Fasal Vividhikaran Yojana : किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र एवं राज्य की सरकारों द्वारा कई तरह की आर्थिक सहायता योजनाएं चलाई जा रही है। इनके माध्मम से किसानों को नई-नई औषधीय और सुगंधित पौधों की कमर्शियल खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसके लिए उन्हें भारी अनुदान भी दिया जा रहा है ताकि किसान औषधीय और सुगंधिक पौधों की खेती कर उनके उत्पादन से ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर अपनी आय में वृद्धि कर सकें। इस कड़ी में राज्य सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए राज्य में फसल विविधिकरण योजना (Fasal Vividhikaran Yojana) की शुरूआत की है, जिसके माध्यम से किसानों को सुगंधित तथा औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों को 75 हजार रुपए की सब्सिडी का लाभ भी दिया जा रहा है। सरकार का कहना है कि इससे किसानों की न केवल आमदनी बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद होगी। साथ ही औषधीय क्षेत्र में राज्य और देश भी आत्मनिर्भर बन सकेगा, तो आइए राज्य सरकार की इस योजना के बारे में जानते है कि कैसे किसानों को इसका लाभ मिलेगा।
दरअसल, राज्य के कई जिलों में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती के लिए जलवायु उपयुक्त है। इसको देखते हुए राज्य सरकार ने इन जिलों में सुगंधिक तथा औषधीय खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने के लिए चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत फसल विविधिकरण योजना (Fasal Vividhikaran Yojana) की शुरुआत की है। इस योजना के तहत किसानों को विभिन्न औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती करने पर राज्य सरकार की तरफ से इकाई लागत पर 50 प्रतिशत तक अनुदान का लाभ दिया जाएगा। फसल विविधिकरण योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में सुगंधित एवं औषधीय पौधों और शुष्क बागवानी फसलों के क्षेत्र का विस्तार करना है। इसके लिए राज्य के किसानों को सहायता अनुदान देकर जलवायु परिवर्तन के आधार पर फसल पद्धति विकसित कर उनकी आय में वृद्धि करना है।
राज्य उद्यान निदेशालय विभाग द्वारा फसल विविधीकरण योजना के अतंर्गत सुगंधित और औषधीय पौधों की खेती अपनाने वाले किसानों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा इस योजना के अंर्तगत इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन राज्य के 9 चयनित ज़िलों में किया जा रहा है। इन 9 जिलों में जमुई, गया, पूर्वी चम्पारण, नवादा, सुपौल, पश्चिम चम्पारण, खगड़िया, सहरसा और वैशाली जैसे जिले शामिल हैं। इन चयनित जिलों के किसान योजना के अंर्तगत सुगंधित एवं औषधीय पौधों की खेती पर अनुदान के लाभ के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के तहत औषधीय पौधों की खेती के लिए किसान पौध रोपण सामग्री स्वयं अथवा सेंटर ऑफ एक्सलेंस, देसरी, वैशाली/ विभागीय/ कृषि विश्वविद्यालय/ कृषि अनुसंधान संस्थान/ केंद्रीय एजेंसी/ राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड एक्रीडीटेड नर्सरी से अथवा ई-निविदा के द्वारा चयनित योग्य एजेंसी के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा जाएगा।
उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग बिहार सरकार के एक्स पोस्ट के अनुसार, फसल विविधीकरण योजना के अंर्तगत किसानों को लेमनग्रास, पामरोजा, तुलसी, शतावरी एवं खस की खेती के लिए अनुदान दिया जा रहा है। इस फसल विविधीकरण योजना के तहत बिहार सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में 500 हेक्टेयर क्षेत्र पर सुगंधित एवं औषधीय पौधों के क्षेत्र विस्तार का भौतिक लक्ष्य रखा है। इसके लिए सरकार ने 3 करोड़ 82 लाख 50 हजार रुपए खर्च करने का बजट बनाया है। इसके तहत उद्यान निदेशालय बिहार सरकार फसल विविधीकरण योजना के अंर्तगत इन चयनित सुगंधित एवं औषधीय पौधों की खेती पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। उद्यान निदेशालय द्वारा इन औषधीय पौधों की खेती की इकाई लागत 1,50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर निर्धारित की है, जिस किसान को 50 प्रतिशत या अधिकतम 75,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की सब्सिडी दी जाएगी।
फसल विविधीकरण योजना के अंर्तगत बिहार के चयनित 9 जिलों के किसान सुगंधित और औषधीय पौधों की खेती पर सब्सिडी के लाभ के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसमें योजना के तहत लेमन ग्रास, पामरोजा, तुलसी एवं शतावरी की खेती के लिए जमुई एवं नवादा जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं, तो वहीं खस की खेती के लिए पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चंपारण, सुपौल, सहरसा, खगड़िया एवं वैशाली जिले के किसान आवेदन कर सकते हैं। फसल विविधीकरण योजना के अतंर्गत इच्छुक किसान इन पौधों की खेती के लिए न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर तथा अधिकतम 4 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए अनुदान का फायदा उठा सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत 22 जनवरी 2024 से प्रारंभ हो चुकी है। योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक किसान उद्यान निदेशालय कृषि विभाग बिहार सरकार की आधिकारिक वेबसाइट https://horticulture.bihar.gov.in पर उपलब्ध 'फसल विविधीकरण योजना' के 'आवेदन करें' लिंक पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। योजना संबंधित विशेष जानकारी के लिए अपने संबंधित जिला के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क भी कर सकते हैं।
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