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लू और गर्मी से पशुओं को बचाने के लिए इन बातों का रखना होगा ध्यान

लू और गर्मी से पशुओं को बचाने के लिए इन बातों का रखना होगा ध्यान
पोस्ट -21 मई 2024 शेयर पोस्ट

लू और गर्मी से पशुओं को बचाने के लिए पशु चिकित्सा विभाग के सुझाव, बढ़ेगी उत्पादन क्षमता

Tips for animal protection in summer season :  देश के अधिकांश क्षेत्रों में भीषण गर्मी पड़ रही है। दिन में पड़ रही चिलचिलाती तेज धूप की वजह से लोगों का घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। इस तेज गर्मी से न केवल लोगों का बुरा हाल है, बल्कि पशु-पक्षियों का भी हाल बेहाल हो रहा है। भीषण गर्मी के कारण दुधारू पशु और व्यावसायिक एवं खेती में काम आने वाले पालतु पशुओं को लू लगने की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में तेज गर्मियों को देखते हुए पशु चिकित्सा विभाग ने कहा कि है कि पशुओं को लू और गर्मी से बचाया जाए। इसके लिए विभाग द्वारा जरूरी सुझाव जारी किए गए हैं। 

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पशु चिकित्सा विभाग ने कहा है कि किसान अपने दुधारू पशुओं के लिए पानी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करें। पशुओं को पर्याप्त छायादार स्थान उपलब्ध कराए। मवेशियों को रखने और बांधने का स्थान, स्वच्छ, हवादार एवं रोशनदान युक्त हो, यह भी सुनिश्चित किया जाए। साथ ही गर्मी के मौसम में अपने पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादन को बनाए रखने के लिए पशुओं को पर्याप्त विशेष आहार सुनिश्चित किया जाए, जिससे गर्मी के मौसम में पशुओं को लू लगने से बचाया जा सकें। 

पशुओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की सलाह (Advice to pay special attention to the health of animals)

तेज गर्मी को देखते हुए पशु चिकित्सा विभाग ने कहा है कि गर्मियों में पशुओं को लू लगने की संभावना बनी रहती है। इसलिए विभाग द्वारा पशुपालकों को सलाह दी गई है कि पशुओं के आहार के साथ-साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए, जिससे पशुओं के दूध उत्पादन में कमी ना हो। विभाग द्वारा कहा गया है कि गर्मी के मौसम में मवेशियों के बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है। गर्म हवाओं एवं तापमान अधिक होने से पशुओं के शरीर का तापमान 41 डिग्री से लेकर 42 डिग्री तक पहुंच जाता है, जिससे उनको लू लगने का भी खतरा बढ़ जाता है। तापमान अधिक होने पर लू के थपेड़े चलने लगते हैं, जिससे पशु दबाव की स्थिति में आ जाते हैं और उनकी चाल सुस्त हो जाती है तथा पशु खाना पीना छोड़ देते है, जिससे पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता पर उल्टा प्रभाव पड़ता है। अगर गर्मी में पशुपालक पशुओं के प्रबंधन पर ध्यान नहीं देते हैं तो पशुओं के चारा खाने की मात्रा में 10 से लेकर 30 प्रतिशत व उत्पादन क्षमता में 20 से 30 फीसदी तक की कमी आ सकती है। साथ ही साथ अधिक गर्मी के कारण आने वाले बारिश के मौसम में वे विभिन्न बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। 

दुधारू पशुओं को लू लगने के प्रमुख कारण (Main reasons for heat stroke in milch animals)

पशु चिकित्सा कार्यालय दतिया के उपसंचालक डॉ जी. दास ने प्रेस को जानकारी देते हुए कहा है कि पशुपालन व्यवसाय से जुड़े किसान या उद्यमी को इस बात की उचित जानकारी होनी चाहिए कि गर्मी के मौसम में पशुपालन करते समय अपने पशुओं के स्वास्थ्य एवं दुध उत्पादन को बनाये रखने के लिए किन विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। अधिक तापमान की स्थिति में पशु को सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रबन्धन एवं उपाय करने की आवश्यकता होती है। इसमें पशुओं के लिए ठंडा एवं छायादार आवास, स्वच्छ पीने का पानी और अच्छे आहार आदि पर ध्यान दिया जाने की आवश्यकता है। मौसम में नमी और ठंडक की कमी एवं पशु आवास में स्वच्छ वायु का ना आना, कम स्थान में अधिक पशुधन रखना तथा गर्मी के मौसम में पशु को पर्याप्त मात्रा में पानी न पिलाना और तापमान अधिक होने के कारण चलने वाली गर्म हवा लू लगने के प्रमुख कारण बनती है।

