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खीरे की यह अनोखी किस्म साल में देगी 4 बार उपज, हर तीसरे महीने लाखों की कमाई

खीरे की यह अनोखी किस्म साल में देगी 4 बार उपज, हर तीसरे महीने लाखों की कमाई
पोस्ट -22 अगस्त 2023 शेयर पोस्ट

Cucumber Farming: साल में 4 बार उपज देने वाली खीरे की अनोखी किस्म, हर तीसरे महीने होगी लाखों की कमाई                  

खीरे की खेती (Cucumber Farming) साल में 4 बार उत्पादन देती है। इसकी मांग गर्मियों के दिनों के अधिक होती है। वहीं, बाजारों में खीरे की मांग सालभर उच्च स्तर पर होती है और यह अच्छी कीमत पर आसानी से बिक जाता है। ऐसे में आप मात्र 40 हजार रुपए प्रति एकड़ की लागत लगाकर खीरे की खेती से हर तीन महीने में दो से ढाई लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं। 

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खीरे की खेती से लाखों रुपए कमाने के लिए इस किस्म की करें खेती

PCUH Variety Cucumber : प्रतिकूल मौसम और प्राकृतिक आपदाओं से परंपरागत खेती में जोखिम बढ़ता जा रहा है। कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं के चलते, तो कभी फसलों में कीट व्याधि और रोग प्रकोप के कारण लागत भी बमुश्किल निकल पाती है। ऐसे में किसान ऐसी फसलों पर फोकस कर रहे हैं, जो कम लागत और कम समय में अधिक मुनाफा दे सके। कई राज्यों के किसानों ने सब्जियों की खेती (vegetables farming) शुरू कर दी है। इसमें टमाटर और खीरा जैसी नकदी फसलों की खेती (cash crops farming) पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसमें खीरा (Cucumber) किसानों के लिए यही विकल्प साबित हो रहा है। क्योंकि खीरा फसल किसानों (farmers) को सालभर आमदनी का जरिया दे रहा है।

खीरे की बाजार में मांग बहुत ज्यादा रहती है। खासकर गर्मियों के दिनों में तो खीरे की मांग और कीमत दोनों ही बाजार में उच्च स्तर पर होती है। खास बता यह है कि खीरे की फसल से सालभर में चार बार उत्पादन लिया जा सकता है। एक सीजन में इससे दो से लेकर ढाई लाख रुपए तक की आमदनी की जा सकती है। वो भी मात्र 40 हजार रुपए के लागत खर्च (costs incurred) पर। आज के वक्त बाजारों में खीरे की उन्नत किस्मों (improved varieties) के कई विकल्प मौजूद है। लेकिन हम आज हमारे किसान भाईयों के लिए खीरे की एक ऐसी खास किस्म की जानकारी लेकर आए हैं, जिसकी बुवाई कर किसान भाई सालभर में चार बार उपज ले सकते हैं। खास बात यह है यह किस्म बुवाई के मात्र 30 से 40 दिनों के बाद पैदावार देना आरंभ कर देती है। खीरे की जिस किस्म के बारे में हम बात कर रहे है वह पीसीयूएच किस्म खीरा (PCUH Variety Cucumber) है। किसान इस किस्म के खीरे की खेती कर मात्र 30 दिनों के बाद इससे अच्छा उत्पादन लेकर काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। आइये, खीरे की इस अनोखी किस्म “पीसीयूएच” खीरा के बारे में जानते हैं।   

एक एकड़ में 10 क्विंटल की पैदावार 

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, पीसीयूएच किस्म खीरा बीज रोपाई के 40 से 50 दिन में उत्पादन देना शुरू कर देता है। इसमें शुरुआत से ही एक जैसा उत्पादन किसान भाईयों को मिलता है। इस किस्म के एक एकड़ खेत से करीब 10 से 15 क्विंटल उत्पादन किसानों को मिलता है। इस किस्म के खीरे की फसल करीब 2 महीने में हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाती है, फिर कई महीनों तक पैदावार देती रहती है। एक एकड़ खेत में पीसीयूएच किस्म खीरा की बुवाई करने के लिए 200 से 250 ग्राम बीजों की आवश्यकता पड़ती है। इस किस्म के बीज बाजार में किसानों को 5 से 6 हजार रुपए में आसानी से मिल जाते हैं। इस किस्म के खीरे की खेती में फसल बुवाई से लेकर फसल उत्पादन तक में करीब 40 से 50 हजार रुपए की लागत आती है। जिसमें ड्रिप सिंचाई एवं मल्चिंग लगवाई लागत भी शामिल हो सकती है। 

