अक्टूबर के महीने में खरीफ फसलों की कटाई और रबी सीजन फसलों की बुवाई के साथ खरीफ फसलों की बाजार में आवक शुरू हो जाती हैं। ऐसे में केंद्र एवं राज्य की सरकारें किसानों से खरीफ फसलों की एमएसपी पर सरकारी खरीद कर रही है। कई राज्य सरकारें एमएसपी पर सरकारी खरीद के लिए तैयारी शुरू कर रही है, तो कई राज्यों की सरकारें ने खरीफ फसलों की सरकारी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कर ली है। ऐसे में खरीफ सीजन की फसल धान, कपास और सोयाबीन उगाने वाले राज्यों में एमएसपी पर इन फसलों की सरकारी खरीद से किसानों को काफी लाभ हुआ है। जिनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तमिलनाडु राज्य में सरकारें किसानों से एमएसपी पर खरीफ फसलों की सरकारी खरीद कर रही है। इन राज्यों में किसान मंडियों में अपनी फसल बेचने के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने इसकी एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें अब तक किनती फसल राज्यों ने एमएसपी पर किसानों से खरीद की है और एमएसपी खरीद का कितना पैसा किसानों को मिल चुका हैं। इसका आकंड़े पेश किए है।
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तमिलनाडु जैसे राज्यों में अभी खरीफ की फसलों की सरकारी खरीद चल रही है। अब तक कितनी फसल राज्यों ने खरीदी है और एमएसपी पर कितना पैसा किसानों को मिल चुका है। इस पर उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का कहना है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तमिलनाडु में चल रहे खरीफ मार्केटिंग सीजन 2022-23 में 5 अक्टूबर तक कुल 1,16,761 किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 2,356.30 करोड़ रुपये से लाभ हुआ है। किसानों से एमएसपी पर फसलों की सरकारी खरीद पर कुल 2356.30 करोड़ रूपए का खर्चा हुआ है। मंत्रालय ने कहा कि वहीं वर्ष 2021-22 के खरीफ मार्केटिंग सीजन में 1,72,898,89 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य के साथ 130.87 लाख किसान लाभान्वित हुए थे।
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि 5 अक्टूबर 2022-23 की खरीफ मार्केटिंग सीजन में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तमिलनाडु राज्यों में अब तक कुल 11.44 लाख मैट्रिक टन धान की खरीद की गई है। वहीं मिनिस्ट्री ने अपने बयान में कहा है कि वर्ष 2021-22 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान 5 अक्टूबर तक 882 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई। इसके अलावा, 24 मार्च से 5 अक्टूबर, 2022 के बीच लगभग 1,225 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न के 43,733 रैक लोड किए गए हैं।
मीडिया सुत्रों के रिपोर्ट के मुताबिक इस रबी सीजन किसानों को डीएपी एवं एनपीके खाद की पर्याप्त उपलब्धा देने के लिए देश में डीएपी एवं एनपीके उर्वरक बनाने वाली कंपनियां फॉस्फोरिक एसिड को 1,000-1,050 डॉलर प्रति टन के भाव पर आयात करने की योजना बना रही हैं। वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं की तरफ से यह तय कीमत के मुकाबले यह भाव करीब 40 प्रतिशत कम है। फॉस्फोरिक एसिड का इस्तेमाल डीएपी और अन्य एनपीके उर्वरकों के उत्पादन में एक अहम कच्चे माल के तौर पर किया जाता है। कृषि क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि डीएपी एवं एनपीके उर्वरकों की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सस्ते दर पर आयात होने से कीमत में भी कमी आएगी। इससे बुवाई के समय किसानों को ये जरूरी खाद कम कीमतों में उपलब्ध होगी।
सूत्रों के मुताबिक कृषि क्षेत्र के जानकारों का कहना है डीएपी और अन्य एनपीके उर्वरकों के उत्पादन में उपयोग होने वाले अहम कच्चे माल फॉस्फोरिक एसिड की तय कीमत के मुकाबले तेजी से गिरावट आई है। पिछली तिमाही के अंत में अंतरराष्ट्रीय बाजार में फॉस्फोरिक एसिड का भाव 1,715 डॉलर प्रति टन था। किन्तु सितंबर तिमाही में डीएपी और एनपीके उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी से गिरावट आई जिसके बाद फॉस्फोरिक एसिड के भाव में भी कमी आने की उम्मीद की जा रही है। फॉस्फोरिक एसिड की अंतरराष्ट्रीय कीमतों का निर्धारण तिमाही आधार पर किया जाता है। सूत्रों का कहना है कि एक खाद कंपनी ने फॉस्फोरिक एसिड की एक खेप 1,200 डॉलर प्रति टन के भाव पर खरीदी है, लेकिन यह भाव अब भी ज्यादा है। उर्वरक मंत्रालय का भी मानना है कि इस तिमाही में फॉस्फोरिक एसिड का भाव 1,100 डॉलर प्रति टन से कम होना चाहिए। देश की अग्रणी खाद कंपनियां अगली तिमाही में 1,000-1,050 डॉलर प्रति टन के भाव पर इसकी खरीद करने की योजना बना रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक देश में किसानों को रबी सीजन के समय आसानी से खाद व उर्वरक उपलब्ध हो सके। इसके लिए भारत सरकार की ओर से प्रधानमंत्री जन उर्वरक परियोजना के तहत एक देश-एक फर्टिलाइजर योजना लागू की गई है। केंद्र सरकार उर्वरक समस्या को दूर करने एवं कालाबाजारी रोकने के उद्देश्य से इस योजना पर काम कर रही है। सरकार का मानना है कि इस योजना के जरिये उर्वरक की चोरी और कालाबाजारी पर रोक लगेगी। खाद की किल्लत दूर होगी, जिससे किसानों को रबी सीजन के लिए सरकारी सब्सिडी खाद आसानी से मिलेगी। खाद की कालाबाजारी और चोरी पर रोक से देश में पर्याप्त मात्रा में खाद का स्टॉक होगा और कीमतों में भी बढ़ोत्तरी नहीं होगी। सभी जगह खाद का एक रेट पर किसानों को मिलेगी।
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