पशुओं को लू लगने के लक्षण (Symptoms of heat stroke in animals)

उपसंचालक डॉ. जी. दास ने बताया कि लू लगने पर पशु को तेज बुखार आ जाता है और बेचैनी बढ़ जाती है तथा वे सुस्त हो जाते हैं। पशुओं को खाना-पानी लेने में अरुचि, हांफना, तेज बुखार, मुंह से जीभ बाहर निकलना, मुंह के आसपास झाग आ जाना, आंख व नाक लाल होना, नाक से खून बहना, पतला दस्त होना, श्वास कमजोर पड़ जाना, हृदय की धड़कन तेज होना, जीभ निकाल कर कठिनाइयों से सांस लेना आदि लू लगने के प्रमुख लक्षण है। लू लगने पर पशुओं चाल सुस्त हो जाती है और पशु खाना पीना बंद कर देता है। प्रारंभ में पशु की सांस गति एवं नाड़ी गति तेज हो जाती है। पशुपालक के समय पर ध्यान नहीं देने से पशु की सांस गति धीरे धीरे कम होने लगती है, जिससे पशु चक्कर खाकर बेहोशी की स्थिति में ही मर जाता है। 

पशुओं को लू से बचाने के लिए क्या करें? (What to do to protect animals from heat wave?)

उपसंचालक ने जानकारी में बताया है कि अगर उपरोक्त लक्षण पशुओं में दिखाई दे, तो पशुपालक बिना देरी किए नजदीकी पशु चिकित्सालय में पशु चिकित्सक से संपर्क कर पशुधन का अच्छे से उपचार करवाएं। लू से पशुओं को बचाने के लिए उनके रहने का स्थान हवादार हो और दोपहर में ग्रीन जाली से ढंक देना चाहिए। पशुधन आवास में कूलर-पंखे और फव्वारा सिस्टम लगा सकते हैं। दिन के समय में मवेशियों को अंदर बांध कर रखें और उन्हें पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी देना चाहिए। व्यावसायिक एवं खेती में काम आने वाले मवेशियों से दोपहर की तेज धूप में काम न लिया जाए। लू की चपेट में आने पर पशु को तुरंत पशु चिकित्सक या चलित पशु चिकित्सा इकाई 1962 पर संपर्क कर उपचार एवं जरूरी सलाह भी ले सकते है। पशुओं को पर्याप्त इलेक्ट्रोल देनी चाहिए। 

पशुओं के आहार का प्रबंधन (animal feed management)

डॉ जी. दास ने बताया कि पशुपालक को गर्मी के मौसम में मवेशियों को हरा चारा अधिक देना चाहिए। हरे चारे में 70 से 90 प्रतिशत जल की मात्रा होती है, जो पशुधन के शरीर जल की आपूर्ति को बनाए रखने में मदद करता है। इससे पशुओं को लू और गर्मी से बचाने में काफी मदद मिलती है। गर्मियों में पशुओं को भूख कम व प्यास अधिक लगती है। इसलिए आवश्यक है कि गर्मी में पशु को स्वच्छ पानी उचित मात्रा  दिन में कम से कम 2 से 3 बार अवश्य पिलाना चाहिए। पानी में थोड़ी मात्रा में नमक व आटा मिलाकर पिलाना भी अधिक उपयुक्त है। इस मौसम में पशुओं को संतुलित आहार अधिक मात्रा उपलब्ध कराना चाहिए। गर्मी के मौसम पशुओं को खनिज लवण देना लाभदायक रहता है। गर्मी के दिनों में पशुओं के शरीर का तापक्रम नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त मात्रा में साफ सुथरा ताजा पीने का पानी हमेशा उपलब्ध होना चाहिए। गर्मी में भैंसों को 3-4 बार व गायों को कम से कम 2 बार अवश्य नहलाना चाहिए।

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