wheat crop : गेहूं की नई किस्म पूसा गौरव (HI 8840), जानें इसकी विशेषताएं

पोस्ट -19 अक्टूबर 2024 शेयर पोस्ट

गेहूं की खास किस्म “पूसा गौरव” की करें बुवाई, पौष्टिक रोटियां, सूजी, पास्ता और दलिया के लिए भारी डिमांड

Pusa Wheat Gaurav (HI 8840) : गेहूं की उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा गेहूं की नई-नई किस्मों को विकसित किया जा रहा है, जो प्रमुख रोगों के लिए प्रतिरोधी होने के साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसके अलावा गेहूं की इन किस्मों को अलग-अलग राज्यों की जलवायु पारिस्थितिकी के अनुसार अधिक पैदावार देने के लिए विकसित किया गया है। किसान इन गेहूं किस्मों की बुवाई कर कम सिंचाई लागत में अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इनमें गेहूं की नई किस्म पूसा गेहूं गौरव (HI 8840) भी शामिल है। यह एक नई दुर्गम गेहूं की किस्म है, जो देश में गेहूं की खेती में क्रांति लाने का वादा करती है, विशेष रूप से प्रायद्वीपीय और मध्य क्षेत्रों में। पूसा गेहूं गौरव (HI 8840) देशी और विदेशी विभिन्न व्यंजन उत्पाद के लिए उपयुक्त है। इसका सख्त दाना और उच्च पोषण इसे पास्ता, सूजी, दलिया और सेमोलिना बनाने के लिए आदर्श बनाता है। वर्तमान में ‘ड्यूरम’ गेहूं की अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी मांग है, जो भारतीय किसानों के लिए आर्थिक लाभ का एक अच्छा अवसर प्रस्तुत करता है।

पोषक तत्वों से समृद्ध (rich in nutrients)

‘पूसा गेहूं गौरव’ को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) के इंदौर केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. जंग बहादुर सिंह ने विकसित किया है। यह किस्म ‘ड्यूरम’ गेहूं (Durum Wheat) के वर्ग में आती है। गेहूं की इस किस्म को इस तरह से तैयार किया गया है कि यह ड्यूरम गेहूं की आम प्रजातियों की तुलना में बेहतर है, खासकर चपाती बनाने के मामले में। इसका आटा पानी सोखने की अधिक क्षमता रखता है, जिससे इसकी रोटियां नर्म और स्वादिष्ट बनती हैं। पूसा गेहू गौरव आवश्यक पोषक तत्वों, जैसे कि अनाज जिंक (41.1 पीपीएम), अनाज आयरन (38.5 पीपीएम), और प्रोटीन सामग्री (12 प्रतिशत) से समृद्ध है, जो इसे न केवल एक उच्च पैदावार वाली किस्म बनाता है, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए पोषण की दृष्टि से भी एक बेहतर विकल्प बनाता है। 

पास्ता उत्पादन के लिए आदर्श (Ideal for pasta production)

ड्यूरम गेहूं को आम बोलचाल की भाषा में "मालवी" या "कठिया" गेहूं भी कहा जाता है, अपने सख्त दानों के कारण जाना जाता है। उच्च पीले रंगद्रव्य सामग्री (8.1 पीपीएम) और अनाज कठोरता सूचकांक (95) के कारण यह किस्म उच्च गुणवत्ता वाले पास्ता उत्पादन के लिए आदर्श है। इसके अलावा, इसमें उत्कृष्ट चपाती बनाने की गुणवत्ता भी है, जिसका एसडीएस मूल्य 40.5 एमएल है। 

अनाज उपज क्षमता (grain yield potential)

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) इंदौर द्वारा विकसित गेहूं की पूसा गौरव किस्म जलवायु अनुकूल बीजों में शामिल है। पूसा गेहूं गौरव चेक किस्मों की तुलना में 2.4 प्रतिशत से 13.1 प्रतिशत तक की महत्वपूर्ण उपज लाभ प्रदान करता है। इस किस्म की अर्ध-बौनी प्रकृति सुनिश्चित करती है कि पौधे मजबूत बने रहें और विभिन्न जल परिस्थितियों में भी गिरे नहीं। सीमित सिंचाई की स्थिति में इस किस्म की औसत अनाज उपज 30.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, जबकि अच्छी और पर्याप्त जल उपलब्धता के साथ संभावित अनाज उपज 39.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक जा सकती है।

रस्ट रोग प्रतिरोधी (rust resistant) 

गेहूं की  यह किस्म काले और भूरे रंग के रतुआ (रस्ट) दोनों के लिए प्रतिरोधी है, जो मध्य और प्रायद्वीपीय भारत में गेहूं की फसलों को प्रभावित करने वाले प्रमुख रोगों में से हैं। इस प्रतिरोधक क्षमता से रोगग्रस्त क्षेत्रों में भी बेहतर फसल स्वास्थ्य और अधिक उपज मिलती है। कम गर्मी संवेदनशीलता सूचकांक (0.94) और सूखा संवेदनशीलता सूचकांक (0.91) के साथ, पूसा गेहूं गौरव उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, जहां उच्च तापमान और सीमित सिंचाई साधन है। यह जलवायु संबंधी चुनौतियों का सामना करने वाले किसानों के लिए एक आदर्श विकल्प बन जाता है।

गेहूं की किस्म पूसा गौरव (HI 8840) की कृषि विशेषताएं (Agricultural characteristics of wheat variety Pusa Gaurav HI 8840)

उपयुक्तता : समय पर बोया गया, सीमित सिंचाई की स्थिति।

भौगोलिक क्षेत्र : प्रायद्वीपीय और मध्य भारत में खेती के लिए सबसे उपयुक्त।

परिपक्वता अवधि : 110 से 115 दिन, अपेक्षाकृत जल्दी पकने वाली किस्म।

पौधे की ऊंचाई : 80-85 सेमी, जो इसके लचीलेपन और मजबूती में योगदान करती है। 

1000 अनाज दानों का वजन : 47 ग्राम, जो इसके अच्छे दाने के आकार और गुणवत्ता का संकेत है।

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