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चाय की खेती करने के लिए किसानो को मिलेगी सरकार से 50% की सब्सिडी, जानें क्या है योजना

चाय की खेती करने के लिए किसानो को मिलेगी सरकार से 50% की सब्सिडी, जानें क्या है योजना
पोस्ट -27 मई 2023 शेयर पोस्ट

चाय की खेती करने के लिए किसानो को मिलेगी सरकार 2.47 लाख रुपए की सब्सिडी, जाने कैसे करे आवेदन 

चाय उत्पादन में भारत विश्व में अहम स्थान रखता है  यहां के असम, दार्जिलिंग, गुवाहाटी और जम्मू-कश्मीर की चाय के तो क्या कहने? चाय की ताजा पत्तियों की दिलखुश सुगंध सिर्फ इन राज्यों तक ही सीमित नहीं रह गई है, चाय की खेती के लिए अब बिहार प्रदेश भी चर्चा में है। बिहार के किशनगंज की चाय को तो जीआई टैग भी मिल गया है। इससे प्रोत्साहित होकर यहां के किसान अब चाय की खेती में पूरी दिलचस्पी ले रहे हैं। किसानों को चाय की खेती करने में ज्यादा आर्थिक भार नहीं उठाना पड़े इसके लिए बिहार सरकार आगे आई है। सरकार ने चाय की खेती करने वाले किसानों को विशेष उद्यानिकी फसल योजना के तहत 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करने की घोषणा की है। इस सब्सिडी का लाभ बिहार के उन जिलों के किसान ही उठा पाएंगे जहां चाय की खेती की जा रही है। ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट में आपको बिहार में चाय उत्पादक जिलों और सरकार की सब्सिडी योजना के बारे में पूरी जानकारी दी जा रही है। इसे अवश्य पढ़े और शेयर करें।

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जानें, कितनी मिलेगी सब्सिडी राशि ?

चाय की खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार ने जो सब्सिडी योजना शुरू की है उसके अंतर्गत किसानों को उद्यानिकी विभाग से संपर्क करना होगा। विभाग के अनुसार चाय की खेती पर प्रति हेक्टेयर 4 लाख 94 हजार रुपये की लागत तय की गई है। इसमें सरकार इस राशि का 50 प्रतिशत यानि 2 लाख 47 हजार रुपये सब्सिडी के रूप में प्रदान करेगी। यह राशि किसानों को 2 किश्तों में दी जाएगी। योजना में 150 हेक्टेयर में चाय की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही चार जिले के किसान  ही इस योजना का लाभ ले सकते हैं। इनमें कटिहार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया जिले के किसान योजना में आवेदन कर सकेंगे।

यहां 25,000 हेक्टेयर में होती है चाय की खेती

बिहार के किशनगंज में चाय के उत्पादन में किसान लगातार आगे बढ रहे हैं। यहां करीब 25,000 हेक्टेयर में चाय की खेती की जा रही है। किशनगंज की चाय की गुणवत्ता को देखते हुए इसे जीआई टैग भी मिल चुका है। यहां की चाय कई राज्यों में पसंद की जा रही है वहीं विदेशों में भी बिहार के किशनगंज की चाय की मांग बढ़ने लगी है।

चाय की खेती करने पर कैसे मिलेगी सब्सिडी ?

बिहार सरकार की ओर से चाय की खेती करने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करने की योजना के पीछे एक शर्त रखी गई है। शर्त यह है कि जिन किसानों ने पिछले साल जुलाई-अगस्त में चाय के नये पौधे रोपे थे उन्हे ही यह अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा रोपे गए पौधों में 90 प्रतिशत पौधे यदि जीवित अवस्था में पाए जाते हैं तो ऐसे किसानों को ही सब्सिडी की दूसरी किस्त की राशि प्रदान की जाएगी। इसके अलावा लाभार्थी किसानों का चयन निर्धारित लक्ष्यों के आधार पर किया जाएगा। इसमें 16 प्रतिशत एससी, 1 प्रतिशत एसटी और 30 प्रतिशत महिला किसान शामिल होंगे।

