भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 51 फीसदी भाग पर कृषि होती है। देशभर में खरीफ और रबी सीजन फसलों की खेती बड़े पैमान पर की जाती है। फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए देश में सालाना लगभग 310 लाख टन उर्वरक का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें कूल नाइट्रोजन उर्वरकों में से 82 प्रतिशत हिस्सा यूरिया का है और पिछले कुछ वर्षों में इसकी खपत में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई। फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों द्वारा यूरिया के अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने की वजह से बाजार में यूरिया की मांग वृद्धि हुई है। किसानों की इस मांग की पूर्ति करने के लिए केंद्र सरकार हर साल करीब 55 लाख टन उर्वरक आयात करती है। लेकिन एक सर्वे से पता चला है कि बाजार में यूरिया की अधिक मांग और इसके कालाबाजारी के चलते ज्यादातर किसानों को फसल के लिए समय पर यूरिया खाद नहीं मिल पाता है। यह देश के किसानों के साथ-साथ सरकार के लिए भी सबसे बड़ी समस्या है। केंद्र सरकार ने इस समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रव्यापी योजना को तैयार किया है, ताकि देशभर के राज्यों में फसलों के लिए किसानों को समय पर रासायनिक खाद और यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करवाई जा सके। साथ ही सरकार फर्टिलाइजर (fertilizer) सब्सिडी योजना में भी बदलावा करने का विचार कर रही है। ताकि बाजार में हो रही फर्टिलाइजर (fertilizer) की कालाबाजारी पर रोक लागई जा सके। इसके लिए केंद्र सरकार कड़े कदम भी उठा रही है। तो आइए ट्रैक्टरगुरु के इस लेख के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे इस योजना के बारे में जानते है और इससे किस प्रकार किसानों को लाभ मिलेंगा।
बता दें कि भारत सरकार रसायन और उर्वरक मंत्रालय पीएम भारतीय जनउर्वरक परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत देशभर में किसानों को फर्टिलाइजर पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है। भारत सरकार इस योजना के तहत किसानों के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से सालाना 5 हजार रुपए की सब्सिडी खाद पर देती है। जिसमें 2500 रुपए खरीफ सीजन के शुरू होने से पहले और दूसरी किस्त 2500 रुपए रबी सीजन के शुरू होने से पहले दी जाती है। केमिकल एंड फर्टिलाइजर (रसायन एवं उर्वरक) मंत्रालय की ओर से जारी की गई एक अधिसूचना के अनुसार भारत सरकार इस योजना के तहत किसानों को घरेलू बाजार में यूरिया की कीमत 266 रुपये प्रति 50 किलो बोरी है, इस फर्टिलाइजर को रियायती दर पर उपलब्ध करवाई जाती है। जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत बढ़कर 4,000 रुपये प्रति बोरी है। इस तरह प्रत्येक बोरी पर सरकार को करीब 2700 रुपये से भी अधिक की सब्सिडी किसानों को देती है।
केंद्र सरकार की राष्ट्रव्यापी योजना (Nationwide plan) के तहत यदि कोई किसान यूरिया खरीदता है, तो वह 2700 रुपए से अधिक की सब्सिडी सरकार से प्राप्त कर सकता है। इसके लिए आपको खाद खरीदने के बाद कृषि सहयोग सोसायटी में संपर्क करना होगा। जहां आपको कुछ जरूरी जानकारी दर्ज कर यह राशि प्राप्त हो जाएगी। बता दें कि किसान के पास अपना खुद का बैंक खाता होना बहुत जरुरी है, जो आधार कार्ड से लिंक होना अनिवार्य है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक या राष्ट्रीकृत बैंक जहां पर किसान का खाता है। वे यहां पर अपने आधार कार्ड की फोटो कॉपी, अपनी बैंक पासबुक की फोटो कॉपी जमा कराना होगा।
