Micro Irrigation Plant : देश में किसानों को कम सिंचाई लागत में बेहतर पैदावार लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए केंद्र एवं राज्य की सरकारें कई तरह की महत्वाकांक्षी योजनाएं भी चला रही है। इन योजनाओं के तहत किसानों को बेहतर सिंचाई संसाधन जैसे- कुएं, नलकूपों और तालाबों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। वहीं, केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के तहत सिंचाई के सूक्ष्म संयंत्रों पर भारी अनुदान भी उपलब्ध कराती है, जिससे कम सिंचाई लागत में ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रफल में सिंचाई कर फसलों से बेहतर पैदावार हासिल किया जा सके। ऐसे में राज्य के गन्ना किसानों के लिए बड़ी खबर है। बताया जा रहा है कि गन्ना किसानों को फसल की सिंचाई के लिए अपने खेतों में सूक्ष्म सिंचाई का संयंत्र लगाने पर चीनी मिलों एवं विश्व बैंक द्वारा अनुदान प्रदान किया जा रहा है। साथ ही संयंत्र पर किसानों को बीमा लाभ भी दिया जाएगा। आइए, इस लेख की मदद से इस पूरी खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
विश्व बैंक और यूपीएसएमए के बीच एमओयू
उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के वृहद हित लाभ के लिए सूक्ष्म सिंचाई की संभावना पर आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदेश के शुगर मिल्स एसोसिएशन के महासचिव दीपक गुप्तारा ने कहा, प्रदेश के शुगर मिल्स एसोसिएशन और विश्व बैंक के बीच “सूक्ष्म सिंचाई” पर एक सामान्य दृष्टि और प्राथमिकताओं के अनुरूप दीर्घकालिक संबंध स्थापित करने के लिए एक समझौता (एमओयू) हुआ है। इसके तहत विश्व बैंक (डब्ल्यूआरजी) अपने जल संसाधन समूह एवं उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) “यूपी प्रगति एग्री वाटर एक्सेलरेटर” (यूपी प्रगति कृषि जल त्वरक कार्यक्रम) को लागू करने के लिए साथ मिलकर काम कर रहा है। परियोजना प्रदेश के गन्ना किसानों के समग्र लाभ हेतु स्थायी “सूक्ष्म सिंचाई मॉडल” विकसित करने के लिए दो संगठनों की सामर्थ्य का समन्वय करती है।
किसानों को लागत का 85 प्रतिशत तक का अनुदान
विश्व बैंक (डब्ल्यूआरजी) राज्य के गन्ना किसानों को परियोजना के तहत सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र लगाने में आने वाली लागत का 85 प्रतिशत तक अनुदान देगी। वहीं, शेष 15 प्रतिशत लागत राज्य के निजी चीनी मिलों द्वारा किसानों को प्रदान की जाएगी। जिसकी वसूली बाद में किसानों से किस्तों के माध्यम से की जाएगी। इसके साथ ही, टूट-फूट और संयंत्र चोरी होने पर किसानों को शत-प्रतिशत बीमा का लाभ भी मिलेगा। राज्य में गन्ना किसानों को इस अनुदान के लिए डब्ल्यूआरजी (विश्व बैंक) 220 करोड़ रुपए खर्च करेगा।
किसानों की लागत में कमी
मिली जानकारी के अनुसार, आगामी दस दिनों में प्रदेश की चार निजी चीनी मिलों से जुड़े किसानों से डब्ल्यूआरजी के प्रतिनिधि इस अनुदान के लिए सीधा संवाद करेंगे। इसमें राज्य की निजी चीनी मिलों के संगठन यूपीएसएमए (उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन) शामिल रहेंगे। इस संवाद में विश्व बैंक की “सूक्ष्म सिंचाई” परियोजना (माइक्रो इरीगेशन प्रोजेक्ट) की कण्ट्री कोआर्डिनेटर मैडम प्रिया, उत्तर प्रदेश कोआर्डिनेटर योगेश, यूपी उद्यान विभाग के नोडल अधिकारी और गन्ना आयुक्त के प्रतिनिधि वी.