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गन्ने की खेती : अधिक पैदावार के लिए अपनाएं वैज्ञानिक विधि, होगी लाखों की कमाई

गन्ने की खेती : अधिक पैदावार के लिए अपनाएं वैज्ञानिक विधि, होगी लाखों की कमाई
पोस्ट -19 मई 2022 शेयर पोस्ट

जानें गन्ने की खेती कैसे करें और गन्ने की उन्नत किस्में

गन्ना, भारत की महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों में से एक है। भारत वर्ष में केवल गन्ने के द्वारा ही चीनी निर्मित होती हैं। गन्ने के क्षेत्रफल में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है, परन्तु चीनी उत्पादन में ब्राजील के बाद दूसरा स्थान है। इसके अलावा उपभोग के मामले में भी भारत दूसरे नंबर पर है। गन्ने को खाने के अलावा जूस बनाकर भी पिया जाता है। इसके जूस से गुड़, शक्कर और शराब आदि चीजों को बनाया जाता है। यह एक ऐसी फसल है, जिस पर जलवायु परिवर्तन का कोई खास असर नहीं देखने को मिलता है। जिस वजह से यह एक सुरक्षित खेती भी कहलाती है। हमारे देश में गन्ना एक नकदी फसल है जिसकी खेती प्रति वर्ष लगभग 30 लाख हेक्टेयर भू-क्षेत्र में की जाती है। आज के समय में भी किसान भाई गन्ने को परंपरागत तरीके से उगाते है। किसानों को कम लागत में अधिक उपज व आमदनी के लिये उन्नतशील किस्मों एवं वैज्ञानिक तरीकों से गन्ने की खेती करना आवश्यक है। आज वर्तमान समय में बाजारो में गन्ने की कई उन्नत किस्मे देखने को मिल जाती है, जिन्हे उगाकर किसान भाई अधिक पैदावार और लाभ भी प्राप्त कर रहे है। यदि आप भी गन्ने की खेती कर अच्छी कमाई करना चाहते है, तो ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट को अंत तक ध्यान पूर्वक पढ़े। आज हम आपको इस पोस्ट के जरिये गन्ने की खेती कैसे करे के बारे में जानकारी देने जा रहे है।

विश्व और भारत में गन्ना उत्पादन संंबंधी जानकारी

गन्ना को नकदी फसल के रूप में एक प्रमुख स्थान प्राप्त है। और यह चीनी का मुख्य स्रोत है। ब्राजील, भारत, चीन, थाईलैंड, पाकिस्तान और मेक्सिको विश्व के बड़े गन्ना उत्पादक देश हैं। दुनियाभर में प्रति वर्ष 1,889,268,880 टन गन्ने का उत्पादन होता है। ब्राजील और भारत विश्व के कुल गन्ना उत्पादन का 59 प्रतिशत उत्पादन करते हैं। जिसमें ब्राजील प्रति वर्ष 768,678,382 टन उत्पादन की मात्रा के साथ दुनिया में पहले नंबर पर सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक है। और भारत 348,448,000 टन वार्षिक उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर आता है। साथ ही दुनिया में भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश भी है। इस बाद इंडोनेशिया 27,158,830 टन वार्षिक उत्पादन के साथ 11 वें स्थान पर आता है। भारत के लगभग सभी राज्यों में गन्ने की खेती होती है। भारत में गन्ना उत्पादक प्रमुख राज्यों में उत्तर-प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, पंजाब , हरियाणा व बिहार आदि शामिल है। भारत में सबसे ज्यादा गन्ने का उत्पादन उत्तरप्रदेश राज्य से होता है, जो कि कुल उत्पादन का करीब 50 प्रतिशत है। संपूर्ण भारत में गन्ने की औसत उत्पादकता लगभग 720 क्विटल/हेक्टेयर है। गन्ने की खेती बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देती है और विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

