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