प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देश में केन्द्र सरकार द्वारा नेचुरल फार्मिंग योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को सब्सिडी यानि प्रोत्साहन भी दिया जा रहा हैं। देश के कई राज्यों की सरकारें जैविक खेती को बढ़़ावा देने वाली नेचुरल फार्मिंग योजना को सफल बनाने की तैयारी में जुट गई है। कई राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए नई-नई पहल कर रही हैं। सरकार रासायनिक कीटनाशक मुक्त फसलों की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है, जिससे लोगों को तमाम तरह की गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके और खेती किसानी में किसानों के खर्च को भी कम कर सके। भारत में जैविक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है। फसलों का विकास सही तरीके से हो सके इसके लिए कृषि विशेषज्ञों द्वारा खेतों में खाद के तौर पर ऑर्गेनिक वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करने का सलाह दी जाती है।
इसी क्रम में सरकार किसानों को वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए कई राज्य सरकार किसानों को देसी गाय खरीद पर सब्सिडी एवं पैसे देकर इन गाय का गोबर भी खरीद रही है। किसानों को वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश की सरकार ने इस तरह की योजनाओं पर काम भी शुरू कर दिया है। ट्रैक्टरगुरू की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको वर्मी कम्पोस्ट बनाने एवं किसी प्रकार वर्मीकम्पोस्ट से बढि़या मुनाफा कमा सकते है इस के बारें में जानकारी देने जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य की सरकार राज्य में जैविक खेती को बढ़़ावा देने एवं किसानों को वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट एवं सुपर प्लस कम्पोस्ट का निर्माण कर छत्तीसगढ़ में जैविक खेती को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली महिला स्व-सहायता समूहों को सौगात दी है। महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित कम्पोस्ट में से 7 जुलाई 2022 तक बिक चुकी कम्पोस्ट के एवज में प्रति किलो एक रुपए तथा सहकारी समितियों को 10 पैसे के मान से प्रोत्साहन राशि देने का फैसला किया था। वर्मी कम्पोस्ट पर बोनस वितरण को लेकर सरकार की तरफ से आदेश भी जारी किया गया था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महिला स्व-सहायता समूहों को वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण के लिए 3.27 रुपए प्रति किलो के मान से लाभांश तथा प्रति किलो पैकेजिंग पर 65 पैसे मिलते हैं। अब 7 जुलाई 2022 तक बिक चुकी कम्पोस्ट की प्रति किलो मात्रा पर एक रुपए का बोनस मिलने से वर्मी कम्पोस्ट निर्माण स्वयं सहायता महिला समूहों को अतिरिक्त लाभ होगा। अगर देखा जाए कि महिला समूहों को कम्पोस्ट निर्माण का लाभांश, पैकेजिंग और प्रोत्साहन राशि को मिलाकर प्रति किलो 4.92 रुपए मिल रहे हैं, जो वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय मूल्य के 50 प्रतिशत के करीब है।
बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 7 जुलाई को आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के परिपालन में कृषि विभाग ने इस संबंध में 19 जुलाई को आदेश जारी किया। आदेश के तहत महिला समूहों द्वारा उत्पादित कम्पोस्ट में से बेचे गए लगभग 17.64 लाख क्विंटल की मात्रा के एवज में महिला समूहों को 17 करोड़ 64 लाख तथा प्राथमिक सहकारी समितियों को 1 करोड़ 76 लाख रुपए की राशि प्रोत्साहन के रूप में दी जाएगी। बोनस की ये सारी राशि का वितरण गोधन न्याय योजना के तहत किया जाएगा। इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2021-22 के लिए 175 करोड़ रूपए की बजट राशि आवंटित किया गया है। राज्य में पशुपालन ग्रामीणों से गोधन न्याय योजना के तहत 2 रूपए प्रति किलों के हिसाब से अब 76 लाख क्विंटल से अधिक की गोबर खरीद की जा चुकी है।