किसान भाई इस तरह करें खीरे की खेती

आज के वक्त खीरे की खेती करने वाले किसान भाईयों की आमदनी लगातार बढ़ने लगी है। क्योंकि किसानों ने खीरे एवं अन्य सब्जी फसल का उत्पादन आधुनिक तकनीकों और विधियों के माध्यम से करना शुरू कर दिया है। जिससे किसानों को खीरा की पैदावार लागत से 4 से 5 गुना अधिक मुनाफा मिल रहा है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक खीरे को जैविक तत्वों की अच्छी मात्रा एवं अच्छे जल निकास वाली रेतीली दोमट मिट्टी पर आसानी से उगाया जा सकता है। अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए। 

खीरे की खेती के उपयुक्त तापमान

खीरा की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु को उपयुक्त माना गया है। इसकी खेती के लिए उच्च गर्म तापमान अच्छा रहता है। खीरे की फसल में वृद्धि के लिए 20 से 24 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त रहता है। वहीं, इसकी फसल 40 डिग्री तक के उच्च तापमान को सहन कर सकती है। देश के अधिकांश इलाकों में खीरे की बुवाई गर्मियों और बारिश के मौसम में की जाती है। गर्मियों में खीरे की फसल की बुवाई फरवरी व मार्च महीने में की जाती है, जबकि मानसून बारिश के मौसम में खीरे की बुवाई जून से जुलाई महीने में की जाती है।  

खीरे की बुवाई के लिए अपनाएं ये तरीका

खीरे की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए एक खरपतवार मुक्त खेत की आवश्यकता होती है। खरपतवार मुक्त खेत के लिए किसान भाई खेत में मल्चिंग व ड्रिप लगवा सकते हैं। एक एकड़ खेत में ड्रिप व मल्चिंग लगवाई पर करीब 35 से 40 हजार रुपए का खर्च आता है। जिस पर राज्य सरकारें अपने-अपने तय प्रावधानों के अनुसार किसानों को सब्सिडी भी प्रदान करती है। खीरे की फसल लगाने के लिए खेत को मिट्टी पलटने वाले हल से 2 से 3 गहरी जुताई कर देनी चाहिए। इसके बाद खेत में कार्बनिक खाद के रूप में प्रति एकड़ 200 से 250 क्विंटल सड़े गोबर की खाद डालकर रोटावेटर की मदद से मिट्टी में मिलाते हुए मिट्टी को अच्छी तरह से भूरभूरी बना लेना चाहिए। 

खीरा के बीजों की बुवाई किस प्रकार करनी चाहिए?

खीरा के बीजों की बुवाई मेड़ पर करना सबसे उपयुक्त माना गया है। खेत में सबसे पहले मेड़ से मेड़ की दूरी 2.5 से 3 मीटर दूरी रखते हुए मेड़ को तैयार करना चाहिए। इस तैयार मेड़ में बीज से बीज की दूरी 60 से.मी. रखते हुए 2 से 3 बीजों की बुवाई करनी चाहिए। खीरा के बीजों की बुवाई करने से पहले कार्बेन्डाजिम फफूंदनाशक 2.5 ग्राम प्रति किलो की दर से बीज को उपचारित करना चाहिए। इससे फसल में प्राथमिक अवस्था में लगने वाले कीटों और रोगों का खतरा कम हो जाता है। मेड़ों के बीच रासायनिक खाद के रूप में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की उचित मात्रा का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के अनुसार ही करना चाहिए। 

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