भारत में कृषि और बागवानी क्षेत्र में अभिनव प्रयोग हो रहे हैं। यहां परंपरागत फसलों के अलावा अब किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए औषधीय फसलों की खेती कर रहे हैं। lemon grass या नींबू घास भी ऐसी औषधीय फसल है जो किसानों को मालामाल कर सकती है। यह फसल बंजर भूमि में भी आसानी से होती है। इसकी पत्तियों से निकलने वाला तेल बाजार में महंगा बिकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि नींबू घास में लागत बहुत कम आती है। इसे ना पशु खाते हैं और ना ही इसमें कीटनाशक दवा का छिड़काव करने की जरूरत है, क्योंकि कीटों का प्रकोप भी लेमन ग्रास में नहीं होता। इसकी फसल खुले खेत में की जा सकती है। यही नहीं नींबू घास में अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होने से पानी की बचत होती है। लेमन ग्रास की खेती पर बिहार सरकार 8000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से सब्सिडी प्रदान करती है। यदि आपके पास थोडी बंजर जमीन भी है तो उसका सही उपयोग नींबू घास की खेती करने से हो जाएगा। इसकी फसल बंपर मुनाफा प्रदान करेगी। यहां ट्रैक्टर गुरू पर इस आर्टिकल में आपको नींबू घास की खेती करने के तरीके और इसकी लगातार बढ़ रही डिमांड के बारे में पूरी जानकारी दी जा रही है। इसे अवश्य पढ़ें और शेयर करें।
यूं तो नींबू घास की खेती पूरे भारत में की जाती है लेकिन बिहार में पिछले कुछ वर्षों से इसकी खेती व्यापक तरीके से की जाने लगी है। पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने झारखंड की एक महिला किसान की जमकर तारीफ की थी जो बड़े स्तर पर नींबू घास की खेती कर रही थी। इसके बाद बिहार में भी नींबू घास की खेती के लिए सरकार ने सब्सिडी देना आरंभ किया। बिहार सरकार की ओर से प्रति एकड़ नींबू घास की खेती के लिए 8000 रुपये की अनुदान राशि दी जाती है। इससे यहां बंजर भूमि पर किसान नींबू घास की खेती खूब करते हैं। बिहार में बांका, कटोरिया, फुल्लीडुमर, रजौन, धौरैया आदि जिलों के किसान नींबू की खेती कर रहे हैं। इसकी खेती से किसानों की आर्थिक हालत में तेजी से सुधार हुआ और वे पहले से ज्यादा अतिरिक्त कमाई करते हैं।
नींबू घास की खेती के लिए बिहार प्रदेश की सरकार के अलावा केंद्र सरकार भी प्रोत्साहन दे रही है। सरकार किसानों को इसका रकबा बढ़ाने के लिए जल्द ही बड़ी योजना भी लांच कर सकती है। नींबू घास के ऑयल की मांग बाजार में ज्यादा होने से इसकी खेती के प्रति किसानों को रुझान लगातार बढ़ रहा है। इससे जो बंजर जमीन किसी काम की नहीं समझी जाती थी वहां नींबू घास की हरियाली चमक रही है।
नींबू घास औषधीय फसल है। इसके तेल से कई प्रकार की औषधियां बनती हैं। इसके अलावा साबुन और सौंदर्य प्रसाधन की कई वस्तुओं का उत्पादन इससे किया जाता है। इसके तेल में सिट्रॉल नाम तत्व पाया जाता है, जो इसमें 60 से 80 प्रतिशत तक होता है। सिट्रोल विटामिन ए का मुख्य स्त्रौत है।
आपको यदि अच्छी कमाई करनी है तो नींबू घास की खेती करना शुरू कर दीजिए। इसकी खेती बहुत आसान है। यह कैसी भी जमीन में हो सकती है। सूखाग्रस्त इलाकों में इसकी खेती ज्यादा फायदेमंद रहती है क्योंकि इसमें सिंचाई कम से कम होती है। एक एकड़ जमीन पर 30 से 40 हजार रुपये का खर्च आता है। 1 एकड़ भूमि में 10 kg नींबू घास का बीज डाला जाता है। यह घास पौध रोपाई के लिए 55 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है। इसके अलावा किसान नर्सरी से भी इसके पौधे ला सकते हैं। जून या जुलाई में इसके पौधों की रोपाई की जा सकती है। रोपाई के पहले गोबर और राख की खाद डालें।
नींबू घास की फसल आपको एक बार रोपाई करने के बाद 6 साल तक अच्छा मुनाफा देगी। एक साल में इसकी फसल को 5-6 बार काटा जा सकता है। इसकी पत्तियां निकाली जाती हैं। इस फसल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे पालतू पशु या जंगली जानवर भी नहीं खाते। वहीं सिंचाई एवं उर्वरक और कीटनाशक आदि का खर्च भी बहुत कम होता है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार यदि आप एक एकड़ जमीन पर नींबू घास की खेती करेंगे तो आपको 100 लीटर तक इसका तेल मिल सकता है। इसे बाजार में बेचने पर अच्छी कीमत मिलती है। किसान भाइयों को यह जानकर खुशी होगी कि बिहार की बात करें तो यहां नींबू घास के ऑयल प्रोसेसिंग की कई यूनिट खुल गई हैं। इनमें सुमुखिया मोड पर राजपुर और कटोरिया में इसके कारखाने हैं। तेल निकालने वाली मशीन की कीमत करीब 4 लाख रुपये है। सरकार इस तरह की यूनिट लगाने के लिए 90 फीसदी तक सब्सिडी प्रदान करती है। इसके 1 लीटर तेल की बाजार कीमत 1200 रुपये से 2000 रुपये तक होती है।
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