राज्य में रासायनिक खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल से लगातार घट रही भूमि की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए यूपी सरकार जैविक खाद के इस्तेमाल के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। राज्य सरकार इसके लिए किसानों को अपने खेतों में केंचुआ खाद बनाने के लिए गड्ढा तैयार करने पर 6 हजार रुपये अनुदान दे रही है। इस योजना का लाभ लेने वाले किसानों को सात फीट लंबा, तीन फीट चौड़ा एवं एक फीट गहरा गड्ढा तैयार करना है। इसके बाद इस पर शेड डालना होगा। गड्ढा तैयार होने के बाद किसान को इसमें गोबर भरना होगा और सरकार से किसान को केंचुए भी दिए जाएंगे। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार वर्मी कम्पोस्ट योजना चला रही है।
यूपी सरकार वर्मी कंपोस्ट योजना के तहत किसान को अपने खेत में केंचुए से खाद बनाने वाले किसान को अनुदान दे रही है। किसान इस योजना का लाभ लेकर अपनी लागत में कमी लाने के साथ-साथ आय बढ़ा सकेगा। वर्मी कम्पोस्ट योजना अंर्तगत केंचुआ खाद बनाने से किसान की फसल में लागत कम आएगी। क्योंकि यह खाद पूरी तरह जैविक होगी। इसका फसलों में प्रयोग करने से किसान को महंगा खाद एवं कीटनाशक खरीदने से मुक्ति मिलेगी। वहीं, किसान इस खाद को बेचकर आय बढ़ा सकता है। इस योजना का लाभ एक साल में एक गांव से एक ही किसान को मिलेगा।
सरकार रासायनिक कीटनाशक मुक्त फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही। इसके लिए राज्य के किसानों को खेतों में वर्मीकम्पोस्ट को तैयार करने की सलाह दी जा रही हैं, तो वहीं राज्य के जयपुर जिले के सुंदरपुरा गांव के रहने वाले डॉ. श्रवण यादव वर्मीकम्पोस्ट से बढि़या मुनाफा कमा रहे हैं। श्रवण बताते हैं कि शुरूआत से ही खेती किसानी में उनका मन लगता था। खेती-किसानी से जुड़ी छोटी-छोटी जानकारी के लिए उन्होने अपनी पूर पढ़ाई खेती से जुड़े विषयों से की है उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग में एमएससी किया और इस बीच मल्टीनेशनल कंपनी में उनकी नौकरी भी लग गई, लेकिन नौकरी में मन नहीं लगने पर उसे भी छोड़ दिया। नौकरी छोड़ने के बाद, वह ‘उदयपुर महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी’ से जैविक खेती की पर पीएचडी भी करने लगे।
श्रवण कहते हैं कि नौकरी के दौरान उन्हें खेती-किसानी के लिए ज्याद वक्त नहीं मिल पाता था। साल 2020 में कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगने के बाद वह अपने गांव लौट आए। उन्हें खेती-किसानी को लेकर काफी वक्त मिलने लगा। इस दौरान उन्होंने यहां 17 बेड के साथ वर्मीकम्पोस्ट का एक छोटी यूनिट डाली। वह बताते हैं कि उन्होंने जब इस काम की शुरुआत की तो लोग ताना मारते थे और शुरुआत में परिवार वालों ने भी साथ नहीं दिया। लेकिन फिर लगातार बढ़ते मुनाफा को देखते हुए वह भी साथ हो गए। श्रवण कुमार कहते हैं की उन्होंने अब अपने वर्मी कंपोस्ट बेड़ों की संख्या बढ़ाकर एक हजार बेड तक कर ली है। वह दावा करते हैं कि पूरे भारत में उनकी यूनिट प्रति किलो सबसे ज्यादा केंचुए देती है। वह एक किलो वर्मीकंपोस्ट खाद में 2000 केंचुए देते हैं, जबकि बाकि जगह लोग 400 से 500 केंचुएं ही देते हैं। इसके अलावा वह किसानों को वर्मी कंपोस्ट बनाने की फ्री ट्रेनिंग भी देते हैं। और वर्मीकंपोस्ट का निर्माण कर इसे अन्य किसानों को बेच कर 2 से 3 लाख रूपये हर महीने मुनाफा कमा रहे हैं।
डॉ. श्रवण यादव कहते हैं कि उनके द्वारा तैयार वर्मीकम्पोट खाद को किसानों को बेचने के लिए सोशल मीडिया को मुख्य जरिया बनाया। डॉ. श्रवण ने ऑर्गनिक वर्मीकम्पोस्ट के नाम से अपना खुद कस एक चैनल भी बनाया, जिसपर वह इससे जुड़ी सभी जानकारी की वीडियोज भी किसानों को उपलब्ध करते हैं। श्रवण बताते हैं कि राज्य में अभी तक 25 हजार लोग ट्रेनिंग लेकर खुद की वर्मीकम्पोस्ट खाद की यूनिट लगा चुके हैं।
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