गन्ना के पोषक तत्व और फायदे

गन्ना का वानस्पतिक नाम सैकरम ऑफिसिनारम है। इसे नगदी फसल के रूप उगाया जाता है। गन्ने का उपयोग चीनी, गुड़ आदि के निर्माण होता हैं। इसके अलावा गर्मियों में गन्ने का उपयोग जूस के रूप में प्यास बुझाने के लिए किया जाता है। गन्ने में औषधीय गुण पाये जाते है जिसके कारण शरीर की रक्षा भी करता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि गन्ना के गुण दांतों की समस्या से लेकर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी तक से बचा सकते हैं। इसमें ऐसे कई जरूरी पोषक तत्व जैसे- कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नेशियम और फॉस्फोरस इत्यादि पाए जाते हैं। गन्ने के रस के ये पोषक तत्व शरीर में खून के बहाव को भी सही रखते हैं. वहीं इस रस में कैंसर व मधुमेह जैसी जानलेवा बीमारियों से लड़ने की ताकत भी होती है। गन्ना खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसकी पुष्टि के लिए जब गन्ने के गुण पर शोध किया गया, तो इसके हेपाटोप्रोटेक्टिव और एंटीऑक्सीडेंट गुण सामने आए। इसके परिणाम में सामने आया कि गन्ने का अर्क कई तरह के बैक्टीरियल व वायरल संक्रमण से बचाने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।

गन्ना बोने का समय

गन्ना उपोष्ण देशों में उगाये जाने वाली फसल है। जिसे किसी भी प्रकार की जलवायु में उगाया जा सकता है। गन्ना एक ऐसी फसल है, जिस पर जलवायु परिवर्तन का कोई खास असर नहीं देखने को मिलता है। जलवायु के अनुसार यह एक सुरक्षित खेती भी कहलाती है। गन्ने की अधिक पैदावार लेने के लिए इसकी खेती का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से नवम्बर है और बसंत कालीन गन्ना की खेती के लिए फरवरी से मार्च उचित समय है।

भूमि का चुनाव एवं तैयारी 

गन्ने की खेती किसी भी तरह की उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है। गन्ने के लिए काली भारी मिट्टी, पीली मिट्टी, तथा रेतेली मिट्टी जिसमें पानी का अच्छा निकास हो सर्वोत्तम होती है। अधिक जल भराव से फसल के खराब होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। सामान्य पीएच मान वाली भूमि गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त होती है। गहरी दोमट मिट्टी में इसकी पैदावार अधिक मात्रा में प्राप्त हो जाती है।

गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और ताप

गन्ने के पौधों को शुष्क और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके पौधे एक से डेढ़ वर्ष में पैदावार देना आरम्भ करते है। जिस वजह से इसे विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, इन परिस्थितियों में भी पौधे ठीक से विकास करते है। इसकी फसल को सामान्य वर्षा की आवश्यकता होती है, तथा केवल 75 से 120 सेमी. वर्षा ही पर्याप्त होती है। गन्ने के बीजो को आरम्भ में अंकुरित होने के लिए 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, तथा जब इसके पौधे विकास कर रहे होते है, तब उन्हें 21 से 27 डिग्री तापमान चाहिए होता है। इसके पौधे अधिकतम 35 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है।

गन्ने की खेती के लिए खेत की तैयारी

गन्ने की खेती के लिए सबसे पहले इसके खेत को उचित तरीके से तैयार करने की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी वाली भूमि को सबसे बढिया माना है। क्षारीय/अमली भूमि व जिस भूमि पर पानी का जमाव होता हो उस भूमि पर इसकी खेती करना उचित नहीं है। इसकी खेती के लिए खेत को तैयार करने से पहले खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करें। खेत की पहली जुताई के बाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 15 से 20 टन पुरानी गोबर की खाद को खेत में डाल दे। इसके बाद खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कर मिट्टी में गोबर की खाद ठीक तरह से मिलाए। इसके पश्चात् भूमि का पलेवा कर नम कर लिया जाता है। पलेवा के 2 से 3 दिन बाद जब भूमि ऊपर से सूख जाती है, तो रोटावेटर लगाकर जुताई कर खेत की मिट्टी को भुरभुरी कर समतल बना लें। इससे गन्ने की जड़े गहराई तक जाएगी और पौधे को आवश्यक पोषक तत्व मिलेंगे।

