देश में कृषि भूमि को लेकर बहुत सारे डेटा रिकॉर्ड हैं। आम बोलचाल की भाषा में इसे खतौनी भी कहा जाता है। लेकिन सरकार द्वारा घरों का रिकॉर्ड रखने के उद्देश्य से घरौनी योजना की शुरुआत की गई। इस पहल से लोगों की बहुत सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। जैसे घर के लिए ऋण लेने में आसानी होगी, वहीं अतिक्रमण और कब्जा जैसी समस्या पर तुरंत कानूनी मदद मिलने में सुविधा होगी। अक्सर मकान की सीमाओं को लेकर विवाद होते रहते हैं। लेकिन इस योजना के तहत आवेदन करने वाले लोगों को तभी घरौनी कार्ड प्रदान किया जाएगा, जब उनका घर पूरी तरह से वैध होगा। इस तरह जो व्यक्ति बैंक के समक्ष घरौनी कार्ड प्रस्तुत करेगा उसे आसानी से होम लोन (गृह ऋण) मिल जाएगा क्योंकि यह कार्ड बैंक को पूरी तरह इंश्योर कर देगा कि मकान पर किसी प्रकार का विवाद नहीं है। यह वास्तव में ऋण देने योग्य है। कोर्ट द्वारा भी घरौनी कार्ड को एक सबूत के तौर पर लिया जाएगा। इस तरह घरौनी कार्ड धारक जमीन के किसी भी सीमा विवाद पर कानूनी रूप से सशक्त रहेंगे।
ट्रैक्टर गुरु के इस पोस्ट में हम घरौनी कार्ड के लाभ, खासियत, आवेदन करने की प्रक्रिया, आवश्यक दस्तावेज, पात्रता शर्तों आदि की जानकारी दे रहे हैं।
सरकार द्वारा जमीन का डिजिटलाइजेशन तेजी से किया जा रहा है। सरकार हर फील्ड को डिजिटल करने में जुटी हुई है। एक तरफ जहां डिजिलॉकर जैसे प्लेटफार्म के माध्यम से सभी दस्तावेजों को डिजिटल रूप दिया गया है। वहीं ऑफिशियल कागजातों, सरकारी प्रक्रिया और रिकॉर्ड्स को भी डिजिटली ही रखा जा रहा है। ऐसे में सरकार ने ग्रामीण घरों का रिकॉर्ड भी डिजीटली रखने के लिए घरौनी योजना की शुरुआत की है। यह योजना उत्तरप्रदेश सरकार की है। योजना के तहत सरकार की ओर से लोगों को सरकार की ओर से मकान का स्वामित्व प्रमाण पत्र यानी डिजिटल घरौनी कार्ड दिया जाएगा। सरकारी दफ्तरों का चक्कर काटने की भी जरूरत नहीं है।
उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा चलाई गई घरौनी योजना के तहत ग्रामीण घरों को रजिस्टर किया जाएगा। जिस तरह किसी व्यक्ति का आधार कार्ड बनता और यही आधार उसकी पहचान होता है। उसी तरह घरों को पहचान देने के लिए ये योजना लागू की गई है। इसके तहत घरों को भी आधार नंबर की तरह यूनिक आईडी प्रदान की जाएगी। योजना के तहत मकान का यूनिक आईडी नंबर होगा, जो 13 अंकों का होगा। इसमें पहला 6 अंक गांव का कोड दर्शाएगा। अगला 5 अंक आबादी के प्लॉट नंबर को दर्शाएगा। आखिरी के 2 अंक उस मकान के संभावित विभाजन को दर्शाएंगे। इस तरह इस यूनिक आईडी को प्राप्त कर ग्रामीण लोग अपने मकान का मालिकाना हक प्राप्त कर सकेंगे।
उत्तरप्रदेश राज्य के ग्रामीण इलाके में निवास करने वाले लोगों को घरौनी योजना का लाभ दिया जाएगा। इसके तहत यूपी के लाखों ग्रामीण किसान और मजदूर लाभान्वित हो पाएंगे। बता दें कि यूपी सरकार द्वारा इस योजना के तहत लगभग 6.5 लाख यानी साढ़े 6 लाख लोगों के मकान को पंजीकृत किए जाने का लक्ष्य है। ग्रामीण परिवार को घर का मालिकाना हक प्रदान करने की इस योजना अवधि को 2021 से बढ़ाकर वर्ष 2025 तक की गई है। अगले 2 से 3 साल में सरकार बड़े स्तरों पर ग्रामीण घरों का पंजीकरण करेगी।
घरौनी कार्ड के होने से किसानों को काफी फायदा होगा। लोगों की आवासीय जमीन को पंजीकृत किया जा सकेगा। घरौनी कार्ड में डिजिटली पुश्तैनी मकानों और जमीन का ब्यौरो का प्रमाण पत्र रहेगा। इन प्रमाण पत्रों को आवासीय अभिलेख या प्रॉपर्टी कार्ड भी कहा गया है। ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोगों के घरों का रिकॉर्ड जब सरकार के पास रहेगा तो सरकार इन रिकॉर्ड्स के आधार पर जनकल्याणकारी योजनाओं की भी शुरुआत कर सकती है।
घरौनी योजना के लाभ एवं उद्देश्य इस प्रकार हैं।
घर का मालिकाना हक प्राप्त करने की प्रक्रिया इस प्रकार है।
ग्रामीण क्षेत्र के किसान, यदि घरौनी प्रमाण पत्र डाउनलोड करना चाहते हैं तो आपको बता दूं कि पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया होने के बाद आपको एसएमएस भेजा जाएगा। एसएमएस में कार्ड डाउनलोड करने के लिए आपको लिंक मिल जाएगी। इस तरह घरौनी कार्ड आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
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