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धान की खेती : धान की रोपाई पर अब बढ़ेगी 1600 रुपए प्रति बीघा तक की रेट

धान की खेती : धान की रोपाई पर अब बढ़ेगी 1600 रुपए प्रति बीघा तक की रेट
पोस्ट -23 जुलाई 2024 शेयर पोस्ट

धान की खेती : धान रोपनी की मजदूरी बढ़ी, 1600 रुपए प्रति बीघा तक रेट पहुंचा, मजदूरों को मिलेगा फायदा

Paddy Cultivation : खरीफ सीजन में ग्रामीण इलाकों में लोगों का सबसे बड़ा जमावड़ा धान के खेतों में देखने को मिलता है। इस समय धान की रोपाई बड़े स्तर पर हो रही है। जहां पिछले साल की तुलना में इस साल धान की रोपनी के समय हुई थोड़ी बारिश से किसान खुश नजर आ रहे थे वहीं अब बारिश में हुई कमी से किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाया है। बिहार के कई किसान जिनके पास सिंचाई का साधन था, वे बारिश और ट्यूबवेल के सहारे धान की रोपनी पूरी कर चुके हैं या अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहे हैं। हालांकि अभी भी राज्य के कई इलाकों के किसान बारिश और नहर में पानी के इंतजार में धान की रोपनी नहीं कर पा रहे हैं या उसे रफ्तार नहीं दे पा रहे हैं।

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बारिश न होने से आ रही है दिक्कतें 

बिहार के कैमूर जिले के निवासी किसान भानु प्रताप सिंह ने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस बार धान की रोपनी 10 दिन पहले हो गई है। पिछले साल जहां 5 अगस्त तक धान की रोपनी की गई थी। वहीं अब जून के अंतिम सप्ताह में और जुलाई में हुए एक दो दिन की बारिश से ही किसानों को काम चलाना पड़ा है। अब बारिश नहीं होने से किसानों को धान की फसल में सिंचाई की दिक्कत शुरू हो चुकी है क्योंकि अभी नहर में भी पानी की गति बेहतर नहीं दिख रही है। किसान बोरवेल आदि का उपयोग करते हुए सिंचाई की जरूरतों को पूरी कर रहे हैं।

36.54 लाख हेक्टेयर धान की खेती का है लक्ष्य

बिहार में धान की खेती का लक्ष्य 36.54 लाख हेक्टेयर है और प्रदेश सरकार रबी और खरीफ सीजन में प्रमुख फसलों की खेती का एक लक्ष्य निर्धारित करती है। इस साल खरीफ के सीजन में राज्य सरकार ने अरहर का 0.56 लाख हेक्टेयर, मूंग का 0.17 लाख हेक्टेयर, मक्का का करीब 2.93 लाख हेक्टेयर जबकि मोटे अनाज में ज्वार का 0.16 लाख हेक्टेयर, मड़ुआ का 0.29 लाख हेक्टेयर, बाजरा का 0.15 लाख हेक्टेयर और अन्य दलहन का 0.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का लक्ष्य तय किया। सरकार ने धान की खेती का लक्ष्य 36.54 लाख हेक्टेयर रखा है।

मजदूरी में हुई वृद्धि

खेत की जुताई का रेट स्थिर है जबकि कई जगह मजदूरी के रेट में वृद्धि देखने को मिली है। अच्छी बारिश नहीं होने से कई किसान धान की खेती शुरू नहीं कर पाए हैं। कई जगहों पर धान का पौधा लगाने वाली महिला को इस बार पिछले साल की तरह ही दो सौ रुपये और पुरुष का चार सौ रुपये का मेहनताना मिल रहा है।

हालांकि कैमूर जिले के किसान पंकज ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनके यहां इस बार प्रति एकड़ 125 रुपये की मजदूरी में वृद्धि देखने को मिली है। जिसमें भोजन अलग से देना पड़ता है।

वहीं पटना जिले के किसान सूरज ने बातचीत में बताया कि जो पुरुष धान की रोपाई करते हैं, उनकी मजदूरी पिछले साल की अपेक्षा बढ चुकी है। इस साल जहां 1600 रुपये प्रति बीघा मजदूरी है वहीं पिछले साल 1500 रुपये प्रति बीघा था। बता दें कि खेत की जुताई की दर दो साल से 1600 रुपये प्रति एकड़ ही चल रहा है और यह तीन साल पहले मात्र 1280 रुपये प्रति एकड़ निर्धारित था। रोपनी की मजदूरी में वृद्धि होने से क्षेत्र के मजदूरों को ज्यादा लाभ मिल पाएगा।

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