खेती के लिए बीजों का चुनाव

गन्ने की खेती में 9 से 10 माह के उम्र के गन्ना बीज का उपयोग करे, गन्ना बीज उन्नत जाति, मोटा, ठोस, शुद्ध व रोग रहित होना चाहिए। जिस गन्ने की छोटी पोर हो, फूल आ गये हो, ऑंखे अंकुरित हो या जड़े निकल आई हो ऐसा गन्ना बीज के लिये उपयोग न करें। गन्ने के खेती के लिए शीघ्र पकने वाली और उन्नत बीजों का ही चुनाव करें। 

गन्ने की उन्नत प्रजाति

गन्ने की शीघ्र पकने वाली उन्नत प्रजाति- (9 से 10 माह) में पकने वाली प्रजाति :

  • को. 64: उपज 320-360 क्विंटल प्रति एकड़, रस में शक्कर की मात्रा 21.0 प्रतिशत, कीटों का प्रकोप अधिक, गुड़ व जड़ी के लिए उत्तम, उत्तरी क्षेत्रों के लिए अनुमोदित।

  • को. 7314: उपज 320-360 क्विंटल प्रति एकड़, इसके रस में शक्कर की मात्रा 21.0 प्रतिशत, कीट प्रकोप कम होता है। रेडराट निरोधक / गुड़ व जड़ी के लिए उत्तम/संपूर्ण म0प्र0के लिए अनुमोदित।

  • को.सी. 671: उपज 320-360 क्विंटल प्रति एकड़, शक्कर की मात्रा 22.0 प्रतिशत,रेडराट निरोधक /कीट प्रकोप कम/ गुड़ व जड़ी के लिए उत्तम।

मध्य से देर से (12-14 माह) में पकने वाली

  • को. 6304: उपज 380 से 400 क्विंटल प्रति एकड़, शक्कर की मात्रा 19.0 प्रतिशत, कीट प्रकोप कम, रेडराट व कंडुवा निरोधक, अधिक उपज जड़ी मध्यम सम्पूर्ण।

  • को.7318:  उपज 400 से 440 क्विटल प्रति एकड़, रस में शक्कर की मात्रा 18.0 प्रतिशत, कीट कम, रेंडराट व कंडुवा निरोधक/नरम, मधुशाला के लिए उपयोगी।

  • को. 6217: उपज 360 से 400 क्विंटल प्रति एकड़़, रस में शक्कर की मात्रा 19.0 प्रतिशत, कीट प्रक्षेत्र कम/रेडराट व कंडुवा निरोधक/नरम, मधुशाला के लिए उपयोगी।

नई उन्नत किस्में- को. 8209 उपज 360-400 क्विंटल, शक्कर की मात्रा 20.0 प्रतिशत को. 7704: उपज 320-360 क्विंटल, शक्कर की मात्रा 20.0 प्रतिशत। को. 87008: उपज 320 से 360 क्विंटल, शक्कर की मात्रा 20.0 प्रतिशत। को जवाहर 86-141 उपज 360-400 क्विंटल, शक्कर की मात्रा 21.0 प्रतिशत

बीजों की मात्रा एवं बाजों उपचार

गन्ने के खेती के लिए करीब 100-125 क्विंटल बीज या लगभग 1 लाख 25 हजार आंखे/हेक्टर की आवश्यकता होती है। इन गन्ने के बीजों के लिए छोटे छोटे टुकडे इस तरह कर लें कि प्रत्येक टुकड़े में दो या तीन आंखें हों। इन टुकड़ों को कार्बेंन्डाजिम-2 ग्राम प्रति लीटर के घोल में 15 से 20 मिनट तक डुबाकर कर रखें। इन टुकड़ों को उचित मात्रा के घोल में डुबाकर रखने से डंडियों के अंकुरण के समय इनमें रोग लगने का खतरा कम हो जाता है, और डंडियों के आंखें से अंकुरित  विकास भी अच्छे से होता है। 

