अगर आप किसान हैं तो जरा जागरूक किसान बनें। छोड़े परंपरागत खेती और अपनाएं आधुनिक कृषि की नई-नई तकनीक। आजकल हॉर्टिकल्चर खेती से भी किसान अपनी कमाई में कई गुना वृद्धि कर सकते हैं, बस थोड़ा इंतजार करना पड़ता है। बागवानी के लिए केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से सब्सिडी का ऑफर भी दिया जाता है। बिहार सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत आंवला की खेती के लिए किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी का ऑफर दिया है। आंवला फल, सब्जी और औषधि के रूप में काम आता है। इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खासी डिमांड है। अगर आप आंवला की खेती करते हैं और बिहार प्रदेश के निवासी हैं तो आपको 50 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी।
कोरोना महामारी के बाद भारत सहित अंतरराष्ट्रीय बाजार में आयुर्वेदिक औषधी एवं जड़ी-बूंटियां की डिमांड बढ़ती जा रही है। अब अधिकांश लोग एलोपैथिक दवाएं कम और आयुर्वेदिक दवाओं पर ज्यादा विश्वास करते हैं। बता दें कि आंवला भी एक औषधीय पौधा है जिसके फलों के कई तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं। कई दवा कंपनियां भी किसानों को आंवला की खेती के लिए रोजगार दे रही हैं। इसी कड़ी में बिहार सरकार ने एकीकृत बागवानी मिशन के तहत किसानों को आंवला की खेती करने के लिए 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी का ऑफर दिया है।
आंवले की खेती पर सब्सिडी योजना का लाभ किसानों को कैसे मिलेगा? इसका सीधा गणित यह है कि बिहार कृषि विभाग, उद्यान निदेशालय द्वारा एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत आंवला की खेती करने के लिए 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी। सब्सिडी का यह लाभ प्रति हेक्टेयर पर लागत का 60,000 रुपये मिलता है।
आंवला की खेती के लिए सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के लिए बिहार सरकार ने ऑनलाइन सुविधा प्रदान की है। किसान चाहें तो बिहार कृषि विभाग, उद्यान निदेशालय की आधिकारिक बेवसाइट पर विजिट करके आवेदन कर सकते हैं। एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत आंवला की खेती के लिए नजदीकी जिले में स्थित उद्यान विभाग के कार्यालय में सहायक निदेशक से संपर्क करके सब्सिडी का फायदा ले सकते हैं।
आंवला को अमृत फल कहा जाता है। यह औषधीय गुणों से भरपूर है। इसकी खेती से मुनाफा ही मुनाफा है। बता दें कि आंवले के पौधों की रोपाई 3 से 4 साल के अंदर फलों का उत्पादन होने लगता है। सिर्फ 8 साल के अंदर आंवला के पेड़ों से 1 क्विंटल तक का उत्पादन ले सकते हैं। इस प्रकार सही देखभाल और प्रबंधन की मदद से आंवला के बाग अगले 60 साल तक किसानों को अच्छी आमदनी दे सकते हैं।
आंवले की खेती के लिए तेजाबी और नमकीन और चूने वाली मिट्टी ज्यादा उपयुक्त होती है। जमीन जल निकासी वाली होनी चाहिए। यह दोमट मिट्टी में अच्छी पैदावार देता है। जमीन की तैयारी के लिए बिजाई से पहले दो-तीन बार कल्टीवेट करें। इसके बाद जैविक खाद जैसे कि रूडी की खाद को मिट्टी में मिलाएं। इसके पौधों की रोपाई से पहले करीब 1 फीट गहरे गड्ढे खोद कर उन्हे एक पखवाड़े तक सूरज की रोशनी में खुला रहने दें। पौधे से पौधे की दूरी करीब साढ़े 4 मीटर होनी चाहिए।
आंवले की बिजाई का सही समय जुलाई से सितंबर तक रहता है। राजस्थान के उदयपुर में इसकी बिजाई का समय जनवरी से फरवरी के मध्य की जाती है। उन्नत किस्म के बीज और पौधे खेती के लिए उपयोग किए जाएं ताकि फसल अच्छी दे सकें।
आयुर्वेद के अनुसार आंवला एक ऐसा फल है जिसमें अनेक औषधीय गुण हैं। यह त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद है, कई तरह के रोगों को दूर करता है। इसका कई तरह से प्रयोग किया जाता है। इसमें विटामिन सी, मिनरल और न्यूट्रिएन्ट्स होते हैं जो आंवला को बहुउपयोगी बनाते हैं।
आंवला को वैदिक काल से ही औषधी के तौर पर काम लिया जाता रहा है। इसकी छाल और पत्तियों से जो औषधि बनती है उसे रसौषधि कहते हैं। चरक संहिता में कहा गया है कि आंवला खाने से आयु वृद्धि होती है। इसके अलावा बुखार कम करने, खांसी ठीक करने और कुष्ठ रोग का नाश करने वाला यह फल पीलिया निदान में भी फायदा करता है। आंवला का वानस्पतिक नाम एब्लििक है। यह खून को साफ करता है। दस्त, मधुमेह, जलन की परेशानी में लाभ पहुंचाता है। इसके साथ ही जॉन्डिस, हाइपर एसिडिटी, एनीमिया, रक्त पित्त, वात एवं गठिया रोग में भी आंवला फायदेमंद है। आंवला सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
बता दें कि आंवला की एक -दो बूंद आंखों में डालने से आंखों के दर्द में राहत मिलती है। आंखों की सूजन कम करने के लिए आंवले को जौ के साथ कूट कर ठंडे पानी में भिगो दें। दो-तीन घंटे बाद आंवलों को निचोड़ कर निकाल लें। इसी पानी में आंवले को ऐसे ही भिगो दें। इस पानी को आंखों में लगाने से आंखों की सूजन कम होती है। इसके अलावा आंवले के पत्ते और फल का मिश्रण आंखों में लगाएं। आंवले को पीस कर पेस्ट बनाएं, उसकी पोटली बना कर आंखों पर बांधें। इससे आंखों की खुजली, जलन आदि परेशानियों से निजात मिलती है।
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