देशभर में कृषि और बागवानी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर कई तरह के प्रयास कर रही है। बागवानी उत्पाद में वृद्धि के साथ-साथ बागवानी किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय बागवानी मिशन का संचालन कर रही है। जिसके कारण बीते कुछ दशकों से किसानों का रूझान भी बागवानी की तरफ तेजी से बढ़ा है। वर्तमान समय में किसान बागवानी में कई तरह की खेती कर जमकर पैसा कमा रहे हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए सेब राज्य हिमाचल प्रदेश ने भी अब फल राज्य बनने की राह पर अपना कदम बढ़ा दिया है। हिमाचल प्रदेश के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 1300 करोड़ रुपये की उपोष्णकटिबंधीय बागवानी, सिंचाई और मूल्यवर्धन (एचपी शिवा) परियोजना मंजूरी की है। एशियाई विकास बैंक इस परियोजना के लिए करीब 1036 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, जबकि शेष राशि राज्य सरकार खर्च करेगी। केंद्र सरकार ने यह परियोजना 5 साल यानी 2028 तक के लिए मंजूर की है। यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के 7 जिलों के 28 विकास खंडों को कवर करेगी। इन सात जिलों में आम, संतरा, अमरूद, लीची, प्लम, जापानी फल, अनार आदि उपोष्णकटिवंधीय फलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा।
हिमाचल में होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने प्रदेश को एक बड़ी सौगात दी है। हिमाचल सरकार की महत्वाकांक्षी उपोष्णकटिबंधीय बागवानी, सिंचाई और मूल्यवर्धन (एचपी शिवा) परियोजना के लिए 1300 करोड़ रुपए की राशि मंजूर कर ली है। एशियन डेवलपमेंट बैंक यानी (एडीबी) द्वारा मंजूर 1300 करोड़ रुपए के हिमाचल प्रदेश उपोष्णकटिबंधीय बागवानी, सिंचाई और मूल्यवर्धन एचपी शिवा प्रोजेक्ट को लेकर हाल के दिनों में सचिवालय में महत्वपूर्ण बैठक हुई है। इसमें केंद्र द्वारा मंजूर एचपी शिवा परियोजना की विभिन्न डीपीआर के अनुसार समय पर लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिए गए। यह शिवा प्रोजेक्ट की गवर्निंग बॉडी की दूसरी बैठक थी। जिसकी अध्यक्षता हिमाचल बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने की। इस बैठक में लिए गए निर्णय और प्रोग्रेस की समीक्षा की गई। बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने सभी काम समयबद्ध पूरा करने के निर्देश भी दिए।
जानकारी के लिए बता दें कि सेब राज्य हिमाचल प्रदेश को फल राज्य बनाने के लिए केंद्र सरकार ने पहले से 1300 करोड़ रुपए की एचपी शिवा परियोजना को मंजूर किया हुआ है। पायलट चरण के अच्छे परिणाम के बाद एशियन डेवलपमेंट बैंक यानी (एडीबी) द्वारा प्रोजेक्ट के पहले चरण की फंडिंग को हरी झंडी दे दी गई है। इस प्रोजेक्ट के लिए एशियन विकास बैंक 1036 करोड़ रुपए की राशि की वित्तीय सहायता देगा। वहीं, 264 करोड़ रुपए की राशि का शेयर राज्य सरकार स्वयं देगा। बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार ने यह परियोजना 5 साल यानी 2028 तक के लिए मंजूर की है। यह परियोजना पांच साल के लिए वर्ष 2022-23 से 2027-28 तक चलेगी। इस परियोजना के माध्यम से राज्य सरकार राज्य में किसानों की निजी भूमि पर एक फसल एक क्लस्टर के तहत उपोष्णकटिबंधीय फलों के उत्पादन को बढ़ावा देंगे।
बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने बताया हिमाचल प्रदेश उपोष्णकटिबंधीय बागवानी, सिंचाई और मूल्यवर्धन एचपी शिवा परियोजना से प्रदेश के 7 जिलों के 28 विकास खंडों को कवर किया जाएंगा। इनमें बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, सोलन, सिरमौर और ऊना जिला शामिल हैं। प्रदेश के इन जिलों में लगभग 6000 हेक्टेयर क्षेत्र में इस परियोजना का क्रियान्वित किया जाएगा। जिससे लगभग 15 हजार किसान परिवार लाभांवित होंगे। इस परियोजना के तहत संतरा, अमरूद, आम, लीची, परिसीमन सब ट्रॉपिकल फ्रूट्स की पैदावार को बढ़ावा दिया जाएगा। इस परियोजना में लगभग एक करोड़ फलदार पौधे रोपित किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिससे पर्यावरण का संरक्षण होगा और जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकेगा।
मिली जानकारी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश उपोष्णकटिबंधीय बागवानी, सिंचाई और मूल्यवर्धन एचपी शिवा परियोजना को मंजूर किए जाने के लिए सीएम जयराम ठाकुर और बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने केंद्र की मोदी सरकार का आभार जताया है। बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि एडीबी के इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य क्लस्टर एप्रोच में व्यवसायिक सब ट्रॉपिकल फ्रूट्स की बागवानी का विकास कर उन बागवानों को आजीविका के अवसर प्रदान करना है, ताकि इन जिलों की युवा आबादी का रोजगार के लिए शहरी क्षेत्रों में पलायन रोका जा सके। प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के विजन में नए भारत में आत्मनिर्भर भारत कृषि और किसान, बीज से बाजार तक योजना में किसानों को सशक्त बनाने का संकल्प लिया है।
हिमाचल प्रदेश के बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर का कहना है कि इस परियोजना के तहत किसानों की निजी भूमि पर एक फसल एक क्लस्टर के रूप में डेवलप किया जाएगा। इसमें संतरा, अमरूद, आम, लीची, परसीमल जैसे सब-ट्रॉपिकल फ्रूट्स की पैदावार को बढ़ावा दिया जाएगा। जिन्होंने बेसहारा जानवरों, बंदरों और जंगली जानवरों के खतरे के कारण अपनी खेती योग्य भूमि को छोड़ दिया है। ऐसे किसानों को इस परियोजना के तहत फसल लगाने, सिंचाई की सुविधा, जंगली जानवरों के प्रकोप से बचने के लिए जमीन की बाड़बंदी करने से लेकर फसल को मंडी तक पहुंचाने की पूरी जिम्मेदारी सरकार उठाएंगी।
हिमाचल के बागवानी सचिव अमिताभ अवस्थी ने कहा कि परियोजना के पायलट प्रोजेक्ट के तहत चार जिलों में बिलासपुर, हमीरपुर, कांगडा और मंडी के 12 ब्लॉक के 17 क्लस्टरों में 200 हेक्टेयर भूमि पर संतरा, अमरूद, लीची और अनार का उच्च घनत्व पौधरोपण किया गया था, जिसके परिणाम सफल रहे। पायलट प्रोजेक्ट के तहत लगाएं गए संतरा और अमरूद की फसलें तो फल देने के लिए तैयार भी हो चुकी हैं। हिमाचल को भारत का फल राज्य बनाने के सपने को साकार करने के लिए एचपी शिवा प्रोजेक्ट काफी कारगर साबित होगा।
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