Drone Flying Training : भारत सरकार द्वारा कई विशेष जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को ड्रोन (Drone) उड़ाने का पायलट प्रशिक्षण और मरम्मत करने की ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि किसान इसके इस्तेमाल से फसल पर कीटनाशक छिड़काव की लागत कम कर अपनी आय में इजाफा कर सके। खास बात यह है कि आज विभिन्न कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं संस्थानों द्वारा युवाओं और किसानों को ड्रोन उड़ाने की पायलट ट्रेनिंग तथा प्रशिक्षण के बाद उन्हें पायलट लाइसेंस भी दिया जाता है। इससे खेती में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है और उनकी खेती लागत में भी कमी आई है, जिससे उनका मुनाफा बढ़ा है।
ऐसे में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर (यूपी) में ड्रोन को कृषि के क्षेत्र में उपयोग करने के लिए पायलट ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा मई यानी अगले महीने ड्रोन तकनीक पर एक खास वैल्यू एडेड पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसके माध्यम से युवाओं और किसानों को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए इच्छुक प्रशिक्षणार्थियों को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किया जाने वाला यह विशेष कोर्स सात दिनों के लिए है। इस दौरान पंजीकृत छात्रों को कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग मिलेगी। साथ ही ड्रोन उड़ाने का पायलट लाइसेंस भी दिया जाएगा।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के कुलपति प्रोफेसर के अनुसार, कृषि संस्थान में मई के महीने से एक खास वैल्यू एडेड कार्स आरंभ किया जा रहा है, जो ड्रोन तकनीक (Drone Technology) पर आधारित होगा। इसमें युवा/किसान एवं किसान समूहों से जुड़े लोगों को कृषि में ड्रोन प्रोद्योगिकी के इस्तेमाल करने के स्किल्स उभारने के लिए उड़ाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। पाठ्यक्रम के लिए चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने गति संस्था के साथ मिलकर एक करार किया है. जिसके अंतर्गत यह संस्था रजिस्ट्रेशन करने वाले किसान और कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों को ड्रोन टेक्नोलॉजी के बारे में प्रशिक्षण देगी। इसके अतिरिक्त, प्रशिक्षणार्थियों को यह भी ट्रेनिंग दी जाएगी कि वे कैसे कृषि क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल से खेती कर पैदावार बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही प्रशिक्षण पूरा होने के बाद किसान/कृषि संस्थान के स्टूडेंट्स को ड्रोन उड़ाने का लाइसेंस (License To Fly Drone) भी मिलेगा, क्योंकि जिस प्रकार से गाड़ी चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की जरूरत होती है। उसी प्रकार ड्रोन के लिए भी पायलट लाइसेंस की आवश्यकता होती है।
कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति के अनुसार, कृषि में बीज को बोने, फसलों पर कीटनाशक दवाओं और फर्टिलाइजर का छिड़काव करना हो तो यह सभी काम अब किसान ड्रोन के माध्यम से कर सकेंगे। क्योंकि इसके लिए एक खास प्रोग्राम चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर में चलाया जाएगा, जिसमें किसानों, कृषि विश्वविद्यालय के स्टूडेंट और अन्य कोई भी 10वीं पास व्यक्ति जो चाहे वह यह कोर्स कर सकेगा। यह कोर्स 7 दिनों के लिए होगा, जिसमें रजिस्ट्रेशन करने वाले छात्रों और किसानों को ड्रोन का कृषि के क्षेत्र में इस्तेमाल करने की पायलट ट्रेनिंग दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों और ड्रोन के इस्तेमाल के लिए किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने का प्रयास कर रही है। इसके लिए कई तरह के अभियान चलाकर किसानों/ कृषि विज्ञान छात्रों और अन्य युवाओं को ड्रोन उड़ाने के लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण देती है। यह प्रशिक्षण राज्य के कृषि विश्वविद्यालय एवं अप्रूव्ड ड्रोन प्रशिक्षण (Drone Training) केंद्रों के माध्यम से दिया जाता है। इसके लिए समय-समय पर विशेष प्रोग्राम शुरू कर इच्छुक युवाओं से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करने के लिए कहा जाता है।
बता दें कि आधुनिक ड्रोन तकनीक (Drone Technology) का उपयोग करके किसान आज अपनी खेती की दक्षता को बढ़ा रहे हैं। इसने खेती को आज कई गुना अधिक स्मार्ट बना दिया है। समय, मेहनत और लागत कम करने और फसल पैदावार बढ़ाने में कृषि ड्रोन (Agricultural Drone) बड़ी मदद करता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है।
कुलपति प्रोफेसर के अनुसार, किसानों को आमतौर पर खेत की बुवाई करने में पूरा दिन का समय लग जाता है। लेकिन ड्रोन की मदद से सिर्फ 25 मिनट में एक एकड़ क्षेत्र में यह काम पूरा कर सकेंगे। इसके अलावा, इस ड्राेन की मदद से इसमें कीटनाशक का छिड़काव, या फिर फसलों में खाद डालने का काम भी पूरा कर सकेंगे। गति संस्था के पास कृषि ड्रोन है, जिसका उपयोग फसल में किया जा सकता है। यह एग्रीकल्चर ड्रोन 14 किलो का वजन लेकर आसानी से उड़ सकता है। इसकी कुल क्षमता 29 किलो की है, जिसमें 15 किलो ड्रोन का वजन शामिल है। यह ड्रोन (Drone) एक बार के चार्ज में 20- 25 मिनट तक उड़ सकता है। ड्रोन से फसल पर दवाओं एवं अन्य पोषक तत्वों के छिड़काव करने में किसान की समय और मेहनत दोनों की ही बचत होती है।
वर्तमान में पीएम ड्रोन दीदी योजना (Namo Drone Didi Yojana) के तहत 15 हजार महिला समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराया जाएगा। ड्रोन खरीदने के लिए एसएचजी को सरकार द्वारा ड्रोन एवं सहायक उपकरण / सहायक शुल्क का 80 प्रतिशत या अधिकतम 8 लाख रुपए तक की धनराशि केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। बता दें कि एक ड्रोन की कीमत 10 लाख रुपए तक होती है। इसके साथ ड्रोन की शेष राशि पर महिलाओं को सीएलएफ नेशनल एग्रीकल्चर इंफ्रा फाइनेंसिंग फैसिलिटी से ऋण की सुविधा प्रदान की जाएगी, जिस पर सरकार की तरफ से 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान भी दिया जाएगा।
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