देश में छोटे सीमांत किसानों की संख्या अधिक है, जो ऋण लेकर कृषि करते हैं। ऐसे में प्राकृतिक आपदा या तेज बारिश से जब उनकी फसल बर्बाद हो जाती है या बाजार में उनकी पैदावार का अच्छा दाम नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में किसान बैकों से लिया गया ऋण चुकता नहीं कर पाते हैं। जिस वजह से उनके उपर कर्ज का बोझ बढ़ जाता है। ऐसे में किसानों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है कई बार तो यह भी देखने को मिला है कि किसान इन सभी परेशानियों से तंग आकर आत्म हत्या भी कर लेता है। किसानों की इसी समस्या को देखते हुए सरकार द्वारा कर्ज माफी योजना की शुरूआत की थी। इसी योजना के तर्ज पर अपने-अपने राज्य के किसानों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकारों द्वारा अपने-अपने स्तर पर कर्ज माफी योजना को लान्च किया है। इस कर्ज माफी योजना के अंतर्गत सरकार की ओर से किसानों को कर्ज माफी का लाभ दिया जाता है। ताकि किसान अपने पुराने कर्ज से मुक्त हो सकें और फिर से खेती-बाड़ी के लिए नया कर्ज बैंकों से ले सकें।
अलग-अलग राज्यों में किसानों को कर्ज से मुक्त करने के लिए चलाई गई कृषि कर्जमाफी योजनाओं से देश के कितने किसानों को फायदा हुआ। इसे जानने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में इस योजना को लेकर जो खुलासा हुआ है उसने इसकी सफलता पर सवाल खड़े कर दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार कर्ज माफी योजना का लाभ देश के सिर्फ 50 फीसदी किसानों को ही मिल पाया है।
भारतीय स्टेट बैंक के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक 2014 के बाद से जिन 9 राज्यों में कृषि ऋण माफी का एलान किया गया था, उन राज्यों में ऋण माफी की इच्छा रखने वालों में से केवल आधे किसानों को ही इसका लाभ मिल पाया। तो आइए ट्रैक्टरगुरू के इस लेख के माध्यम से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा कर्ज माफी योजना को लेकर तैयार रिपोर्ट के बारे में जानते हैं।
भारतीय स्टेट बैंक के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के बाद जारी रिपोर्ट के मुताबिक कर्ज माफी योजना के तर्ज पर 9 राज्यों में कृषि ऋण माफी का एलान किया गया था। लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक कृषि कर्ज माफी योजना को लेकर सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश, पंजाब, झारखंड, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं। मध्यप्रदेश में 12 फीसदी, पंजाब में 24 फीसदी, झारखंड में 13 फीसदी, तेलंगाना में (5 फीसदी), पंजाब में 24, कर्नाटक में 38 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 52 फीसदी किसानों को योजना का लाभ मिला है। जबकि 2018 में छत्तीसगढ़ में 100 फीसदी पात्र किसान और 2020 में महाराष्ट्र द्वारा 91 फीसदी पात्र किसानों को ऋण माफी योजना का लाभ मिला।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एसबीआई के शोधकर्ताओं ने कहा है कि देश के 9 राज्यों में ऋण माफी योजना को लेकर यह योजना 2014 में लागू की गयी थी। रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना में यूपी सरकार ने लगभग 86 लाख किसानों को अपने द्वारा लिए गए कृषि कर्ज से राहत दी है। वहीं महाराष्ट्र के किसानों को ऋण माफी का लाभ देने के लिए 34000 करोड़ रुपए की घोषणा की गई थी। शोध में यह पता लगाने का प्रयास किया गया कि 2.25 लाख करोड़ रुपए असली किसानों को मिले या नहीं।
योजना को लेकर एसबीआई के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन रिपोर्ट से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि कर्ज माफी कल्चर आने वाले समय में किसानों के हितों को नुकसान पहुंचा सकती है। साथ ही कर्ज माफी का सीधा असर किसानों और कृषि के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने पर भी पड़ता है, क्योंकि इस तरह से सरकारों पर पड़ने वाला वित्तीय बोझ संस्थानों को खोखला कर सकता है। क्योंकि कई किसान संगठन भी कर्जमाफी की जगह कर्जमुक्ति की मांग कर रहे हैं। वर्तमान समय में अधिकांश कृषि योजनाओं का लाभ भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से किसानों तक नहीं पहुंच पाता। यदि इन कृषि योजनाओं का फायदा सभी किसानों को समय पर मिलने लगे, साथ ही उनकी फसलों का उचित दाम मिले तो कर्जमाफी जैसी योजना की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 से 2022 तक लगभग 3.7 करोड़ पात्र किसानों में से मात्र 50 फीसदी को ही ऋण माफी का लाभ मिला। कृषि कर्ज माफी योजना के तहत आंध्र प्रदेश के 42 लाख किसानों में से 92 फीसदी किसान कृष कर्ज माफी के पात्र थे। जबकि तेलंगाना में यह संख्या पांच फीसदी थी। एसबीआई द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में जिन किसानों को कर्ज के बोझ से राहत दिलाने के लक्ष्य से कृषि कर्ज माफी योजना चलाई गई थी उन किसानों तक इस योजना का लाभ पहुंचा ही नहीं।
रिपोर्ट में यह चिंता भी जताई गई है कि क्या वाकई आर्थिक संकट के दौर में किसानों को इससे फायदा मिलता है या नहीं? एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक ऋण माफी की पात्रता रखने वाले अधिकांश खाते मानक श्रेणी के थे। इससे यह सवाल खड़ा होता है क्या वाकई ऋण माफी जरूरी थी। जानकारी के लिए बता दें कि मानक खाता उन खातों को कहा जाता है जिसमें उधारकर्ता सही समय से अपना लोन चुका रहा रहा होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे खातों को भी कृषि ऋण माफी योजना के तहत कवर किया गया। ऐसे खातों की संख्या विशेष रूप से आंध्र प्रदेश (95 प्रतिशत), पंजाब (86 प्रतिशत), झारखंड (100 प्रतिशत), तेलंगाना (84 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (96 प्रतिशत) थी।
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