गन्ने के बीजों की रोपाई (बुवाई) का तरीका

भारत में गन्ने की बुवाई मुख्यतः समतल और नाली विधि से की जाती है समतल विधि में 90 सेमी. की दूरी पर 7 से 10 सेंमी. गहरे देशी हल से कूँड़ बनाएं और कूँड़ों में गन्ने के छोटे -छोटे टुकड़े जिनमे 2 से 3 आँखें हो की बुवाई सिरे से सिरा मिला करें। इस तरह से टुकड़ो को डालने के पश्चात् पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है। किसान भाई आज भी इस परम्परागत विधि द्वारा गन्ने के बीजो की रोपाई करना पसंद करते है। नाली विधि में 90 सेमी की दूरी पर 45 सेमी चौड़ी, 15-20 सेंमी.गहरी नाली बना ली जाती है एवं नाली में बीज को सिरे से सिरा मिलाकर बुवाई की जाती है गन्ने की आंखे आजू-बाजू में हो ऐसा रखें दोनों आंखे नाली की बगल की तरफ रहनी चाहिए। नालियों की दोनों और अंत में जल को रोकने के लिए आड़ी रोपाई कर की जाती है। इस दौरान कम बारिश होने पर भी खेत में पानी की कमी नहीं होती है, और पानी ज्यादा हो जाने की स्थिति में उसे एक छोड़ से खोल दिया जाता है।  बुवाई के समय कूँड़ में पहले उर्वरक डालें उसके ऊपर गन्ने के बीज की बुवाई करें।

गन्ने के लिए उर्वकर 

खाद एवं रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग फसलो की सही बढ़बार, उपज और गुणवत्ता के लिये पोषक तत्वों का सही अनुपात और जरुरी मात्रा में मिट्टी परिक्षण प्रतिवेदन (रिपोर्ट) के अनुसार ही प्रयोग करें। गन्ना फसल के लिये लगभग 50 क्विंटल गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद का उपयोग गन्ना बुवाई के समय नालियों में डालकर करना चाहिए। गन्ने में 300 कि. नत्रजन (650 किलो यूरिया), 80 किलो स्फुर, (500 कि. सुपरफास्फेट) एवं 90 किलो पोटाश (150 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश) प्रति हेक्टर देवें। जहाँ तक संभव हो सरल खाद जैसे यूरिया, सुपरफास्फेट, व म्यूरेट ऑफ पोटाश जैसे उर्वरको अनुशासित मात्रा में ही फसल को दें।

सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण

गन्ने के बीजो की रोपाई नम भूमि में की जाती है। इसलिए इन्हे आरम्भ में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। शीतकाल में 15 दिन के अंतर एवं गर्मी में 8 से 10 दिन के अंतर पर सिंचाई करें। बुवाई के लगभग 4 माह तक खरपतवारों की रोकथाम आवश्यक होती है। इसके लिए 3 से 4 बार निंदाई करना चाहिए। रासायनिक नियंत्रण के लिए अट्राजिन 160 ग्राम प्रति एकड़ 325 लीटर पानी में घोलकर अंकुरण के पूर्व छिड़काव करें । 

कटाई, पैदावार एवं लाभ

गन्ने की फसल को तैयार होने में 10 से 12 महीने का समय लग जाता है। गन्ने की फसल को फरवरी-मार्च में काटे। कटाई करते समय गन्ने को जमीन की सतह के करीब से कटा जाना चाहिए। एक एकड़ के खेत से तकरीबन 360 से 400 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है, तथा अच्छी देख-रेख कर 600 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। गन्ने का थोक बाजारी भाव 285 रूपए प्रति क्विंटल होता है। जिससे किसान भाई इसकी फसल से डेढ़ से दो लाख की कमाई कर अच्छा लाभ कमा सकते है।

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