बीते दिनों रसायन और उर्वरक मंत्रालय की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार देश में उर्वरक और खाद की कालाबाजारी रोकने एवं कालाबाजारी करने वाले दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए भारत सरकार की ओर से प्रधानमंत्री जन उर्वरक परियोजना के तहत एक देश-एक फर्टिलाइजर योजना लागू किया गया है। इस योजना तहत देशभार में सभी तरह के उर्वरक एक ही ब्रांड नाम ‘भारत’ से बिकेंगे। यानि अब ये किसानों को एक ही ब्रांड नाम ’भारत’ से मिलेगा। चाहे किसी भी कंपनी का हो। इस योजना के जरिये फर्टिलाइजर की चोरी और कालाबाजारी पर रोक लगेगी। खाद की किल्लत दूर होगी, लेकिन एक सर्वे रिपोर्ट के अुसार सरकार के इतने प्रयास के बाद भी पिछले कुछ महीनों में लगभग 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा खाद की सब्सिडी फर्जी लोगों तक पहुंची है, जिसके ऊपर सरकार जांच कर रही है। लेकिन सरकार ने अब इस सब्सिडी नियामों में बदलाव कर रही है। देश के रसायन और उर्वरक मंत्रालय खाद की कालाबाजारी करने वाले दोषियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी कार्रवाई शुरू कर दी है और साथ ही सरकार के द्वारा नई व्यवस्था के तहत अफसरों से लेकर उर्वरक कंपनियों तक को जिम्मेवारी सौंपी गई है। देश में नकली उर्वरक की बिक्री पर रोक लगाने एवं पूरे देश में उर्वरक (फर्टिलाइजर) एक ही कीमत पर बेचने के लिए सरकार ने उर्वरक बिक्री केंद्रों को सर्कुलर भेजकर पालन करने के आदेश दिए है।
सर्वें रिपोर्टस के अनुसार देश में सालाना लगभग 310 लाख टन उर्वरक की जरूरत होती है। करीब 55 लाख टन उर्वरक आयात करना पड़ता है। खरीफ तथा रबी सीजन की सभी फसलों के लिए रासायनिक उर्वरक की आवश्यकता होती है। जिसमें सबसे ज्यादा यूरिया फर्टिलाइजर का उपयोग किया जाता है। साल 2020-21 के आंकड़ों पर के अनुसार देश में यूरिया खाद की 350.51 लाख टन की आवश्यकता थी। उर्वरक का उत्पादन जरूरत से कम होने के कारण आयातित उर्वरक का मूल्य अंतराष्ट्रीय बाजार के अनुसार रहता है। साल 2020-21 में भारत सरकार ने विभिन्न प्रकार के उर्वरक का आयात विदेशों से किया था। जो इस प्रकार है। यूरिया - 98.28 लाख टन , डीएपी - 48.82 लाख टन, एनपीके - 13.90 लाख टन, एमओपी- 42.27 लाख टन उर्वरक का आयात किया गया था। विदेशों से मंगवाई जानने वाली खाद के दाम अधिक होते हैं, लेकिन सरकार इन खाद के लिए कई विभान्न योजनाओं से खाद कंपनी और किसानों को सब्सिडी उपलब्ध करवाती है। ताकि किसानों को यह कम कीमतों पर मिल सके। और किसानों को रबी और खरीफ सीजन के समय खाद व उर्वरक असानी से मिल सके। तथा देश में किसानों की खेती प्रभावित न हो सके।
भारत सरकार रसायन और उर्वरक मंत्रालय की रिपोर्ट के मानें तो भारत सरकार पूरे देश में खाद कम कीमत और एक ही रेट पर उपलब्ध करवाने के लिए खाद कंपनियों को भारी सब्सिडी देती है। जिसमें घरेलू बाजार में यूरिया की कीमत आज 266 रुपये प्रति 50 किलो बोरी है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत बढ़कर 4,000 रुपये प्रति बोरी है। इस प्रकार भारत सरकार यूरिया की प्रत्येक बोरी पर करीब 3,700 रुपये की सब्सिडी खाद कंपनियों या किसानों को देती है। इसी प्रकार घरेलू बाजार में डीएपी की कीमत 1,350 रुपये प्रति बोरी है, इसकी अंतरराष्ट्रीय कीमत 4,200 रुपये प्रति बोरी है। सरकार इस पर भी करीब 2501 रूपये की सब्सिडी देती है। वहीं, एनपीके का भाव 3291 रुपये प्रति बैग है सरकार द्वारा 1918 रुपये की सब्सिडी देने पर यह आपको 1470 में मिलेगा। एमओपी की कीमत 2654 रुपये प्रति बैग है जिस पर सरकार द्वारा 759 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है, जिसके बाद इसकी कीमत 1700 रुपये है।
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