के.शुक्ल ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। यूपीएसएमए के महासचिव ने कार्यक्रम में कहा, राज्य में आने वाले समय में पानी की बचत और गन्ना उत्पादकों की लागत कम करने में सूक्ष्य सिंचाई पद्धति (माइक्रो इरीगेशन सिस्टम ) बेहद कारगर साबित होगी। इसके जरिए खेत की भूमि के अंदर छिद्रयुक्त पाइप डाल कर उससे रिसने वाले बूंद-बूंद पानी से सिंचाई की जाती है। इससे पानी सीधे पौधों की जड़ों तक जाता है और पानी भूमि की सतह पर आकर व्यर्थ नहीं होता है। सूक्ष्य सिंचाई पद्धति से पानी की बचत के साथ-साथ किसानों की लागत भी कम आती है।
किसानों के हित में किए जा रहे कार्यों के लिए प्रोत्साहित किया
महासचिव दीपक गुप्तारा ने कार्यक्रम में कहा, उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) और विश्व बैंक (डब्ल्यूआरजी ) को किसानों के हित में किए जा रहे कार्यों के लिए प्रोत्साहित किया गया है। 2030 डब्ल्यूआरजी ने अपने पायलट प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश परियोजना के अंतर्गत “ड्रिप इरिगेशन” के बारे में एक प्रस्तुति दी। कार्यशाला में मैसर्स गुजरात ग्रीन रेवोलुशन कंपनी (जीजीआरसी), अहमदाबाद ने भी उत्तर प्रदेश सूक्ष्म सिंचाई परियोजना के लिये विकसित किये जा रहे “न्यू सिंगल विंडो डिलीवरी मॉडल” को पेश किया और गुजरात के गन्ना किसानों के साथ काम करने के अपने अनुभव को साझा किया। कार्यों की समीक्षा से ज्ञात हुआ कि गुजरात राज्य में गन्ना किसान लगभग 30 प्रतिशत पानी की बचत करने में सफल रहे।
उत्पादन लागत में उल्लेखनीय कमी का अनुमान
विश्व बैंक अपने जल संसाधन समूह और यूपीएसएमए के साथ “यूपी प्रगति एग्री वाटर एक्सेलरेटर” (यूपी प्रगति कृषि जल त्वरक कार्यक्रम) को लागू करने के लिए साथ मिलकर काम कर रहा है। यह परियोजना राज्य के गन्ना किसानों के समग्र लाभ के लिए स्थायी “सूक्ष्म सिंचाई मॉडल” विकसित करने के लिये दो संगठनों की सामर्थ्य का समन्वय करती है। कार्यक्रम वर्तमान प्राथमिकता मानदंड के आधार पर राज्य के 38 से अधिक जनपदों में वृहद स्तर पर सहायता कार्यक्रम चलाने का इच्छुक है। इससे गन्ना किसानों की उत्पादन लागत में उल्लेखनीय कमी आने का अनुमान है।
परियोजना मुख्य रूप से इन कार्यों पर केंद्रित करेगी ध्यान
उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन
उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) यूपी में निजी चीनी मिलों का एक प्रमुख संगठन है। यूपीएसएमए का मुख्य उद्देश्य सरकार की अनुकूल और विकासोन्मुख नीतियों के माध्यम से प्रदेश में निजी चीनी मिलों के कामकाज और हितों की रक्षा को सुनिश्चित करना है। यूपीएसएमए राज्य में गन्ना किसानों और उद्योग हित में 1938 से कार्यरत है।
2030 जल संसाधन समूह
2030 जल संसाधन समूह, विश्व बैंक समूह का एक सार्वजनिक, निजी, सिविल सोसाइटी मल्टी-डोनर ट्रस्ट फंड है। डब्ल्यूआरजी (WRG) सामूहिक निर्णय लेने और पानी से जुड़े सभी क्षेत्रों में मज़बूत सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले लीक से हटकर (आउट-ऑफ-द-बॉक्स) समाधानों को सह-डिजाइन करने में हितधारकों का समर्थन करता है।
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