ऑनलाइन आवेदन की सुविधा

बिहार सरकार की विशेष उद्यानिकी फसल योजना के तहत चाय उत्पादन पर दी जाने वाली सब्सिडी के लिए किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए बिहार उद्यानिकी विभाग के पोर्टल horticulture.bihar.gov.in के लिंक पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए नजदीकी जिले के सहायक निदेशक, उद्यान से भी संपर्क कर सकते हैं। वहीं लाभार्थी किसानों को डीबीटी के जरिए सब्सिडी राशि भेज दी जाएगी। इसके लिए किसानों को पहले डीबीटी रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है।

विश्व का 27 प्रतिशत चाय उत्पादन भारत में

भारत में चाय की खेती का इतिहास करीब दो सौ वर्ष पुराना है। यहां सबसे पहले 1835 में अंग्रेजों ने असम के बागानों में चाय की खेती की शुरूआत की थी। इसके बाद अन्य कई राज्यों में भी चाय का उत्पादन तेजी से होने लगा। विश्व  में चाय उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है। यहां विश्व की 27 प्रतिशत चाय पैदा होती है। वहीं सबसे ज्यादा चाय का सेवन भारत में ही होता है। यहां पानी के बाद सबसे अधिक चाय पी जाती है।

चाय की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

चाय की खेती के लिए हल्की अम्लीय जमीन होनी चाहिए। इसके अलावा इसके पौधों की जड़ों में पानी जमा नहीं हो पाए इस तरह की व्यवस्था की जाए क्योंकि इससे पौधें जल्दी खराब हो जाते हैं। इसके अलावा जलवायु के लिए भूमि का पीएच मान  5.4 से 6 के मध्य होना चाहिए। चाय के पौधों के विकास के लिए 20 से 30 डिग्री तापमान काफी होता है।

चाय के पौधों की रोपाई कब करें?

यदि आप भी किसान हैं और आपके क्षेत्र में चाय उत्पादन की संभावनाएं हैं तो इसके लिए पौधों की सही समय पर ही रोपाई करें। पौधे तैयार करने में ग्राफ्टेड विधि का सहारा लेना ज्यादा अच्छा रहता है। कलम द्वारा तैयार किए गए पौधों को खेत में तैयार किए गए गड्‌ढों में खुरपी की सहायता से लगाएं। इनकी जड़ों पर अच्छी तरह से मिट्‌टी ढंक दें। पौधे रोपने का सही समय अक्टूबर और नवंबर का महीना सबसे अच्छा है।

जानें चाय की सबसे बेस्ट किस्में  

चाय की सबसे बेस्ट किस्मों में चार ऐसी किस्में हैं जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। ये इस प्रकार हैं-

  1. चीनी जात चाय - यह किस्म झाडीनुमा पौधों के रूप में होती है। इससे निकलने वाली पत्तियां चिकनी और सीधी होती हैं। इस किस्म की चाय की पत्तियों में चीनी टैग की गंध होती है।
  2. असमी जात चाय - भारत के असम राज्य में पैदा होने वाली  इस  चाय की किस्म पूरी दुनिया में सबसे बेस्ट मानी जाती है। इसके पौधों पर निकलने वाली पत्तियों का रंग हल्का भूरा होता है। इसकी पत्तियां चमकदार और मुलायम होती हैं। इसका टेस्ट अच्छा लगता है।
  3. व्हाइट पिओनी - चाय की यह किस्म चीन में पाई जाती है। इसमें पौधों पर निकलने वाली पत्तियों में कड़कपन रहता है। पानी में डालने पर इनका रंग हल्का हो जाता है।
  4. सिल्वर निडल व्हाइट- इस किस्म की चाय को कलियों से तैयार किया जाता है। ये कलियां चारों तरफ रोंये से ढंक जाती हैं। इसके बीज पानी में डालने पर हल्के रंग के हो जाते हैं। इसका स्वाद मीठा और ताजगी प्रदान करने वाला होता है।

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